
फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) पर कई महीनों से काफी बात हो रही थी. अंदाजा लगाया जा रहा था कि म्यांमार से सटी भारतीय सीमा में इसपर रोक लग सकती है. असल में इसके जरिए म्यांमार से उग्रवादी ताकतें देश के भीतर आ रही थीं, यहां तक कि धड़ल्ले से तस्करी भी हो रही थी. इसे रोकने के लिए FMR को बंद करने की बात हुई. अब गृह मंत्रालय की तरफ से इसपर आधिकारिक आदेश भी आ चुका.
क्यों दी गई थी छूट
मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं म्यांमार से सटी हुई हैं. ये बॉर्डर 1600 किलोमीटर लंबा है. दोनों ही सीमाओं पर पहाड़ी आदिवासी रहते हैं, जिनका आपस में करीबी रिश्ता रहा. उन्हें मिलने-जुलने या व्यापार के लिए वीजा की मुश्किलों से न गुजरना पड़े, इसके लिए भारत-म्यांमार ने मिलकर ये तय किया कि सीमाएं 16 किलोमीटर तक वीजा-फ्री कर दी जाएं.
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कब शुरू हुआ बंदोबस्त
साल 2018 में मुक्त आवाजाही पॉलिसी बनी, जो भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत आती थी. इसके तहत देश दक्षिण पूर्व के अपने पड़ोसियों से मेलजोल बनाकर रखने पर जोर देता रहा. इसमें आर्थिक और सामाजिक दोनों ही मेलमिलाप शामिल हैं. इसका एक मकसद ये भी है कि चीन के साथ शक्ति का संतुलन बना रह सके.
किस तरह की छूट थी FMR में
भारत-म्यांमार मुक्त आवाजाही के लिए जो पास जारी होता, वो सालभर के लिए वैध होता, और एक बार सीमा पार करने वाले 2 हफ्ते तक दूसरे देश में बिना किसी परेशानी के रह सकते थे. इसके अलावा इस सीमा के भीतर स्थानीय व्यापार भी होता और पढ़ने-लिखने के लिए भी म्यांमार से लोग यहां तक आने लगे.
किन राज्यों की कितनी सीमा म्यांमार से सटी
दोनों देशों के बीच ज्यादातर सीमा पर कोई फेंसिंग नहीं.
मणिपुर में 10 किलोमीटर का हिस्सा ही बाड़ों से घिरा हुआ है, जबकि बाकी लगभग 4 सौ किलोमीटर का हिस्सा खुला हुआ है.
इसी तरह मिजोरम और अरुणालय प्रदेश में 5 सौ से ज्यादा किलोमीटर सीमा खुली हुई है.
ये घुसपैठियों के लिए सबसे आसान रास्ता है. यहीं से वे अवैध तौर पर आते और नशे की तस्करी भी करते रहे.
मणिपुर हिंसा के दौरान लगे आरोप
पिछले साल गर्मियों में शुरू हुई मणिपुर हिंसा के दौरान साफ हुआ कि इसकी एक वजह राज्य में घुसपैठियों का होना भी है. वे अपनी आइडियोलॉजी का असर लोकल लोगों पर डाल रहे हैं. साथ ही हथियारों का लेनदेन भी हो रहा है. पिछले साल मई में हिंसा शुरू होने से ठीक पहले मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने प्रेस कांफ्रेस में म्यांमार से बड़ी संख्या में रिफ्यूजियों के आने की बात कही थी. बहुतों को डिटेन भी किया गया था. इसे रोकने के लिए FMR को खत्म करने पर बात हुई थी.
म्यांमार में हमेशा उथलपुथल
FMR को सस्पेंड कर सकने की एक वजह और भी है. म्यांमार आर्थिक और राजनैतिक तौर पर काफी अस्थिर है. यहां समय-समय पर अलग-अलग गुटों में हिंसा होती रही. इस दौरान कमजोर गुट भागकर भारत में घुसने लगता है. कई मीडिया रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि अकेले मिजोरम में ही 40 हजार से ज्यादा म्यांमार के रिफ्यूजी रह रहे हैं. इसके अलावा मणिपुर और बाकी नॉर्थईस्टर्न राज्यों में भी ये आबादी रहती है.
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कैसे रोकी जाएगी आवाजाही
गृह मंत्रालय ने जनवरी में ही 1643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने की बात की थी. इसके लिए म्यांमार बॉर्डर से सटे सारे राज्यों में पेट्रोलिंग बढ़ाई जा सकती है. फिलहाल मणिपुर में 20 किलोमीटर लंबी घेराबंदी को अप्रूवल मिल चुका है, जो जल्द ही शुरू हो जाएगा.
क्या पूर्वोत्तर इसके लिए राजी है
नॉर्थ-ईस्टर्न राज्यों को सेफ बनाने के लिए उठाए गए इस कदम का विरोध भी हो रहा है. मणिपुर और मिजोरम के कुछ ट्राइबल समूह मान रहे हैं कि इससे उनके परिवारों और व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा. बता दें कि 16 किलोमीटर फ्री एंट्री की वजह से लोग रोटी-बेटी का रिश्ता रखते हैं. साथ ही लोकल ट्रेड भी जमकर होता आया है. अब मुक्त आवाजाही के रुकने से इसपर सीधा असर होगा. यही वजह है कि कुछ स्थानीय जनजातियां फैसले से नाखुश भी हैं.