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दक्षिण कोरिया में 'हिट एंड रन' मामले में मौत की सजा भी, सड़क हादसों पर कहां है सबसे सख्त कानून?

हिट एंड रन मामले पर नए कानून का विरोध हो रहा है. ट्रक ड्राइवरों ने इसपर स्ट्राइक और प्रदर्शन तक कर डाले. उनका कहना है कि कानून काफी सख्त है. वैसे सड़क हादसों के मामले में सुरक्षित माने जाते लगभग सभी देशों में 'हिट एंड रन' पर लाइसेंस जब्त होने और लंबी सजाओं का प्रावधान है. यहां तक कि इसमें मौत की सजा भी हो सकती है.

हिट एंड रन मामले पर नया कानून फिलहाल के लिए लागू नहीं होगा. (Photo- Unsplash) हिट एंड रन मामले पर नया कानून फिलहाल के लिए लागू नहीं होगा. (Photo- Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

दुर्घटना के बाद घायल को छोड़कर भागने के मामलों को कम करने के लिए हिट एंड रन पर नया नियम लाने की कोशिश हुई. अब तक आईपीसी में हिट एंड रन मामलों में घायल की मौत पर दो साल की कैद और फाइन का नियम था. अब ये सजा बढ़ाकर 10 साल कर दी गई, वो भी तब, जबकि ड्राइवर एक्सिडेंट की जानकारी दिए बिना घटनास्थल से भाग निकले, और पीड़ित की मौत हो जाए. हालांकि इसके खिलाफ चक्काजाम हो गया. कई राज्यों के ड्राइवर हड़ताल पर चले गए. अब सुलह के बाद तय हुआ है कि फिलहाल ये कानून नहीं लाया जाए. 

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इन मुल्कों में मौत की सजा भी हो सकती है

दुनिया के बाकी देशों में हिट एंड रन पर काफी कड़े नियम हैं. दक्षिण कोरिया में इसे गंभीरतम अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. एक तो लापरवाही की वजह से किसी को चोट पहुंचे, और दूसरा, क्राइम करने वाला उसे छोड़कर भाग जाए. इसे रोकने के लिए एक्ट ऑफ एग्रवेटेड पनिशमेंट के तहत दो सेक्शन हैं.

हादसे के बाद अगर ड्राइवर मदद किए बगैर भाग जाए और घायल की मौत हो जाए तो उसे 5 साल से लेकर आजीवन कारावास भी हो सकता है. वहीं अगर ड्राइवर पीड़ित को दुर्घटना स्थल से हटा दे और फिर उसकी मौत हो जाए तो हत्या का दोषी मानकर आजीवन कैद या मौत की सजा भी दी जा सकती है. 

बांग्लादेश में वाहन अधिनियम, 1927 के मुताबिक, हादसे के बाद जब तक अस्पताल और पुलिस काम शुरू नहीं कर दें, तब तक ड्राइवर को वहीं बने रहना है. अगर वो ऐसा न करे, और जख्मी की मौत हो जाए तो इसपर मौत की सजा का भी प्रावधान है. 

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जीवनभर के लिए ड्राइविंग भी रुक सकती है

चीन में आर्टिकल 101 के तहत हिट एंड रन वाले ड्राइवरों पर भारी सख्ती है. अगर कोई ऐसा करे तो न केवल सजा होती है, बल्कि जिंदगीभर के लिए उसका लाइसेंस भी जब्त हो जाता है. कई और देश भी हैं, जहां हिट एंड रन मामले गैर-जमानती भी होते हैं, साथ ही कैद के बाद लाइसेंस जब्त कर लिया जाता है. 

ऑस्ट्रेलियाई राज्यों में अलग कानून

ऑस्ट्रेलिया में एक बॉडी काम करती है, जो ड्राइवरों की लापरवाही पर ही नजर रखती है. हर सड़क हादसे के बाद दुर्घटना के नेचर के हिसाब से ड्राइवर की मार्किंग होती है. इसके बाद पेनल्टी लगती है, या फिर लाइसेंस ले लिया जाता है. वैसे ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई प्रांतों में इसके लिए अलग-अलग सजाएं हैं. 

- यूनाइटेड किंगडम में हिट एंड रन को गंभीर अपराध माना जाता है. ऐसा करने पर 14 साल की कैद और भारी-भरकम जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा हिट एंड रन के मामूली केस में भी दो साल के लिए ड्राइवर का लाइसेंस कैंसल हो सकता है. 

- कनाडा क्रिमिनल कोड के तहत ऐसे मामलों में 10 साल की सजा हो सकती है, अगर हादसे में घायल की मौत हो जाए. आजीवन कारावास की सजा यहां आम है. 

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- अमेरिका में अलग-अलग स्टेट्स इसके लिए अलग सजा देते हैं. वैसे लंबी जेल के साथ 16 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. इसके बाद भी अमेरिका में रोड सेफ्टी उतनी बढ़िया नहीं. 

- यूएई में अगर हादसे के बाद ड्राइवर गायब हो जाए तो उसे सीधे 45 लाख रुपए का जुर्माना भरना होता है. यहां पर नियम है कि हादसे के 6 घंटे के भीतर उसकी रिपोर्ट की जाए, वरना गंभीर नतीजे हो सकते हैं. 

इन देशों में सबसे कम होते हैं हादसे

रोड सेफ्टी के मामले में नीदरलैंड सबसे ऊपर है. अलग-अलग मानकों पर जांचने के बाद भी तमाम एजेंसियों ने इस देश को 10 में से 7.86 स्कोर दिए. प्रति 100,000 लोगों पर केवल 1.5 यातायात संबंधी मौतें होती हैं. 

इसकी कई वजहें हैं

वहां रोड सेफ्टी पॉलिसी बहुत मजबूत है. इसे पक्का करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनवायरमेंट मिलकर काम करते हैं. वे कोशिश करते हैं कि सड़कों पर कम से कम गाड़ियां चलें. नीदरलैंड में साइकिल चलाने को इतना प्रमोट किया गया कि वहां लगभग सबके पास एक साइकिल है. इसके अलावा तीनों स्कैंडिनेवियाई देश (नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क) गाड़ी चलाने के लिए सबसे सेफ जगहों में टॉप पर हैं. 

भारत में क्या है हिसाब-किताब

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अगर सबसे खतरनाक सड़कों की बात करें, तो भारत इसमें टॉप 5 में है. ड्राइवर्स एजुकेशन कंपनी जुटोबी के सर्वे में इसे 10 में से 5.48 मार्क्स मिले. इसमें रोड, ट्रैफिक डेथ फिगर, स्पीड लिमिट, सीट बेल्ट पहनने की आदत और गाड़ी चलाते हुए नशे में होने जैसे मापदंड लिए गए थे. दक्षिण अफ्रीका, थाइलैंड, अमेरिका और अर्जेंटिना हमसे भी आगे हैं.

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