
20 जनवरी को पूरी दुनिया की नजरें वॉशिंगटन पर लगी हुई थीं. राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने वादे पूरे करने की शुरुआत कर दी. उन्होंने कई अहम कार्यकारी आदेश दिए, जिनमें से एक है, देश में केवल दो जेंडरों को मान्यता देना. सालों से यूएस में थर्ड जेंडर भी हुआ करता था, जो अब से आधिकारिक तौर पर मान्य नहीं रहेगा. क्या इसका मतलब ये है कि खुद को ट्रांसजेंडर मानने वालों के पास आम अमेरिकी जैसे हक नहीं होंगे?
अमेरिका में ट्रांसजेंडरों की आबादी कितनी
यूएस में तीस साल के भीतर के लोगों में पांच फीसदी से कुछ ज्यादा लोग खुद को ट्रांसजेंडर या फिर नॉन-बायनरी मानते हैं, यानी जो खुद को किसी जेंडर में नहीं पाते. ये डेटा प्यू रिसर्च सेंटर का है और दो साल पुराना है. इस बीच संख्या काफी बढ़ी, लेकिन इसपर किसी का कोई निश्चित डेटा नहीं है.
यूसीएलए लॉ स्कूल में विलियम्स इंस्टीट्यूट ने भी इसपर एक रिसर्च की, जिसमें पाया गया कि अमेरिका में 13 साल की उम्र के ज्यादा के 16 लाख से ज्यादा लोग खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं. इसके अलावा वे लोग भी हैं, जो जन्म के समय खुद को मिले जेंडर से खुश नहीं, लेकिन खुलकर जता नहीं पाते. लगभग इतनी ही संख्या नॉन-बायनरी लोगों की है, जो अपने को किसी भी जेंडर में नहीं रखते.
क्या मतलब है ट्रांसजेंडर होने से
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ट्रांसजेंडर शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जो जन्म के समय डॉक्टरों द्वारा दिए गए जेंडर से खुद को अलग मानते हैं, या अलग चाहते हैं.
साल 2015 में मिली जगह
मॉडर्न देश होने के बावजूद अमेरिका में LGBTQ+ को तुरंत मंजूरी नहीं मिली, बल्कि इसके लिए हजारों प्रोटेस्ट और कैंपेन चले. नब्बे के दशक से हवा कुछ बदली. आगे चलकर साल 2015 में ओबामा सरकार ने कई फेडरल नीतियों में ट्रांसजेंडरों के लिए जगह बनाई. इसी साल सेम सेक्स शादियों को भी मान्यता मिली. साथ ही ट्रांस कपल के लिए बच्चों को गोद लेने की भी मंजूरी मिल गई. गोद देने वाली एजेंसियां इसके लिए होम स्टडी करती हैं कि बच्चों के लिए कैसा माहौल है, इसके बाद वे कानूनी प्रोसेस करती हैं. कई बार आवेदन रिजेक्ट भी हो जाता है लेकिन ये दर उतनी ही है, जितनी आम जोड़ों के एडॉप्शन के दौरान होता है.
ओबामा-ट्रंप-बाइडेन, लगातार हुए बदलाव
बेहद विवाद के बीच भी ओबामा प्रशासन ने थर्ड जेंडर के आर्मी में जाने पर भी हामी दे दी. बाद में डोनाल्ड ट्रंप ने इसपर रोक लगा दी थी, लेकिन बाइडेन सरकार ने आते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर देकर इसे पलट दिया. अब ये फैसला दोबारा पलटा जा चुका. ट्रंप ने ट्रांसजेंडरों के केवल सेना में जाने पर रोक नहीं लगाई, बल्कि सीधे-सीधे थर्ड जेंडर की मान्यता ही खत्म कर दी.
ट्रंप के वाइट हाउस आने से पहले ही ट्रांसजेंडरों के खिलाफ हवा चल पड़ी थी. द कन्वर्सेशन की एक रिपोर्ट में अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के हवाले से बताया गया कि इसी साल देश भर में 532 एंटी-LGBTQ बिल बने.
- इनमें से 208 बिल स्टूडेंट्स और शिक्षकों के अधिकारों को सीमित करते हैं.
- लगभग 70 बिल धार्मिक छूट से जुड़े हुए हैं और ट्रांसजेंडरों पर कई रोक लगाते हैं.
- 112 बिल हेल्थ से संबंधित हैं. जैसे ट्रांसजेंडरों का अपना पसंदीदा जेंडर पाने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट लेना.
अब क्या हो सकता है
ट्रंप ने केवल दो जेंडरों की बात की. इसका मतलब ये है कि जन्म के समय अस्पताल स्टाफ शिशु को पुरुष या महिला, जो भी जेंडर असाइन करे, वही उसका जेंडर होगा. बता दें कि एक्सटर्नल अंगों को देखते हुए डॉक्टर बर्थ सर्टिफिकेट पर उसे एक जेंडर देते हैं. खुद को ट्रांस मानने वाले इस जेंडर में बदलाव कर सकते थे. इसके लिए वे कानूनी और चिकित्सकीय दोनों ही तरह की मदद लेते थे. लेकिन अब उनके पास ये अधिकार नहीं रहेगा.
उनका क्या होगा, जो खुद ट्रांसजेंडर मानते हैं
बड़ी आबादी अपनी लैंगिक पहचान बदल चुकी, या बदलने की प्रोसेस में है. फिलहाल ये तय नहीं हो सका कि क्या उन्हें वापस अपनी असाइन्ड पहचान की तरफ लौटना होगा, या फिर वे उसी तरह रह सकेंगे. इतना तय है कि खेल से लेकर सेना में उनके रास्ते लगभग बंद हैं. यहां तक कि सरकारी कामों में भी उन्हें शायद ही लिया जाए. मान्यता खत्म होने के बाद ट्रांसजेंडरों को कानूनी दस्तावेजों में भी बदलाव कराना होगा.
क्या देश छोड़कर जा सकते हैं
अब तक अमेरिका के कई राज्य, जैसे कैलीफोर्निया, मैसाच्युसेट्स और वॉशिंगटन बाकी स्टेट्स की तुलना में ज्यादा मॉडर्न माने जाते थे, जहां ट्रांसजेंडरों की स्वीकार्यता थी. अब यहां भी रोकटोक हो सकती है. ऐसे में एक रास्ता पलायन भी हो सकता है. याद दिला दें कि ट्रंप की जीत के एलान के साथ ही सोशल मीडिया पर कई वीडियो आने लगे, जिसमें थर्ड जेंडर दूसरे देशों की तरफ जाने की बात कर रहे थे. इनमें कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड जैसे देशों की चर्चा सबसे ज्यादा थी. यहां ट्रांसजेंडरों को लेकर खुलापन है और अमेरिकी लोगों को आसानी से एंट्री मिल जाती है. ऐसे में यह भी हो सकता है कि कुछ समय के लिए ट्रांस आबादी दूसरे देशों में रहने चली जाए, और वहीं से आंदोलन करती रहे. हालांकि कनाडा और जर्मनी में भी अभी दक्षिणपंथी हवा है, ऐसे में लगता नहीं कि थर्ड जेंडर जनसंख्या का वहां भी उस ढंग से वेलकम होगा.
एक तरीका ये भी है कि वे अपने देश में ही रहते हुए मानवाधिकार आंदोलन करते रहें. कई एनजीओ उनके अधिकारों पर काफी काम कर रहे हैं. वे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं. कोर्ट के पास भी ट्रंप के एग्जीक्यूटिव आदेशों को पलटने का अधिकार रहता है, हालांकि वो कम ही इसमें फंसती है.