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क्यों लोग कुत्ता-बिल्ली छोड़कर सांप-मगरमच्छ पालने लगे हैं, भारत में किस जानवर की सबसे ज्यादा हो रही तस्करी?

कुछ महीनों पहले अमेठी में एक शख्स के सारस पक्षी पालने का मामला चर्चा में रहा था. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पक्षी को घर से छुड़ाकर रायबरेली के पक्षी विहार में रखा गया. ये अकेला मामला नहीं. दुनियाभर में पालतू जानवरों की बजाए एग्जॉटिक पशु-पक्षियों को पालने का चलन बढ़ रहा है. लोग कुत्ते-बिल्लियों के अलावा अजगर और कछुए तक पाल रहे हैं.

एग्जॉटिक पशुओं को पालतू की तरह रखने का चलन बढ़ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) एग्जॉटिक पशुओं को पालतू की तरह रखने का चलन बढ़ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

हमारे यहां पहले गाय-बकरी, या कुत्ते-बिल्लियां ही पाले जाते थे. लेकिन अब पालतू जानवरों की लिस्ट काफी लंबी-चौड़ी हो चुकी. लोग, खासकर शहरों में रह रहे रईस ऐसे जानवर पालना चाहते हैं, जो एग्जॉटिक हो, मतलब पालतू की श्रेणी में न आता हो, जंगलों में मिलता है, और कम से कम मिले, तो और भी बढ़िया. साल 2020 में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी ने एक रिपोर्ट रिलीज की, जिसमें दावा किया गया कि भारत में भी बाकी दुनिया की तरह एग्जॉटिक पशुओं को पालने का ट्रेंड बढ़ा है. 

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बाजारों में फल-सब्जियों के बीच होती है अवैध बिक्री

रिपोर्ट में पूरे देश के 25 ऐसे बाजार पहचाने गए, जहां गैरकानूनी तरीके से जंगली पशु बिकते हैं, फिर चाहे खरीदने वाला उसे पाले, या काटकर पका ले. इसमें पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा, 14 मार्केट हैं, जहां सीफूड के नाम पर चुपके से जंगली पशु भी बेचे जाते हैं. समय-समय पर इन बाजारों पर छापा पड़ता रहा लेकिन थोड़े दिन बाद तस्कर दोबारा एक्टिव हो जाते हैं. 

भारत में पक्षियों की डिमांड ज्यादा

हमारे यहां सबसे ज्यादा मांग एग्जॉटिक पक्षियों की है. बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने जुलाई 2021 में कहा कि यहां पर अलग देशों के जंगली पक्षियों की डिमांड बढ़ रही है. लोग शौक के लिए ऐसे पक्षियों को पालते हैं, लेकिन अलग देश और अलग तापमान के लिए बनी ये बर्ड्स जल्द ही खत्म हो जाती हैं.

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पक्षियों की ये मांग इतनी ज्यादा है कि हर साल गैरकानूनी ढंग से 7 से 23 बिलियन डॉलर तक का ट्रेड होता है. इस आंकड़े में फर्क इसलिए दिख रहा है क्योंकि सारा काम अवैध ढंग से चलता है. संस्था ने यह भी माना कि व्यापार इससे ज्यादा का भी हो सकता है. 

ये पक्षी पाले जा सकते हैं 

वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के मुताबिक भारत में ज्यादातर पक्षियों को पालना गैरकानूनी है लेकिन बहुत से एग्जॉटिक पक्षियों को पालने की इजाजत भी है. जैसे विदेशी नस्ल के तोते, लव बर्ड्स, कबूतर, मकाऊ, जेब्रा फिंच और टुकैन. हालांकि इन्हें रजिस्टर्ड दुकान से ही खरीदना होता है, साथ ही कुछ औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं ताकि राज्य सरकार को जानकारी रहे. बहुत से पक्षी भारत के मौसम में जिंदा नहीं रह पाते, उनकी बिक्री-खरीदी अवैध है. 

रेप्टाइल्स की तस्करी भी काफी ज्यादा

इंटरनेशनल पत्रिका जर्नल ऑफ थ्रेटेंड टाक्सा की साल 2021 की रिपोर्ट इस खतरनाक ट्रेंड के बारे में बताती है. इसके मुताबिक हमारे यहां बेचे जा रहे सांप और कछुए जैसे जीवों की 84 एग्जॉटिक स्पीशीज में से 5 वो प्रजातियां हैं, जो गायब होने के गंभीर खतरे में हैं, जबकि 9 खतरे में हैं. खुद इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इन्हें विलुप्त होने वाली श्रेणी में रखा. 

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इस पशु की सबसे ज्यादा ट्रैफिकिंग

दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रैफिक्ड हो रहे पशुओं में पेंगोलिन का नाम टॉप पर है. लगभग दो साल पहले एनवायरमेंटल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (EIA) की एक रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया था. एजेंसी ने पेंगोलिन नाम के जंगली पशु की तस्करी पर बात करते हुए कई ऑनलाइन साइट्स पर आरोप लगाया. उसका कहना था कि दवाएं बेचने वाली बहुत सी वेबसाइट्स पर पेंगोलिन के शरीर से बने उत्पाद बेचे जा रहे हैं.

2 सौ से ज्यादा कंपनियों ने बाकायदा लाइसेंस ले रखा है, जिसमें वे पेंगोलिन की स्केल्स से बनी दवाएं और कॉस्मेटिक्स बेचने का दावा करती हैं. एजेंसी समेत पशुओं और पर्यावरण पर काम करने वाली कई संस्थाओं ने आशंका जताई कि जल्द ही पेंगोलिन भी विलुप्त हो जाएंगे. 

क्यों हैं खतरे में 

पेंगोलिन की कुछ 8 प्रजातियां हैं, जिनमें से पांच प्रजातियों के बारे में माना जा रहा है कि वो आने वाले कुछ सालों में खत्म हो जाएंगी. बाकी तीन के बारे में अंदेशा है कि वे इससे भी कहीं जल्दी गायब होने वाली हैं. ये सभी वे स्पीशीज हैं, जो किसी न किसी तरह से ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन में उपयोग की जाती हैं. यानी चीन इस जानवर की तस्करी और उसे मारने में सबसे आगे है.

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भारत में ये हैं तस्करी के रास्ते

जंगली पशु-पक्षियों की तस्करी पर नजर रखने वाली संस्था ट्रैफिक (TRAFFIC) ये भी देखती है कि किस देश में तस्करी के रास्ते कौन-कौन से हैं ताकि सरकारें उनपर पहरे लगा सकें. भारत में कुछ कॉमन रास्तों से एग्जॉटिक एनिमल लाए जाते हैं. भारत-नेपाल और भारत-म्यांमार सीमा से अवैध तस्करी ज्यादा होती है.  खासकर राइनो हॉर्न्स और पेंगोलिन यहीं से होते हुए दीमापुर, गुवाहाटी और इंफाल के जरिए भीतर आते हैं. पक्षियों और रेप्टाइल्स की तस्करी बांग्लादेश के रास्ते से होती रही. हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल के दुआर से होते हुए सबसे ज्यादा एग्जॉटिक पशुओं का लेनदेन हो रहा है. 

चीन में सबसे ज्यादा चलन

वैसे तो तकरीबन सारे देशों में जंगली पशुओं को पालने का चलन बढ़ा, लेकिन चीन यहां बाजी मार रहा है. यहां पर 1 मिलियन से ज्यादा लोग गैर-पारंपरिक एनिमल्स को पालतू बनाए हुए हैं, जैसे अजगर, बंदर, मगरमच्छ, जहरीली मकड़ियां और चमगादड़. कोविड के बाद से हालांकि चीन की सरकार ने कथित तौर पर रोक लगाने की कोशिश भी की.

जंगली पशुओं से जूनोटिक डिजीज का खतरा रहता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

क्यों है खतरनाक

खुद सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन मानता है कि जंगली पशुओं के सीधे संपर्क में आना इंसानों के लिए खतरनाक हो सकता है. इससे कई तरह की ऐसी बीमारियां हो सकती हैं, जिनका हमारे पास अभी कोई इलाज नहीं. बता दें कि कोरोना के फैलने पर भी कहा गया था कि ये चीन के वेट मार्केट से आया, जहां एग्जॉटिक पशु जैसे चमगादड़ वगैरह बेचे जाते हैं.

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इस देश में जू में तैयार हो रहे जानवर

एग्जॉटिक पशु वैसे तो जंगलों से लाए जाते हैं, लेकिन कई देश इन्हें बाकायदा फैक्ट्री में तैयार करने लगे हैं. मिसाल के तौर पर निकारागुआ. इस मध्य अमेरिकी देश में तिकुआंतेपे एक खास तरह का जू है, जहां एग्जॉटिक जानवरों की ब्रीडिंग होती है. यहां अधिकतर रेप्टाइल्स जैसे सांपों की किस्मों की ब्रीडिंग होती है. तिकुआंतेपे नाम के इस चिड़ियाघर ने इसके लिए लाइसेंस ले रखा है. वे कुल मिलाकर 18 एग्जॉटिक पशु-पक्षियों की ब्रीडिंग करते और यहां से उसे दूसरे देशों को एक्सपोर्ट करते हैं.

 

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