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दिल्ली में 'कूड़े के पहाड़' को लेकर क्यों आमने-सामने है BJP-AAP? जानें कितनी बड़ी है समस्या

दिल्ली में बीजेपी और आम आदमी पार्टी फिर आमने-सामने आ गईं हैं. इस बार दोनों के बीच 'कूड़े के पहाड़' को लेकर तनातनी हो रही है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि नगर निगम दिल्ली में 16 नई लैंडफिल साइट बनाने जा रही है. वहीं, बीजेपी शासित नगर निगम ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.

दिल्ली में तीन जगहों पर लैंडफिल साइट हैं. तीनों ही ऊंचाई 50 मीटर से ज्यादा है. (फाइल फोटो-PTI) दिल्ली में तीन जगहों पर लैंडफिल साइट हैं. तीनों ही ऊंचाई 50 मीटर से ज्यादा है. (फाइल फोटो-PTI)
पंकज जैन/अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

दिल्ली में नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने आ गई है. दोनों पार्टियां 'कूड़े के पहाड़' को लेकर भिड़ गईं हैं. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि नगर निगम दिल्ली में 16 नई लैंडफिल साइट बनाने जा रही है. 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आरोप लगाया कि दिल्ली को 'कूड़े की राजधानी' बनाने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली को झीलों की राजधानी में तब्दील करने की कोशिश कर रहे हैं वो दिल्ली को कूड़े के पहाड़ों का शहर बनाना चाहते हैं.

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इससे पहले गुरुवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि नगर निगम कचरा साफ करने की बजाय 16 नई लैंडफिल साइट बनाने जा रही है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले ही तीन लैंडफिल साइट के पास रह रहे लोग परेशान हैं और अब बीजेपी दूसरी जगहों पर रह रहे लोगों की जिंदगी भी नर्क बनाने जा रही है. 

हालांकि, बीजेपी शासित नगर निगम ने आम आदमी पार्टी के इन आरोपों को खारिज किया है. नगर निगम ने एक बयान जारी कर कहा कि दिल्ली में 16 नई लैंडफिल साइट बनाने का कोई प्लान नहीं है. निगम का कहना है कि मौजूदा तीन लैंडफिल साइटों को भी समतल करने की कोशिश की जा रही है. 

केजरीवाल बोले- कूड़े के पहाड़ों की राजधानी बन जाएगी दिल्ली

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सीएम केजरीवाल ने कहा कि हमें तो इन कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की आधुनिक तकनीक को लागू करने की कोशिश करनी चाहिए थी, लेकिन ये नहीं किए. हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी इन कूड़े के पहाड़ों की उंचाई कम होने के बजाय प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. अगर देश की राजधानी को इस तरह कूड़ों का शहर बनाया गया, तो इससे दिल्ली समेत पूरे देश के लोग नाराज होंगे.

उन्होंने कहा कि हम कल्पना कर सकते हैं कि अगर 16 कूड़े के पहाड़ पूरी दिल्ली में जगह-जगह बन गए, तो लगभग सारी दिल्ली के लोग 24 घंटे बदबू का शिकार होंगे. लोगों के घर में 24 घंटे बदबू आएगी. लगभग हर इलाके अंदर एक कूड़े का पहाड़ होगा. 24 घंटे इनसे बदबू आएगा. पूरी दिल्ली में चारों तरफ मच्छर और मक्खी होंगे. चारों तरफ धुआं ही धुआं होगा और दिल्ली एक तरफ से कूड़े के पहाड़ों की राजधानी बन जाएगी.

लैंडफिल साइट वो जगह होती है, जहां शहर भर का कचरा इकट्ठा किया जाता है. दिल्ली में ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में लैंडफिल साइट है. 

कितनी बड़ी है कूड़े की समस्या?

दुनियाभर में कूड़ा बड़ी समस्या बनता जा रहा है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2020 में दुनियाभर में 2.24 अरब टन कचरा पैदा हुआ था. यानी, हर व्यक्ति ने हर दिन 0.79 ग्राम कचरा पैदा किया. 

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वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से 2050 तक कूड़ा और बड़ी समस्या बन जाएगा. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2050 में 3.88 अरब टन कचरा पैदा होने का अनुमान है.

भारत में भी हर साल पैदा होने वाला कचरा बढ़ता जा रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2019-20 में 1.50 लाख टन कचरा हर दिन पैदा हुआ था. जबकि 2020-21 में ये कूड़ा बढ़कर 1.60 लाख टन से ज्यादा हो गया. चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा देश है, जहां हर साल सबसे ज्यादा कचरा पैदा होता है. 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, 2020-21 में 1.60 लाख टन से ज्यादा जो कचरा पैदा हुआ था, उसमें से 1.52 लाख टन कचरा कलेक्ट किया गया था. इसमें से करीब 80 हजार टन कचरे को रिसाइकिल कर लिया गया था, जबकि 29,427 टन कचरा लैंडफिल साइट में डम्प कर दिया गया था. यानी, 2020-21 में हर दिन 29 हजार टन से ज्यादा कचरा डम्प हो रहा था. 

दिल्ली में कितनी बड़ी समस्या?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली में हर दिन 10,990 टन कचरा पैदा होता है. इसमें से 5,193 टन कचरे को तो रिसाइकल कर लिया जाता है या उससे बिजली बना ली जाती है. 

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लेकिन 5,533 टन कचरा लैंडफिल साइट में डम्प हो जाता है. यानी, हर दिन जितना कचरा निकलता है, उसका आधा कचरा तो लैंडफिल साइट में डाल दिया जाता है. नतीजा ये होता है कि हर दिन इतना कचरा डम्प होने के कारण कूड़े का पहाड़ बनता जाता है.

साइंस जर्नल लैंसेट की स्टडी बताती है कि लैंडफिल साइट के पास 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को अस्थमा, टीबी, डायबिटीज और डिप्रेशन की परेशानी होने का खतरा ज्यादा रहता है.

दिल्ली में अभी तीन जगह हैं कूड़े के पहाड़ 

राजधानी दिल्ली में अभी तीन लैंडफिल साइट हैं. ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में. इन तीनों साइट में अभी 14 मीट्रिक टन कचरा जमा है. इनमें गाजीपुर में 14 मीट्रिक टन, भलस्वा में 8 मीट्रिक टन और ओखला में 6 मीट्रिक टन कचरा है. 

तीनों ही साइट पर कूड़े का पहाड़ बना है. गाजीपुर में 53 मीटर ऊंचा पहाड़ है, तो भलस्वा में 54 मीटर और ओखला में 50 मीटर ऊंचाई है. 

नगर निगम अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि गाजीपुर लैंडफिल साइट को समतल करने की डेडलाइन दिसंबर 2024 तय कर रखी है. वहीं, भलस्वा साइट को अगले साल जुलाई तक समतल कर दिया जाएगा. जबकि, ओखला साइट के दिसंबर 2023 तक समतल हो जाने की उम्मीद है.

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2019 में गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी. यानी, यहां कूड़े का पहाड़ इतना ऊंचा हो गया था कि वो कुतुब मीनार से बस 8 मीटर छोटा रह गया था. 2017 में गाजीपुर लैंडफिल साइट का कुछ हिस्सा सड़क पर गिर गया था, जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी.

 

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