Advertisement

क्या है 133 करोड़ रुपये के खालिस्तानी चंदे का मामला, जिसमें केजरीवाल के खिलाफ हुई NIA जांच की सिफारिश

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब खालिस्तानी फंडिंग में फंसते नजर आ रहे हैं. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस से फंडिंग मिलने के आरोपों की एनआईए जांच की सिफारिश की है.

सीएम केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की गई है. (फाइल फोटो) सीएम केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश की गई है. (फाइल फोटो)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2024,
  • अपडेटेड 4:52 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश की है. उन पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' से राजनीतिक फंडिंग लेने का आरोप है. 

एलजी दफ्तर की ओर से केंद्रीय गृह सचिव को इसे लेकर चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में लिखा गया है कि जेल में बंद आतंकी देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई के लिए आम आदमी पार्टी को खालिस्तानी संगठनों से 16 मिलियन डॉलर (करीब 133 करोड़ रुपये) की फंडिंग मिली थी.

Advertisement

एलजी सक्सेना ने ये सिफारिश ऐसे वक्त की है, जब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार किया जा सकता है. दिल्ली के कथित शराब घोटाले में सीएम केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.

वहीं, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे सीएम केजरीवाल के खिलाफ एक और 'साजिश' बताया है. पार्टी ने दिल्ली के एलजी को बीजेपी का 'एजेंट' भी बताया है.

ये पूरा मामला क्या है? केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का नाम इसमें कैसे आया? एलजी सक्सेना ने अपनी चिट्ठी में क्या-क्या आरोप लगाए हैं? समझते हैं...

किसने की थी शिकायत? 

इसी साल एक अप्रैल को आशु मोंगिया नाम के व्यक्ति ने दिल्ली के एलजी सक्सेना के पास शिकायत दर्ज कराई थी. आशु मोंगिया खुद को वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन इंडिया का राष्ट्रीय महासचिव बताते हैं.

Advertisement

आशु मोंगिया ने अपनी शिकायत में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए थे और इनकी जांच की मांग की थी. 

मोंगिया ने ये भी आरोप लगाया था कि न्यूयॉर्क के रिचमंड हिल गुरुद्वारा में एक सीक्रेट मीटिंग भी हुई थी, जिसमें देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई का वादा किया गया था. भुल्लर इस वक्त अमृतसर की एक जेल में बंद है.

यह भी पढ़ें: '100 से 1100 करोड़ कैसे हुए...', केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED के वकील से पूछा

सीएम केजरीवाल और एलजी सक्सेना में अक्सर टकराव होता रहता है. (फाइल फोटो- PTI)

क्या-क्या हैं आरोप? 3 प्वॉइंट्स में समझें

1. 133 करोड़ की फंडिंग

- 2014 से 2022 के बीच आम आदमी पार्टी ने खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस से 133 करोड़ रुपये की फंडिंग ली थी. ये फंडिंग जेल में बंद आतंकी देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई कराने के वादे के रूप में ली गई थी. 

- शिकायतकर्ता ने खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू का एक वीडियो भी दिया है, जिसमें वो कथित तौर पर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर खालिस्तानी संगठनों से फंडिंग मिलने का आरोप लगा रहा है.

2. न्यूयॉर्क में सीक्रेट मीटिंग

- एलजी सक्सेना को दी गई शिकायत में आरोप लगाया है कि 2014 में जब केजरीवाल अमेरिका की यात्रा पर थे, तब उन्होंने खालिस्तानी नेताओं के साथ एक सीक्रेट मीटिंग भी की थी.

Advertisement

- केजरीवाल और खालिस्तानी नेताओं के बीच ये सीक्रेट मीटिंग न्यूयॉर्क के रिचमंड हिल गुरुद्वारा में हुई थी. इस मीटिंग में केजरीवाल ने कथित तौर पर फंडिंग के बदले भुल्लर की रिहाई का वादा किया था.

- शिकायत में ये भी कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता मुनीष कुमार रायजादा ने सोशल मीडिया पर केजरीवाल और खालिस्तानी नेताओं की मीटिंग की तस्वीर भी साझा की थी. शिकायतकर्ता का दावा है कि जो तस्वीर साझा की गई थी, वो कथित रूप से रिचमंड हिल गुरुद्वारा की थी.

3. भुल्लर की रिहाई का वादा

- एलजी दफ्तर की ओर से केंद्रीय गृह सचिव भेजी गई चिट्ठी में जनवरी 2014 में केजरीवाल की एक चिट्ठी का हवाला भी दिया गया है. इसमें लिखा है कि केजरीवाल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भुल्लर की सजा माफी की मांग को लेकर चिट्ठी भी लिखी थी.

- जनवरी 2014 में ही सीएम केजरीवाल ने इकबाल सिंह नाम के शख्स को भी एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने इकबाल सिंह से कहा था कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने भुल्लर की रिहाई की सिफारिश की है. 

- इकबाल सिंह आतंकी भुल्लर की रिहाई की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे. केजरीवाल से भुल्लर की रिहाई का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म किया था.

Advertisement

यह भी पढ़ें: AAP पर लगे आतंकी गुट 'सिख फॉर जस्टिस' से संबंधों के आरोप, क्या है SFJ, क्यों लगा प्रतिबंध?

देवेंद्र पाल भुल्लर. (फाइल फोटो)

भुल्लर का मामला क्या है?

1993 में दिल्ली में हुए बम धमाके में देवेंद्र पाल भुल्लर को दोषी ठहराया गया है. इस धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई थी.

25 अगस्त 2001 को टाडा कोर्ट ने भुल्लर को फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था.

सजा पर रिव्यू करने वाले दिल्ली सरकार के बोर्ड ने दिसंबर 2023 में भुल्लर की रिहाई को खारिज कर दिया था. बोर्ड ने माना था कि भुल्लर को समय से पहले रिहा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

भुल्लर पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही बंद था. जून 2015 में मेडिकल आधार पर उसे अमृतसर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. तब से वो वहीं बंद है.

आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसे बीजेपी के इशारे पर केजरीवाल के खिलाफ एक और साजिश बताया है.

Advertisement

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी दिल्ली में सातों सीटें हार रही हैं और इसी हार के डर से वो घबरा गई है. उन्होंने दावा किया कि इसी मामले में हाईलेवल जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका दो साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी.

LG saab desperately trying to make headlines during Election season. This is complete misuse of constitutional office of LG.

The PIL demanding high level investigation in same matter was dismissed by HC two years back.

The Division Bench of Acting Chief Justice Vipin Sanghi… pic.twitter.com/BsFtmmz3Mt

— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) May 6, 2024

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, एलजी साहब चुनावी मौसम में सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. ये एलजी के संवैधानिक कार्यालय का पूरी तरह से दुरुपयोग है.

अब आगे क्या?

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखी चिट्ठी में इस पूरे मामले की एनआईए जांच कराने की सिफारिश की है. उन्होंने लिखा कि शिकायतकर्ता की ओर से जो इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस दिए गए हैं, उनकी फोरेंसिक जांच की जानी की जरूरत है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement