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मेवात को दूसरा जामताड़ा क्यों कहा जाता है? दंगाइयों के सबसे पहले साइबर थाने को निशाना बनाने की Inside Story

हरियाणा के नूंह जिले में पड़ने वाले मेवात इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के बाद से हालात तनावपूर्ण हैं. मेवात वो इलाका है जो धीरे-धीरे देश का दूसरा जामताड़ा बनता जा रहा है. जामताड़ा जो साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता है, अब वैसा ही मेवात भी बन रहा है या बन चुका है. लेकिन ये सब हुआ कैसे? कैसे युवा मेवात में बैठकर देशभर में ठगी करते हैं? जानते हैं...

मेवात साइबर क्राइम का गढ़ बन गया है. (इलस्ट्रेशन- Vani Gupta/aajtak.in) मेवात साइबर क्राइम का गढ़ बन गया है. (इलस्ट्रेशन- Vani Gupta/aajtak.in)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

हरियाणा के नूंह जिले का मेवात इलाका. यहां सोमवार यानी 31 जुलाई को दो समुदायों के बीच टकराव के बाद हिंसा भड़की. इस हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है. पुलिस ने 176 दंगाइयों को गिरफ्तार भी किया है.

मेवात वो इलाका है जिसमें सिर्फ हरियाणा ही नहीं, बल्कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से भी आते हैं. 

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मेवात और गुरुग्राम में बहुत ज्यादा दूरी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से है. इसी पिछड़ेपन ने इसे देश का दूसरा 'जामताड़ा' भी बना दिया है. वही जामताड़ा जो झारखंड में आता है और जिसे साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता है. जामताड़ा को लेकर नेटफ्लिक्स पर एक वेब सीरीज भी आ चुकी है. जामताड़ा की तरह ही मेवात के युवा भी साइबर ठगी के लिए बदनाम हैं.

इसी साल मार्च में केंद्र सरकार ने बताया था कि देश के नौ राज्यों के 32 इलाके ऐसे हैं जो साइबर क्राइम का गढ़ बन गए हैं. इनमें मेवात भी शामिल था. 

मेवात किस तरह साइबर क्राइम का गढ़ बन रहा है या बन चुका है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे ही आप यहां पहुंचेंगे, वैसे ही जगह-जगह पर साइबर अपराध से जुड़ी चेतावनियां लिखे बैरिकेड-बैनर दिखने लगेंगे. इसके अलावा, नूंह जिले में जुरेहरा पहला पुलिस थाना पड़ता है, यहां पर भी साइबर अपराध को लेकर चेतावनी लिखी है. ताकि भोले-भाले लोग साइबर ठगों का शिकार न बन जाएं.

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सबसे पहले साइबर थाने पर ही हमला क्यों?

- सोमवार को नूंह के मेवात में सांप्रदायिक हिंसा भड़की. इस हिंसा के बाद दंगाइयों ने सबसे पहले नूंह के साइबर क्राइम पुलिस थाने पर हमला किया. इस पर सवाल उठ रहे हैं.

- हरियाणा के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) टीवी एसएन प्रसाद ने कहा, सबसे पहले साइबर क्राइम पुलिस थाने को निशाना बनाया गया, हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रहे हैं लेकिन ये जांच का विषय है कि इसे क्यों निशाना बनाया गया.

- उन्होंने कहा कि 'अगर आप घटनाओं की चेन देखें तो सबसे जरूरी बात ये है कि हमने साइबर क्राइम के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है.'

- उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों से साइबर ठगी की शिकायत आने के बाद नूंह जिले से कई लोगों को गिरफ्तार किया था. 

अप्रैल में हुआ था बड़ा एक्शन

- इसी साल अप्रैल में नूंह जिले में साइबर अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया था. नूंह के 14 जिलों में पुलिस ने छापा मारा था.

- पांच हजार पुलिसकर्मियों की 102 टीमों ने गांवों में छापेमारी कर सैकड़ों संदिग्धों को हिरासत में लिया था. इनमें से 66 को गिरफ्तार कर लिया गया था.

- दरअसल, पुलिस को देशभर में 28 हजार से ज्यादा लोगों से 100 करोड़ रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी. इस धोखाधड़ी के लिए अपराधियों ने 219 बैंक अकाउंट और 140 यूपीआई अकाउंट का इस्तेमाल किया था.

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- छापेमारी के दौरान पुलिस ने 166 फर्जी आधार कार्ड्स, 5 पैन कार्ड्स, 128 एटीएम कार्ड्स, 66 मोबाइल फोन, 99 सिम कार्ड्स, 5 पीओएस मशीन और तीन लैपटॉप जब्त किए थे.

- यही वजह है कि अब साइबर क्राइम पुलिस थाने पर हमले के पीछे साजिश मानी जा रही है. एसीएस प्रसाद का कहना है कि यात्रा का साइबर क्राइम पुलिस थाने पर हमले से क्या लेना-देना है. इस हमले से किसे फायदा होना था. 

पर मेवात कैसे बन गया साइबर ठगी का गढ़?

- 2020 में नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा पर वेब सीरीज आई थी. इसके दो सीजन आ चुके हैं. इसमें जामताड़ा के साइबर अपराधियों की कहानी और उनके ठगी के तरीकों के बारे में डिटेल में बताया गया था.

- जिस तरह से जामताड़ा में साइबर अपराधी फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल कर लोगों को शिकार बनाते हैं, ठीक वैसा ही मेवात में भी होता है.

- मेवात में साइबर ठगी करने वाले एक अपराधी ने बताया था कि यहां काम-धंधा नहीं है, इक्का-दुक्का लोगों के पास नौकरी है, जमीन है, इस कारण यहां गरीबी बहुत है. गरीबी की वजह से ही बच्चे और युवा इस अपराध से जुड़ गए. उसका कहना था कि ये काम हम मजबूरी में करते हैं.

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- उसने बताया था कि हम ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को ही फंसाते हैं, क्योंकि युवा तो फंसते नहीं हैं. उसने ये भी बताया था कि एक मोबाइल ऐप के जरिए नंबर्स निकाल लेते हैं और फिर फोन लगाकर लोगों को फंसाते हैं. 

- ये पूछे जाने पर कि इस काम में डर नहीं लगता तो उस ठग ने कहा था, 'सब कुछ फेक है. फोन से लेकर अकाउंट तक. बस डर है तो मुखबिर का. कभी-कभी तो अपने घर वाले ही फंसा देते हैं.'

ठगों को दी जाती है ट्रेनिंग, 1 लाख तक फीस

- नूंह के गांवों में कोचिंग सेंटर्स के जरिए साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती है. ठगी के तरीके सिखाने के लिए हैकर 40 हजार से एक लाख रुपये तक की फीस लेते हैं. 

- ठगी की क्लास लगाने वाले इन अवैध कोचिंग सेंटर्स का अपना पाठ्यक्रम और यूनिफॉर्म भी थी. इसमें ऑनलाइन लेक्चर भी दिए जाते थे.

- ठगी सीखने के लिए एक या दो कमरों के मकान पर टिनशेड में ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा ऑनलाइन क्लास भी लगाई जाती है. पुलिस को पता चला है कि यहां के कुछ लोग जामताड़ा के ठगों से ट्रेनिंग ले चुके हैं. 

इन दो तरीकों से होती है ठगी

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पहलाः सेक्सटॉर्शन

- सेक्सटॉर्शन के जरिए ठगी करना अब ज्यादा आसान तरीका बन गया है. सेक्सटॉर्शन के जरिए लोगों को शिकार बनाया जाता है.

- साइबर अपराधी वॉट्सऐप या फिर कॉल के जरिए टारगेट से बात करते हैं. फिर उनकी न्यूड तस्वीरें या वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हैं. कुछ होते हैं जो फंस जाते हैं और अपराधियों को मुंह मांगी रकम दे देते हैं तो कुछ इसे नजरअंदाज कर देते हैं.

- मेवात के साइबर अपराधी ने बताया था कि हममें से बहुत लोग खुद से ही लड़की की तरह आवाज निकालकर लड़कों को फंसाते हैं. बाद में ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठते हैं.

दूसराः डिजिटल मार्केटप्लेस

- लोगों को ठगने का एक दूसरा तरीका डिजिटल मार्केटप्लेस है. इसमें अपराधी OLX जैसी ऐप पर फर्जी ऐड डालते हैं और लोगों को फंसाते हैं.

- इसे ऐसे समझिए कि अपराधी किसी महंगे सामान को बेहद सस्ती कीमत पर OLX पर डाल देते हैं. और खुद को सेना से जुड़ा बताते हैं. इससे लोगों को भरोसा हो जाता है.

- इसके बाद जैसे ही कोई फंसता है तो उससे पैसे मांगे जाते हैं और बोल दिया जाता है कि कुरियर के जरिए सामान पहुंचा दिया जाएगा. लेकिन सामान दिया नहीं जाता और पैसे ऐंठ लिए जाते हैं.

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मेवात क्यों है जामताड़ा जैसा? क्योंकि...

- पुलिस ने हाल ही में 40 गांवों में एक्टिव दो लाख सिम कार्ड्स को बंद करवा दिया है.

- इन गांवों से ठगी के मामलों की शिकायत यूपी, राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों से आई थी.

- जब पुलिस इन ठगों को गिरफ्तार करने जाती है तो टीम पर हमला होना आम बात है. 

- ऐसा बताया जाता है कि साइबर ठगी के धंधे में अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे लोग तक शामिल हैं.

- आंकड़ों के मुताबिक, 2019 से 2022 के बीच साइबर फ्रॉड के 560 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से ज्यादातर मेवात से जुड़े थे.

कौन हैं ये अपराधी?

- अप्रैल में जब पुलिस ने नूंह जिले में साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया था, तो कई गिरफ्तारियां भी की थीं.

- तब नूंह के एसपी वरुण सिंगला ने बताया था कि इन साइबर अपराधियों की उम्र 18 से 35 साल है. आमतौर पर तीन-चार लोग साथ मिलकर ये ठगी करते हैं.

- उन्होंने बताया था कि ये जालसाज फेसबुक या OLX पर विज्ञापन पोस्ट कर बाइक, कार, मोबाइल आकर्षक कीमत पर बेचने का लालच देते थे और पीड़ित को फंसा लेते थे. 

- इतना ही नहीं, ये लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वर्क फ्रॉम होम की नौकरी का लालच भी देते थे. और जैसे ही कोई फंसता था तो उससे रजिस्ट्रेशन, पैकिंग और बाकी दूसरी फीस के बहाने पैसे मांग लेते थे.

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- सिंगला ने बताया था कि ये अपराधी सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर और वीडियो कॉल का लालच देकर सेक्सटॉर्शन के जरिए पीड़ितों को फंसाते थे और उनसे भारी रकम वसूलते थे.

आखिर में जामताड़ा की कहानी

- सीताराम मंडल. बेरोजगार पिता का बेरोजगार बेटा था. 2010 में काम की तलाश में मुंबई गया. वहां उसने रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर काम किया. बाद में उसकी जॉब कॉल सेंटर में लग गई और यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई.

- 2012 में सीताराम मंडल जामताड़ा लौट आया. यहां आकर उसने साइबर ठगी करना शुरू किया. उसके ठगी करने का तरीका भी अलग था. वो सीरीज के हिसाब से मोबाइल नंबर बनाता था और कॉल करता था. फिर लोगों से डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर पूछता था और ओटीपी मांगता था. ओटीपी डालते ही लोगों के अकाउंट से पैसे उसके पास आ जाते थे.

- 2016 में जामताड़ा पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो उसके अकाउंट में 12 लाख रुपये से ज्यादा मिले. वो दो पक्के घर बना चुका था. अपनी दोनों बहनों की अच्छे से शादी कर चुका था. उसके पास स्कॉर्पियो गाड़ी भी थी. पुलिस ने उसके पास से 7 स्मार्टफोन और 15 सिम कार्ड भी बरामद किए थे.

- जामताड़ा के ज्यादातर गांवों में लोगों को ठगने का खेल चलता है और चल रहा है. ये लोग फर्जी आईडी की मदद से सिम कार्ड खरीदते हैं. दो लोग साथ में मिलकर ठगी करता है. एक फोन कॉल करता है और दूसरा सारी डिटेल भरकर चूना लगाता है. 

- माना जाता है कि 70 और 80 के दशक में जामताड़ा ट्रेन लूट और डकैती के लिए बदनाम था. ये साइबर ठगों का गढ़ तब बना जहां मोबाइल फोन का चलन बढ़ा. 2004 और 2005 के बाद भारत में मोबाइल फोन का चलन बढ़ गया था. इस कारण ठगी और लूट करने के लिए अपराधियों ने नया तरीका ढूंढा. 

 

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