
दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी मामले में अब गिरफ्तारियां शुरू हो गईं हैं. मंगलवार को विजय नायर की गिरफ्तारी के बाद बुधवार को समीर महेंद्रू को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. विजय नायर को CBI ने तो समीर महेंद्रू को ED ने गिरफ्तार किया है. शराब नीति मामले में अब तक दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
कारोबारी विजय नायर को मंगलवार को पूछताछ के लिए CBI हेडक्वार्टर बुलाया गया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि उन्हें दिल्ली में शराब लाइसेंस बांटने में हुई कथित अनियमितताओं में उनकी भूमिका थी.
वहीं, शराब कारोबारी समीर महेंद्रू से रातभर पूछताछ के बाद ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. महेंद्रू को प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया गया है.
विजय नायर और समीर महेंद्रू का आपस में लिंक है और दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी में कथित गड़बड़ी के मामले में आरोपी हैं. इस मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी आरोपी बनाए गए हैं.
विजय नायर कौन हैं?
- विजय नायर कुछ साल तक आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन प्रभारी रहे हैं. वो एंटरटेनमेंट जगत का जाना-माना नाम हैं.
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नायर ने इंडी बैंड्स (Indie bands) के लिए मैनेजमेंट कंपनी OML शुरू की थी. बाद में उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी और लाइव म्यूजिक शो पर फोकस किया.
- OML यानी ओनली मच लाउडर. ये एंटरटेनमेंट और इवेंट मीडिया कंपनी है. विजय नायर इसके सीईओ और डायरेक्टर भी रहे हैं.
- 2018 में विजय नायर का नाम विवादों में तब आया, जब #MeToo कैंपेन के तहत उन पर आरोप लगे. हालांकि, कंपनी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.
समीर महेंद्रू कौन हैं?
- समीर महेंद्रू शराब कारोबारी हैं और इंडोस्पिरिट्स (Indospirits) के मालिक हैं. मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में इसी महीने ED ने उनके घर पर छापेमारी भी की थी.
- समीर महेंद्रू 2013 के एक मामले में CBI के गवाह रहे थे. उन्होंने दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (DSIIDC) के दो अधिकारियों- सुशांता मुखर्जी और अमृक सिंह के खिलाफ गवाही दी थी.
- ये मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा था. सुशांता मुखर्जी और अमृक सिंह पर आरोप था कि वो काम के बदले में शराब कारोबारियों से हर महीने 4-5 महंगी शराब की बोतल लेते थे. महेंद्रू की गवाही की बदौलत अदालत ने दोनों अधिकारियों को दोषी पाया था.
नायर और महेंद्रू पर क्या हैं आरोप?
- CBI की FIR के मुताबिक, मनीष सिसोदिया के कथित सहयोगी अर्जुन पांडे ने शराब कारोबारी समीर महेंद्रू से 2 से 4 करोड़ रुपये लिए थे. ये रकम विजय नायर की ओर से ली गई थी.
- CBI ने इस मामले में कई पूर्व सरकारी अफसरों को भी आरोपी बनाया है. FIR के मुताबिक, अर्जुन रामचंद्र पिल्लई ने समीर महेंद्रू से पैसे लिए और इसे अफसरों को दिए.
- FIR में दावा किया गया है कि मनीष सिसोदिया के 'करीबी' अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे शराब लाइसेंसधारियों से जो रकम लेते थे, उसे सरकारी अफसरों के लिए डायवर्ट करते थे.
- CBI ने अपनी FIR में ये भी दावा किया है कि समीर महेंद्रू ने राधा इंडस्ट्रीज को 1 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा के पास इस कंपनी का प्रबंधन है.
इस मामले के कितने किरदार?
- CBI ने अपनी FIR में 15 लोगों को आरोपी बनाया है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अब तक की जांच में सामने आया है कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रू एक्साइज पॉलिसी बनाने और उसे लागू करने में हुई कथित अनियमितताओं में शामिल थे. समीर महेंद्रू को सिसोदिया का करीबी बताया जाता है.
- FIR में सिसोदिया के तीन और करीबियों- अमित अरोड़ा (बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर), दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे का नाम भी शामिल है. आरोप है कि इन्होंने आरोपी सरकारी अफसरों की मदद से शराब लाइसेंसधारियों से पैसा इकट्ठा किया और उसे दूसरी जगह डायवर्ट किया.
- CBI ने आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं में केस दर्ज किया है. इनमें तीन पूर्व सरकारी अफसर एजी कृष्णा (पूर्व एक्साइज कमिश्नर), आनंद तिवारी (पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर) और पंकज भटनागर (पूर्व असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर) का नाम भी शामिल है.
- FIR में कुल 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों के नाम शामिल हैं.
मनीष सिसोदिया पर कौन-कौन से आरोप?
- शराब कारोबारियों को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. इसके लिए कोरोना का बहाना बनाया गया. आरोप है कि इस छूट के लिए कैबिनेट को लूप में नहीं रखा गया, बल्कि मंत्री स्तर पर ही फैसला ले लिया गया.
- एक्साइज डिपार्टमेंट ने एयरपोर्ट जोन में L1 लाइसेंसधारी को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए थे, क्योंकि उसे एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से दुकान खोलने की अनुमति नहीं मिली थी. जबकि, ये रकम जब्त की जानी थी.
- इसके अलावा विदेशों से आने वाली बीयर पर 50 रुपये प्रति केस के हिसाब से रकम ली जाती थी. इस फैसले को भी बिना किसी मंजूरी के वापस ले लिया गया. इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा.
- इतना ही नहीं, आरोप ये भी हैं कि L7Z और L1 लाइसेंसधारियों का लाइसेंस पहले 1 अप्रैल से 31 मई और फिर 1 जून से 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया और इसके लिए एलजी की मंजूरी भी नहीं ली गई.