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क्या है सीक्रेट सर्विस, जिसपर Trump की सुरक्षा का जिम्मा, FBI और CIA जैसी एजेंसियों से कितना अलग है काम?

डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर शनिवार को पेन्सिलवेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ, जिसमें गोली उनके कान को भेदते हुए निकल गई. हमला भले ही नाकाम हुआ लेकिन अमेरिका की सीक्रेट सर्विस पर सवाल उठ रहे हैं. जानिए, क्या है सीक्रेट सर्विस और किस तरह यूएसए की बाकी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से अलग है.

डोनाल्ड ट्रंप पर चुनावी रैली के दौरान जानलेवा अटैक हुआ. (Photo- AP) डोनाल्ड ट्रंप पर चुनावी रैली के दौरान जानलेवा अटैक हुआ. (Photo- AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST

शनिवार को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में एक बड़ी घटना घटी. राष्ट्रपति पद के दावेदार डोनाल्ड ट्रंप एक रैली में थे, जब उन्हें मारने की कोशिश हुई. गोली ट्रंप के कान से होते हुए निकल गई. अब ये बात हो रही है कि निशाना जरा भी इधर-उधर होता तो बड़ा नुकसान हो सकता था. इसके साथ ही सीक्रेट सर्विस भी घिरी हुई है. ये एजेंसी ट्रंप की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थी. रैली के दौरान भी एजेंट्स साथ ही थे, इसके बावजूद जानलेवा अटैक हुआ. 

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जाली करेंसी रोकने के लिए बनी थी

अमेरिका की सीक्रेट सर्विस साल 1865 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की शाखा के तौर पर शुरू हुई. पहले इसका काम डॉलर की जालसाजी को रोकना था. उस समय फेक करेंसी जमकर बनाई जा रही थी. कई रिपोर्ट्स यहां तक कहती हैं कि सिविल वॉर के दौरान बाजार में घूमती एक तिराई करेंसी जाली थी. साल 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई. इसके बाद वाइट हाउस हरकत में आया और तय किया गया कि सीक्रेट सर्विस को फेक करेंसी का चलन रोकने के साथ-साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा का भी जिम्मा दिया जाए. 

फिलहाल सीक्रेट सर्विस के हिस्से कई काम हैं. इसमें राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति की सुरक्षा के अलावा यूएस में आर्थिक घपलों पर नजर रखना भी शामिल है. 

और किन्हें सुरक्षा देती है एजेंसी

वक्त के साथ सीक्रेट सर्विस के काम का दायरा बढ़ता चला गया. पचास के दशक में फॉर्मर प्रेसिडेंट एक्ट पास हुआ, जो पूर्व राष्ट्रपतियों और उनके पति या पत्नी को पूरी जिंदगी प्रोटेक्शन देता है.. स्पाउस अगर दूसरी शादी कर लें तो सीक्रेट सर्विस उसे सुरक्षा नहीं देती. पूर्व राष्ट्रपतियों के 15 साल तक के बच्चों की सुरक्षा भी इसके जिम्मे है. लेकिन कई बार ये सुरक्षा लंबे समय तक भी मिलती है, अगर राष्ट्रपति खुद किसी वजह से ये डिमांड करें, या इस तरह की धमकियां मिलती दिख रही हों. 

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मेजर कैंडिडेंट्स को देती है सुरक्षा

ट्रंप को सुरक्षा केवल इसलिए नहीं मिल रही कि वे पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं, बल्कि इसका एक कारण और है. सीक्रेट सर्विस प्रेसिडेंट और वाइस-प्रेसिडेंट पद के सबसे मजबूत दावेदारों को चुनाव के 120 दिनों से पहले सुरक्षा देना शुरू कर देती है. ये वो समय है जब नेता सबसे ज्यादा रैलियां कर रहे होते हैं. वे लोगों से सीधे भी मिलते हैं. ऐसे में सुरक्षा काफी जरूरी है. यूनाइटेड स्टेट्स कोड के सेक्शन 3056 के तहत दावेदारों को सेफ्टी मुहैया कराई जाती है. 

राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल सारे लोग ही मेजर कैंडिडेट नहीं माने जाते, बल्कि सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी देखता है कि पद पर जाने की किनकी सबसे ज्यादा संभावनाएं हो सकती हैं. छुटपुट पार्टियों के कैंडिडेट को सुरक्षा नहीं दी जाती. इनके बारे में माना जाता है कि वे वोट काटने के लिए ही चुनाव में खड़े होते हैं. 

क्या ताकत होती है सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के पास

इनके पास वारंट इश्यू करने की पावर होती है, लेकिन ये एजेंट बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकते हैं. फायरआर्म्स रखने वाले कुल 3 हजार 2 सौ स्पेशल एजेंट्स हैं. सीक्रेट सर्विस की यूनिट में 13 सौ डिवीजन ऑफिसर्स और 2 हजार से ज्यादा टेक्निकल और सपोर्ट पर्सनल हैं. 

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कौन हैं एजेंसी के मुखिया
 

किंबरली ए चीटल सीक्रेट सर्विस की डायरेक्टर हैं. वे सितंबर 2022 से इसकी लीड कर रही हैं. फिलहाल चीटल पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं क्योंकि ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ. कई लोग दावे कर रहे हैं कि गोलीबारी से ठीक पहले उन्होंने सीक्रेट सर्विस को घटनास्थल पर संदिग्ध शख्स की मौजदूगी के बारे में बताया भी था, लेकिन इसपर कोई एक्शन नहीं हुआ. आम जनता समेत रिपब्लिकन्स भी चीटल से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. 

FBI और CIA से कितनी अलग है सीक्रेट सर्विस

अमेरिका में कई सुरक्षा एजेंसियां हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा ताकतवर माना जाता रहा. एफबीआई और सीआईए समेत सीक्रेट सर्विस भी इनमें से एक है. लेकिन तीनों के ही काम बिल्कुल अलग-अलग हैं. सीक्रेट सर्विस यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की शाखा है. ये पैसों के अलावा हाई-प्रोफाइल मामलों की तहकीकात करती है. 

FBI यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के तहत काम करने वाली संस्था है. ये पहले से जुटाई हुई खुफिया सूचनाओं को लेते हुए उसपर जांच-पड़ताल करती है. 

अब बात करें CIA की , तो ये सबसे शातिर संस्था है, जिसका काम विदेशी हरकतों और ग्लोबल मुद्दों पर नजर रखना और उनसे जुड़ी खुफिया जानकारियां राष्ट्रपति को देना है.  

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