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राज्य का नाम क्यों बदलना चाहते हैं सीएम विजयन? जानें- क्यों हो रही केरल से 'केरलम' करने की मांग

केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने विधानसभा में एक बार फिर राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पेश किया था, जो सर्वसम्मति से पास हो गया है. सीएम विजयन केरल का नाम बदलकर 'केरलम' करना चाहते हैं. ऐसे में जानते हैं कि इसका नाम बदलने की मांग क्यों उठ रही है? और प्रस्ताव पास करने के बाद क्या नाम बदल जाएगा?

केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन. (फाइल फोटो-PTI) केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

केरल विधानसभा में एक बार फिर राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पास हुआ है. पिनारई विजयन की सरकार ने केरल का नाम 'केरलम' रखने का नाम प्रस्ताव पास किया. साथ ही केंद्र सरकार से जल्द से जल्द नाम बदलने का अनुरोध किया है. 

इससे पहले पिछली साल अगस्त में भी केरल सरकार ने ऐसा ही प्रस्ताव पास किया था. तब केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव में कुछ बदलाव करने की बात कहकर लौटा दिया था.

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मुख्यमंत्री पिनारई विजयन चाहते थे कि केंद्र सरकार संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में केरल का नाम बदलकर 'केरलम' कर दे. 

सोमवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए विजयन ने कहा, मलयालम भाषा में केरल को 'केरलम' कहा जाता है, लेकिन संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम केरल लिखा गया है. उन्होंने कहा, ये विधानसभा चाहती है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 'केरलम' नाम करने के लिए तत्काल कदम उठाए और आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में इसका नाम बदलकर 'केरलम' कर दे.

विधानसभा में सर्वसम्मति से पास

विधानसभा में केरल का नाम बदलने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया. इस प्रस्ताव को सत्तारूढ़ LDF और विपक्षी UDF के विधायकों ने सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया.

हालांकि, UDF विधायक एन शम्सुद्दीन ने इस प्रस्ताव में कुछ संशोधन करने का सुझाव दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद ये प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया.

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न्यूज एजेंसी ने विधानसभा सूत्रों के हवाले से बताया है कि विधानसभा में पिछले साल अगस्त में इसी तरह का प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसमें कुछ तकनीकी बदलाव का सुझाव दिया था.

केरल से 'केरलम' क्यों?

केरल के नाम कैसे आया? इसे लेकर कोई एकराय नहीं है. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि केरल का नाम 'केरा' से पड़ा, जिसका मतलब 'नारियल का पेड़' होता है. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम ने अपना परशु समुद्र में फेंका था. इस वजह से उसके आकार की भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल अस्तित्व में आया. केरल शब्द का एक मतलब 'समुद्र से निकली जमीन' भी होता है. 

ये भी माना जाता है कि यहां पर लंबे समय तक चेरा राजाओं ने शासन किया है. इसलिए इसका नाम पहले चेरलम था. इसी से केरल बना होगा.

मुख्यमंत्री पी. विजयन के मुताबिक, मलयालम भाषा में केरल को केरलम कहा जाता है. हिंदी में इसे केरल ही कहते हैं. जबकि, अंग्रेजी में इसे Kerala लिखा और बोला जाता है.

ऐसे बना केरल

1920 के दशक में मलयालम भाषा बोलने वालों ने एक आंदोलन छेड़ दिया. इनका आंदोलन आजादी के लड़ाई से प्रेरित था. इनका मानना था कि एक ही भाषा बोलने वाले, समान सांस्कृतिक परंपराओं वाले, एक ही इतिहास, एक ही रीति-रिवाज को मानने वालों के लिए अलग राज्य होना चाहिए.

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इन्होंने मलयालम भाषियों के लिए अलग केरल राज्य बनाने की मांग की. इनकी मांग थी की कोच्चि, त्रावणकोर और मालाबार को मिलाकर एक राज्य बनाया जाए.

आजादी के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी. इसके लिए पहले श्याम धर कृष्ण आयोग बना. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को देशहित के खिलाफ बताया.

इसी बीच 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोचीन रियासत का विलय हो गया. इससे त्रावणकोर-कोचीन राज्य बना.  

लेकिन लगातार उठ रही मांगों के बाद 'जेवीपी' आयोग बना. यानी जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का सुझाव दिया.

इसके बाद मालाबार रीजन (मद्रास रियासत का हिस्सा) भी त्रावणकोर-कोचीन राज्य में मिल गया. और इस तरह से 1 नवंबर 1956 को केरल बना. 

आगे क्या?

अभी केरल विधानसभा ने ये प्रस्ताव पास किया. अब ये प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास जाएगा.

गृह मंत्रालय इस पर बाकी दूसरे मंत्रालय और इंटेलिजेंस एजेंसियों से सुझाव मांगेंगा. अगर नाम बदलने के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जाता है तो इसके लिए संसद में बिल लाया जाएगा.

अगर संसद के दोनों सदनों में ये बिल पास हो जाता है. तो इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्य का नाम केरल से बदलकर 'केरलम' हो जाएगा.

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कई राज्यों के बदल चुके हैं नाम

आजादी से अब तक कई शहरों और राज्यों के नाम बदले जा चुके हैं. उत्तराखंड आंदोलन के बाद 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने इस राज्य का नाम पहले उत्तरांचल रखा गया था. 2007 में इसे बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया.

2006 में पॉन्डिचेरी का नाम बदलकर पुडुचेरी किया गया था. 2011 में उड़िसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया. कुछ राज्यों की राजधानी के नाम भी बदले गए. जैसे- बॉम्बे बनी मुंबई और मद्रास का नाम चेन्नई हो गया.

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी भी राज्य का नाम बदलना चाहती है. पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बंगला करने की मांग होती रही है.

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