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दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों कहा- यासीन मलिक की तुलना ओसामा बिन लादेन से नहीं की जा सकती

एनआईए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस मामले में हाईकोर्ट ने यासीन मलिक को अदालत में 9 अगस्त को पेश होने का आदेश दिया है. एनआईए का कहना है कि यासीन मलिक ने जो किया, वो 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' है, इसलिए उसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए.

यासीन मलिक. (फाइल फोटो) यासीन मलिक. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

उम्रकैद की सजा काट रहे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को क्या फांसी होगी? इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में बहस चल रही है. एनआईए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की है. इसे लेकर हाईकोर्ट ने यासीन मलिक को नोटिस जारी कर 9 अगस्त को पेश होने को कहा है.

एनआईए की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच सुनवाई कर रही है. वहीं, एनआईए की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं.

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तुषार मेहता ने हाईकोर्ट में दलील दी कि यासीन मलिक आतंकी और अलगाववादी गतिविधि में शामिल रहा है और इसे 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मानते हुए फांसी की सजा दी जानी चाहिए.

मेहता ने कहा कि यासीन मलिक वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या में शामिल रहा है. यहां तक कि उसने तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के बेटी को भी अगवा कर लिया था, जिसके बदले में खूंखार आतंकियों को छोड़ना पड़ा था. इनमें से चार आतंकी मुंबई हमले के मास्टरमाइंड थे.

इसपर अदालत ने कहा कि यासीन मलिक को आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) के तहत दोषी ठहराया गया है, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है. इस कारण कोर्ट ने यासीन मलिक को नोटिस जारी किया है.

... जब हुआ लादेन का जिक्र

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- सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने कहा, 'कोई भी आतंकवादी यहां आ सकता है, आतंकी गतिविधि कर सकता है, उसे दोषी दोषी ठहराया जाता है और कोर्ट कहती है कि उसने गुनाह कबूल कर लिया, इसलिए उसे उम्रकैद की सजा दे सकते हैं, फांसी की नहीं.'

- उन्होंने कहा कि यहां तक ओसामा बिन लादेन को भी यहां (भारतीय अदालत में) अपना गुनाह कबूल करने की इजाजत होती. उन्होंने कहा कि लादेन के साथ अमेरिका ने जो किया, वो शायद 'सही' था.

- इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक और लादेन की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि उसने (लादेन) कभी ट्रायल का सामना नहीं किया था. कोर्ट ने ये भी कहा कि विदेश संबंधों को प्रभावित करने वाले मामले पर टिप्पणी नहीं करेगी.

फांसी की मांग क्यों?

- दलील देते हुए मेहता ने कहा, यासीन मलिक ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान गया था, कश्मीर में पत्थरबाजी करवाता था और सोशल मीडिया पर 'अफवाहें' फैलाता था कि सुरक्षाबल उत्पीड़न कर रहे हैं.

- उन्होंने कहा, जब कोई व्यक्ति सशस्त्र विद्रोह कर रहा है, सेना के लोगों की हत्या कर रहा है और देश के एक इलाके को अलग बताकर प्रचारित कर रहा है और फिर भी अगर ये 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' नहीं है तो फिर कुछ भी रेयरेस्ट नहीं हो सकता. 

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- मेहता ने कहा, यहां तक कि ट्रायल कोर्ट ने भी अपने आदेश में माना था कि भले ही मलिक ने दावा किया था कि 1994 में उसने हथियार डाल दिए थे, लेकिन उसमें कोई सुधार नहीं हुआ था और न ही उसने अपनी हिंसक गतिविधियों पर कभी खेद जताया था.

- एनआईए ने अदालत में मलिक को फांसी की सजा की मांग करते हुए कहा कि अगर उसे सिर्फ इसलिए मौत की सजा नहीं दी जाती, क्योंकि उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, तो ये आतंकवादियों के पास मौत की सजा से बचने का एक तरीका बन जाएगा.

- एनआईए की याचिका में कहा गया है, 'इस तरह के खूंखार आतंकी को मौत की सजा नहीं देना न्याय से मुंह मोड़ना होगा. आतंकवाद समाज के खिलाफ अपराध नहीं है, बल्कि पूरे देश के खिलाफ अपराध है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये 'बाहरी आक्रमण', 'युद्ध' और 'राष्ट्र की संप्रभुता को अपमानित' करने का काम है.

पिछले साल मिली थी उम्रकैद की सजा

- पिछले साल 24 मई को एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

- यासीन मलिक को ट्रायल कोर्ट ने यूएपीए की धारा 121 और धारा 17 (टेरर फंडिंग) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी. यानी, दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा मिली थी.

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- इसके अलावा मलिक को पांच अलग-अलग मामलों में 10-10 साल और तीन अलग-अलग मामलों में 5-5 साल जेल की सजा सुनाई थी.

 

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