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दूसरों को फंसाने वाले जिनपिंग अब खुद फंसे! कर्ज में डूबा देश... जानें- कैसे हुई चीन की ऐसी हालत

चीन गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उस पर कर्ज बेतहाशा बढ़ता जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, 2023 के आखिर तक चीन पर उसकी जीडीपी का 288 फीसदी कर्ज था. ये 2022 की तुलना में 13 फीसदी ज्यादा है. ऐसे में समझते हैं कि चीन की ऐसी हालत कैसे हो गई?

चीन पर उसकी जीडीपी का लगभग 300 फीसदी कर्ज है. चीन पर उसकी जीडीपी का लगभग 300 फीसदी कर्ज है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है. दिलचस्प बात ये है कि अब तक गरीब और छोटे मुल्कों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने वाला चीन खुद कर्ज के तले दबता जा रहा है.

साल 2023 के आखिरी तक चीन पर उसकी जीडीपी का 288% का कर्ज था. ये अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. 2022 के मुकाबले ये 13.5 फीसदी ज्यादा था.

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चीन में विकास दर धीमी होती जा रही है. रोजगार हैं नहीं. रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह तबाह होता दिख रहा है. पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन की अर्थव्यवस्था के भविष्य को 'खतरनाक' बताया था.

कितना कर्ज है चीन पर?

न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के आखिर तक चीन पर कुल 560 अरब डॉलर का कर्ज था. ये उसकी जीडीपी का 287.8 फीसदी था. 

निक्केई-एशिया के मुताबिक, चीन के परिवारों पर कर्ज बढ़कर जीडीपी का 63.5 फीसदी पहुंच गया है. वहीं, गैर-वित्तीय कॉर्पोरेट पर कर्ज बढ़कर 168.4 फीसदी और सरकार पर कर्ज 55.9 फीसदी हो गया है.

इसे ऐसे समझिए कि अमेरिका पर जितना कर्ज है, उसका दोगुना से भी ज्यादा कर्ज में चीन डूबा हुआ है. 

अबतक दुनिया में सबसे ज्यादा कर्जदार देश जापान था. जापान पर उसकी जीडीपी का 220 फीसदी तक कर्जा था.

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संकट में रियल एस्टेट!

चीन में रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह संकट से गुजर रहा है. चीन की जीडीपी में 20 फीसदी हिस्सेदारी रियल एस्टेट सेक्टर की है. और यही सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. 

इसे ऐसे समझिए कि दो महीने पहले ही हॉन्गकॉन्ग की अदालत ने चीन की बड़ी प्रॉपर्टी कंपनी एवरग्रांड को संपत्ति बेचकर कर्ज चुकाने का आदेश दिया था. एवरग्रांड पर 300 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.

अमेरिकी अर्थशास्त्री एंटोनियो ग्रेसफो ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि चीन में रियल एस्टेट सेक्टर ढह रहा है और अगर ऐसा होता है तो ये बैंकों को भी अपने साथ ले डूबेगा.

चीन में रियल एस्टेट सेक्टर की हालात 2020 में कोरोना महामारी आने के बाद से ही बिगड़नी शुरू हो गई थी. इससे भी पहले जिनपिंग सरकार ने 2008 की आर्थिक मंदी से सबक लेते हुए रियल एस्टेट डेवलपर्स की कर्ज लेने की क्षमता को सीमित कर दिया था. इसका नतीजा ये हुआ कि उन्होंने जो अरबों डॉलर का कर्ज लिया था, उसे वो चुकाने में नाकाम रहे.

इतना ही नहीं, चीन में घर खरीदार भी तेजी से कम हो रहे हैं. इससे रियल एस्टेट और बुरी तरह प्रभावित हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में देशभर में महच 96 लाख घर बिके. ये संख्या 2021 की तुलना में 30 फीसदी कम थी.

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चीन की ऐसी हालत कैसे हो गई?

जानकारों का मानना है कि चीन के साथ ठीक वैसा ही हो रहा है, जैसा जापान के साथ हुआ. यानी, एक वक्त में अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी और फिर लुढ़कने लगी.

1970 के दशक के बाद चीन ने जो आर्थिक सुधार किए, उससे उसकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी. एक्सपोर्ट और रियल एस्टेट मार्केट में बूम आया. इसकी बदौलत आधी से भी कम सदी में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया.

ऐसा ही कुछ जापान के साथ भी हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की अर्थव्यवस्था बहुत बढ़ी. लेकिन फिर धीरे-धीरे उसपर कर्ज बढ़ता चला गया. 1989 में फिर ऐसा दौर आया कि उसका शेयर मार्केट निक्केई धड़ाम हो गया और अगले 13 साल में 80 फीसदी तक गिर गया. 1991 के बाद से ही जापान में रियल एस्टेट सेक्टर संकट में है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, 1954 से 1973 के बीच जापान की अर्थव्यवस्था हर साल 10 फीसदी से ज्यादा की दर से बढ़ी. जबकि, 1981 से 2023 तक उसकी अर्थव्यवस्था एक से दो फीसदी की दर से ही बढ़ी. अनुमान है कि चीन को भी ऐसी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

जिनपिंग का क्या है प्लान?

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हाल ही में चीन की संसद पीपुल्स नेशनल कांग्रेस का दो दिन का सेशन हुआ था. इसमें चीन की सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर आर्थिक संकट की बात भी मानी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन हमेशा से मजबूत रहा है और अब वो अपने दरवाजे बाकियों के लिए खोल रहा है.

चीन की सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेशकों और विदेशी कारोबारियों के लिए खोल दिया है. वांग यी ने कहा कि चीन अब भी निवेशकों और कारोबारियों के लिए पसंदीदा जगह बना हुआ है. उन्होंने ये ऐलान ऐसे वक्त किया है जब चीन में एफडीआई 30 साल के सबसे निचले स्तर पर रहा.

जिनपिंग सरकार ने इस साल जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य 5 फीसदी रखा है. इसके साथ ही सरकार ने इस साल 1.2 करोड़ नई नौकरियां पैदा करने की बात भी कही है. 

बहरहाल, जब भी किसी देश में आर्थिक संकट खड़ा होता है तो वहां की सरकारों को इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है. लेकिन चीन के मामले में जानकार असली कारण तेज विकास की लंबी अवधि को मान रहे हैं, जिसने अस्थिर कर्जों का ढेर लगा दिया है. कुल मिलाकर, जो जितनी तेजी से ऊपर जाता है, उतनी ही तेजी से नीचे आता है.

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