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सीएम-पीएम को गिरफ्तार करने के नियम क्या हैं, क्या सीबीआई सीधे कर सकती है अरेस्ट

दिल्ली के कथित शराब घोटाले के सिलसिले में रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से 9 घंटे पूछताछ हुई. उनसे 56 सवाल किए गए. इस बीच आम आदमी पार्टी ने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका भी जताई है. ऐसे में जानते हैं कि देश में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की गिरफ्तारी को लेकर नियम क्या हैं?

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका भी जताई जा रही है. (फाइल फोटो-PTI) दिल्ली के कथित शराब घोटाले में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका भी जताई जा रही है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:24 PM IST

दिल्ली के कथित शराब घोटाले की आंच अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक आ गई है. रविवार को सीबीआई ने सीएम केजरीवाल से 9 घंटे तक पूछताछ की. सीबीआई दफ्तर से निकलने के बाद रविवार रात केजरीवाल ने मीडिया को बताया, 'मुझसे 56 सवाल पूछे गए. मैंने सभी के जवाब दिए. जैसा कि पहले भी कह चुके हैं हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है. ये पूरा शराब घोटाला फर्जी और घटिया राजनीति से प्रेरित है. हम मर जाएंगे लेकिन ईमानदारी से समझौता नहीं करेंगे.'

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रविवार को जिस समय सीबीआई दफ्तर में सीएम केजरीवाल से पूछताछ चल रही थी, तब आम आदमी पार्टी ने आशंका जताई थी कि उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है. इसे लेकर पार्टी ने देर शाम इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई थी. हालांकि, सीबीआई ने पूछताछ के बाद केजरीवाल को वापस भेज दिया. 

हालांकि, इन सबके बीच सवाल उठता है कि क्या किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है? अगर हां तो कब और कैसे? कानूनी प्रावधान क्या हैं?

मुख्यमंत्री को कब गिरफ्तार किया जा सकता है?

- कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली है. ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है, क्रिमिनल मामलों में नहीं.

- इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है. धारा ये भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है.

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- इतना ही नहीं, संसद परिसर या विधानसभा परिसर या विधान परिषद के परिसर के अंदर से भी किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं ले सकते, क्योंकि अध्यक्ष या सभापति का आदेश चलता है. 

क्रिमिनल मामलों में हो सकती है गिरफ्तारी

- चूंकि प्रधानमंत्री संसद के और मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य होते हैं, इसलिए उन पर भी यही नियम लागू होता है. ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में मिली है. क्रिमिनल मामलों में नहीं.

- यानी, क्रिमिनल मामलों में संसद के सदस्य या विधानसभा के सदस्य या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है, लेकिन उसकी जानकारी अध्यक्ष या सभापति को देनी होती है.

राष्ट्रपति-राज्यपाल की गिरफ्तारी पर क्या है नियम?

- संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को छूट दी गई है. इसके तहत, राष्ट्रपति या किसी राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है. कोई अदालत उनके खिलाफ कोई आदेश भी जारी नहीं कर सकती. 

- राष्ट्रपति और राज्यपाल को सिविल और क्रिमिनल, दोनों ही मामलों में छूट मिली है. हालांकि, पद से हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है.

क्या है शराब घोटाला?

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- दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत शराब के कारोबार से सरकार बाहर आ गई और सब निजी हाथों में चला गया. 

- 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में सिसोदिया पर आरोप लगा कि उन्होंने गलत मकसद के साथ नई शराब नीति तैयार की. लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया. और तो और कथित तौर पर एलजी और कैबिनेट की मंजूरी लिए बगैर ही शराब नीति में अहम बदलाव भी कर दिए.

- मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया. इसमें मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया.

- चूंकि, मनीष सिसोदिया के पास एक्साइज डिपार्टमेंट था, इसलिए उन्हें दिल्ली के इस कथित शराब घोटाले में मुख्य आरोपी बनाया गया. कई बार पूछताछ के बाद सीबीआई ने 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि आबकारी मंत्री होने के नाते सिसोदिया ने 'मनमाने' और 'एकतरफा' फैसले लिए, जिससे खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और शराब कारोबारियों को फायदा हुआ. 

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- मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. आरोप लगा कि एयरपोर्ट जोन में लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ वापस कर दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी, क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी थी.

- इतना ही नहीं, एक्साइज डिपार्टमेंट ने बिना किसी मंजूरी के विदेशी शराब की कीमतें तय करने का फॉर्मूला संशोधित किया और बीयर पर 50 रुपये प्रति केस की एक्साइज ड्यूटी लेवी हटा दी. आरोप यहीं खत्म नहीं हुए. सिसोदिया पर ये भी आरोप लगा कि उन्होंने बिना किसी मंजूरी के एक्साइज ड्यूटी को दो बार- 1 अप्रैल से 31 मई और 1 जून से 31 जुलाई तक बढ़ा दिया.

 

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