
18वीं लोकसभा के लिए शपथ ग्रहण के दौरान हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ अलग कर दिया. उन्होंने शपथ लेते हुए जय फिलिस्तीन का नारा लगा दिया. इसके बाद से मुद्दा गरमाया हुआ है. यहां तक कि उनका पद निरस्त करने तक की मांग हो रही है. इस बीच गुरुवार को अज्ञात बदमाशों ने कथित तौर पर ओवैसी के दिल्ली वाले आवास पर काली स्याही फेंक दी. काली स्याही को राजनैतिक विरोध में हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा. ये ट्रेंड दुनियाभर में है.
कुछ समय पहले अज्ञात लोगों ने रूसी कांसुलेट पर सॉस में रंगे नूडल्स फेंककर विरोध जताया था. इसकी तस्वीरें ले ली गईं, जो सोशल मीडिया पर फैल गईं. इसके बाद बात होने लगी कि नूडल्स या खाने की डिश फेंकना भी प्रोटेस्ट का नया चेहरा हो सकता है. वैसे पूरे संसार में ही शांतिपूर्ण विरोध के तरीके एक से रहे. लोग या तो नारे लगाते हैं, या फिर जिस लीडर का विरोध हो रहा है, उसकी तस्वीर पर कालिख पोत देते हैं. कुछ दशकों पहले सड़े हुए अंडे-टमाटर-आलू फेंकना भी चलन में आया. अमेरिका से लेकर अफ्रीका और भारत में भी ये अलग नहीं.
लोग खाने को क्यों बनाते रहे प्रोटेस्ट का हथियार
इसके पीछे अलग-अलग मत दिए जाते हैं. जैसे ये सस्ते होते हैं, या फिर अगर किसी विरोधी लीडर पर खाने की चीजें फेंकी जाएं तो बड़ा नुकसान नहीं होता, लेकिन मैसेज भी पहुंच जाता है. नारेबाजियां आम हैं, लेकिन अंडे-आलू उछालना कॉमन लगने के बावजूद अलग है. सबसे बड़ी बात, चूंकि इसमें जिसका विरोध हो रहा है, उसे बड़ा शारीरिक नुकसान नहीं होता, लिहाजा सजा भी छोटी होती है.
इतना पुराना है ट्रेंड
सबसे पहले 63 ईस्वी में खाना फेंककर विरोध जताने का प्रमाण मिला था. तब अफ्रीका के गर्वनर वेस्पेसिअन, जो बाद में वहां के शासक बने थे, पर शलजम फेंका गया था. वहां के लोग गर्वनर पर नाराज थे क्योंकि क्षेत्र में खाने की भारी कमी थी. इसके बाद से अंडे, टमाटर, आलू-मूली यहां तक कि एपल पाई भी प्रोटेस्ट टूल बनने लगे.
अंडों का पश्चिम में काफी चलन
पश्चिम में खासकर अंडे खूब चलन में थे. 18वीं सदी में जनता विरोध जताने के लिए शासकों से लेकर सजा देने के लिए अपराधियों पर भी अंडे बरसाती थी. पॉलिटिकल प्रोटेस्ट में ये आज भी सबसे लोकप्रिय हथियार है. सबसे बड़ा एग-प्रोटेस्ट अगस्त 2013 में दिखा था. तब किसानों ने यूरोपियन यूनियन की नीतियों के विरोध में लगातार कई दिनों तक लाखों अंडे सड़कों पर फेंके थे.
सड़े हुए टमाटर भी राजनेताओं पर जमकर फेंके जाते रहे. हालांकि कई फिल्मी रिव्यू वेबसाइट्स का कहना है कि नेताओं से पहले कलाकारों को इस विरोध का सामना करना पड़ा था. न्यूयॉर्क टाइम्स के एक आर्टिकल में जिक्र है कि साल 1883 में जॉन रिची नाम के एक्टर पर परफॉर्मेंस के दौरान ही टमाटरों की बारिश हुई.
कैसे-कैसे होता रहा प्रोटेस्ट
अलग-अलग देश के लोग अपने यहां की खाने की चीजों को प्रोटेस्ट का हथियार बनाते रहे. जैसे इटली में महंगाई के विरोध में नेताओं के घरों या खुद उनपर खराब पास्ता, मोजेरिला और फफूंद लगी चीज फेंकते रहे. अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कथित भारी-भरकम खर्चों पर गुस्साए लोगों ने उन्हें मार्शमैलो (एक तरह की कैंडी) के बैग भर-भरकर भेजे थे. मैक्सिको में टॉरटिला (मकई से बनी चिप्स) प्रोटेस्ट हुआ था, जहां लोग सड़कों पर टॉरटिला फेंक रहे थे. ये कॉर्न की खेती को लेकर प्रदर्शन था.
गेट्स के चेहरे पर क्रीम मल दी गई थी
बिल गेट्स और रूपर्ट मर्डोक के विरोध में लोगों ने उनके मुंह पर क्रीम पाई लगा दी थी. देखने में ये बचकाना लगेगा, लेकिन इसका असर काफी गहरा होता है. फरवरी 1998 में बिजनेस लीडर्स से मिलने जा रहे गेट्स के चेहरे पर जब क्रीम पुती, वे काफी देर तक परेशान रहे. यहां तक कि बाद में उनका सुरक्षा घेरा काफी मजबूत कर दिया गया. हालांकि गेट्स ने ऐसा करने वाले को कोई सजा नहीं दिलवाई.
क्या मालमा है ओवैसी का
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को दावा किया कि उनके दिल्ली स्थित आवास पर अज्ञात बदमाशों ने काली स्याही फेंक दी और इजरायल के सपोर्ट में पोस्टर लगाए. ओवैसी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. बता दें कि ओवैसी द्वारा संसद में शपथ लेने के दौरान जय फिलिस्तीन बोलने पर विवाद हुआ था. इसकी संसद के अंदर और बाहर भी निंदा हुई थी. तभी से उनका विरोध हो रहा है.