
कहीं पटाखे फूटेंगे... कहीं सिर्फ दीये जलेंगे... कुछ इस तरह होगी इस बार की दिवाली.
प्रदूषण की वजह से पटाखों को लेकर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं हैं. पटाखों पर लगी पाबंदी को हटाने के लिए जब याचिका दायर की गई तो सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जश्न मनाने के तरीके और भी हैं. आप अपना पैसा मिठाई पर खर्च करें.
पटाखों पर पाबंदियों की वजह से इसके कारोबार से जुड़े लोगों पर असर भी पड़ रहा है. तमिलनाडु का शिवाकाशी पटाखों का बड़ा हब है. शिवाकाशी की पटाखा इंडस्ट्री से 6.5 लाख परिवार जुड़े हुए हैं. इन परिवारों का खर्च इसी से चलता है. कोरोना से पहले यहां की पटाखा इंडस्ट्री हर साल 6 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करती थी. पर पहले कोरोना और फिर पाबंदियों की वजह से इंडस्ट्री को धक्का लगा है.
कुछ राज्यों में तो पटाखों को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पटाखे तो फोड़ सकते हैं, लेकिन सिर्फ ग्रीन. जबकि, दिल्ली में तो किसी भी तरह का पटाखा नहीं फोड़ सकते. इतना ही नहीं, दिल्ली में अगर पटाखा फोड़ भी लेते हैं तो 6 महीने की जेल हो जाएगी. जुर्माना भी लगेगा.
पटाखों को लेकर किस राज्य में क्या नियम?
- दिल्लीः सारे तरह के पटाखों की बिक्री, भंडारण और मैनुफैक्चरिंग पर पूरी तरह रोक है. पटाखे जलाने पर 6 महीने की कैद और 200 रुपये के जुर्माने की सजा होगी. जबकि बनाने, बेचने और स्टोर करने पर 3 साल की जेल और 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
- पंजाबः दिवाली के दिन रात में 8 बजे से लेकर 10 बजे तक सिर्फ दो घंटे ही पटाखे फोड़ने की अनुमति होगी. सिर्फ ग्रीन पटाखे ही फोड़ सकेंगे. पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह ने बताया है कि ग्रीन पटाखों के अलावा बाकी सभी दूसरे तरह के पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक रहेगी.
- हरियाणाः राज्य में ग्रीन पटाखों को छोड़कर बाकी सारे पटाखों की बिक्री, भंडारण और मैनुफैक्चरिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सरकारी आदेश के मुताबिक, बाकी सारे पटाखों से जहरीली गैस निकलती है, इसलिए ग्रीन पटाखों को छोड़कर बाकी सभी तरह के पटाखों पर रोक है.
- पश्चिम बंगालः यहां भी ग्रीन पटाखों को छोड़कर बाकी सभी तरह के पटाखों की बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध है. काली पूजा और दिवाली के दिन रात 8 बजे से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति होगी. छठ पूजा के दिन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक पटाखे चला सकेंगे.
- तमिलनाडुः राज्य में पिछले चार साल से पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे का समय तय है. तमिलनाडु में सुबह 6 से 7 बजे तक और रात में 7 से 8 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं. पुडुचेरी में पटाखे फोड़ने के लिए यही समय तय किया गया है.
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क्या पटाखों से वाकई प्रदूषण बढ़ता है?
कुछ सालों से दिवाली आते ही पटाखों की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी जाती है. खासकर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि खराब होती हवा को और खराब होने से बचाया जा सके.
फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक स्टडी की थी. इसके लिए 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था. डेटा के आधार पर दावा किया गया था कि दिवाली के अगले दिन दिल्ली में हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ गई थी. वहीं, दिवाली की शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हुई थी.
इसी तरह मई 2021 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में 2020 की दिवाली के पहले और बाद के वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की जानकारी दी गई थी. इस रिपोर्ट में दिल्ली, भोपाल, आगरा, बेंगलुरु समेत 8 शहरों का डेटा था.
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि दिवाली के बाद अगले दिन 8 शहरों में PM10 की मात्रा में 22% से 114% की बढ़ोतरी हो गई थी. इसके मुताबिक, दिवाली के बाद दिल्ली में PM10 की मात्रा 67.1% बढ़ गई थी. जबकि, लखनऊ में ये 114% बढ़ गई थी. वहीं, दिल्ली में PM2.5 की मात्रा 82.9% और लखनऊ में 67.6% तक बढ़ गई थी.
वातावरण में मौजूद PM2.5 बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है. PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रॉन का कण. माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा. हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है.
दिवाली वाले पटाखे कितने खतरनाक होते हैं? इसे कुछ आंकड़ों से भी समझा जा सकता है. पिछले साल 4 नवंबर को दिवाली थी. CPCB का डेटा बताता है कि 3 नवंबर को दिल्ली में AQI 314 के स्तर पर था, जो 4 नवंबर को बढ़कर 382 पर आ गया और अगले दिन यानी 5 नवंबर को 462 पर आ गया.
पटाखों पर क्या है गाइडलाइन?
पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक नहीं है. पिछली साल दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं है और केवल उन पटाखों पर रोक है जिनमें बेरियम सॉल्ट होता है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को सुप्रीम कोर्ट ने 'इमरजेंसी' बताया था.
इससे पहले 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक, ग्रीन पटाखे या ईको फ्रेंडली पटाखे ही जलाए जा सकते हैं. पटाखे भी सिर्फ लाइसेंसधारी दुकानदार ही बेच सकेंगे.
गाइडलाइन में पटाखों को फोड़ने का समय भी तय किया गया था. दिवाली रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़े जा सकते हैं. वहीं, क्रिसमस और न्यू ईयर की रात 11:55 से 12:30 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं.