
छत्तीसगढ़ में नई सरकार बने लगभग ढाई महीने हो गए हैं. और अब इस चुनाव में जीते विधायकों ने कितना खर्चा किया? उसके आंकड़े सामने आ गए हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने छत्तीसगढ़ में जीते 90 में से 88 विधायकों के चुनावी खर्च को लेकर रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि जीते विधायकों ने अपनी विधानसभा में औसतन 27.11 लाख रुपये का खर्च किया है. ये तय लिमिट का 68% है. छत्तीसगढ़ में हर उम्मीदवार 40 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ के 88 में से 10 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने तय लिमिट का 50 फीसदी से भी कम खर्च किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के विधायकों का औसतन खर्च 28.48 लाख रुपये है.
लेकिन सबसे ज्यादा खर्च कांग्रेस विधायक अनिला भेंदिया ने किया है. डोंडी लोहारा सीट से विधायक अनिला भेंदिया ने चुनाव प्रचार पर 38.59 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया है. ये तय लिमिट का 96% है. जबकि, चंद्रपुर सीट से कांग्रेस विधायक रामकुमार यादव ने महज 2.65 लाख रुपये खर्च किए हैं.
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किसने कितना खर्च किया?
सबसे ज्यादा खर्च करने वाले टॉप-3 विधायकों में बीजेपी के दो विधायक हैं. बेमेतरा से बीजेपी विधायक दीपेश साहू ने 37.97 लाख और नवागढ़ से बीजेपी के दयाल दास बघेल ने 36.97 लाख रुपये खर्च किए हैं.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी के 53 विधायकों का औसतन चुनावी खर्च 28.48 लाख रहा. वहीं, कांग्रेस के 34 विधायकों का औसत खर्च 25.34 लाख रहा था. जबकि, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक विधायक ने 14.36 लाख रुपये का खर्चा किया.
जिन 88 विधायकों को खर्च का एनालिसिस किया गया है, उनमें से 76 ने बताया है कि उन्होंने चुनावी रैली, जुलूस निकालने में अपना खर्चा किया है. वहीं, 12 विधायकों ने रैली और जुलूस पर कोई खर्च नहीं किया.
वहीं, 35 विधायकों ने बताया है उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रचार करने पर भी खर्च किया है. 53 विधायकों ने इसके लिए कोई खर्च नहीं किया.
4 विधायकों को पार्टी से नहीं मिला कोई फंड
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, 88 में से 84 विधायकों ने बताया है कि चुनावी खर्च के लिए उन्हें अपनी राजनीतिक पार्टी की ओर से भी फंड मिला था. जबकि, चार विधायक ऐसे हैं जिन्हें पार्टी से कोई फंड नहीं मिला था.
65 विधायकों ने बताया है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अपनी जेब से भी पैसा खर्च किया. वहीं, 18 विधायकों को किसी व्यक्ति, कंपनी या संस्था की ओर से भी फंडिंग हुई.
नियमों के मुताबिक, चुनाव जीतने के बाद विधायकों को एक महीने के भीतर चुनावी खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को देना पड़ता है.