
हरियाणा में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन इससे पहले बीजेपी ने बड़ा दांव चला है. बीजेपी ने ओबीसी वोटरों को साधने के लिए बड़ा ऐलान किया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को हरियाणा में ओबीसी की क्रीमी लेयर बढ़ाने का ऐलान किया. इसके साथ ही ओबीसी जातियों की B कैटेगरी के लिए भी नया कोटा तय किया है. हरियाणा सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है.
विधानसभा चुनाव से पहले इस ऐलान को बड़ा दांव माना जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि हरियाणा में सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी का है.
ओबीसी आरक्षण में क्या बदला? 2 प्वॉइंट्स
1. क्रीमी लेयर बढ़ीः हरियाणा में ओबीसी की क्रीमी लेयर को बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया गया है. यानी, अगर किसी व्यक्ति की सालाना कमाई 8 लाख रुपये से ज्यादा होगी, तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा. इस सालाना 8 लाख की कमाई में सैलरी और खेती से होने वाली कमाई नहीं जुड़ेगी.
- अब तक क्या थाः हरियाणा में अब तक ओबीसी की क्रीमी लेयर 6 लाख रुपये थी. जबकि, केंद्र सरकार ने ओबीसी की क्रीमी लेयर 8 लाख रुपये तय कर रखी थी.
2. पंचायत-नगर पालिकाओं में आरक्षणः हरियाणा में ओबीसी को दो कैटेगरी- BC (A) और BC (B) में बांटा गया है. अब पंचायत और नगर पालिकाओं में BC (B) को भी 5% आरक्षण दिया जाएगा. ये आरक्षण BC (A) को मिलने वाले से अलग होगा.
- अब तक क्या थाः हरियाणा में अब तक पंचायतों और नगर पालिकाओं में BC (A) में शामिल जातियों को ही 8% आरक्षण मिलता था.
हरियाणा में कितना ओबीसी आरक्षण?
मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए हरियाणा सरकार ने 1996 में एक समिति बनाई थी. इसके बाद हरियाणा में ओबीसी को मिलने वाला 27% आरक्षण दो कैटेगरी- BC (A) और BC (B) में बांटा गया. BC (A) को 16% और BC (B) को 11% आरक्षण दिया गया.
केंद्र सरकार सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग शब्द का इस्तेमाल करती है. जबकि, हरियाणा में इन्हें सिर्फ पिछड़ा वर्ग यानी बीसी कहा जाता है. लिहाजा, अगर केंद्र सरकार की नौकरी के लिए आवेदन करना है तो हरियाणा सरकार की ओर से जारी सर्टिफिकेट काम नहीं करेगा. इसके लिए ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाना पड़ता है.
हरियाणा सरकार के मुताबिक, BC (A) कैटेगरी में 72 जातियां शामिल हैं. ऐतिहासिक रूप से ये जातियां पिछड़ी हुई हैं और इनके पास जमीन भी नहीं है. इनमें लोहार, कुम्हार, धोबी और तेली जैसी जातियां शामिल हैं.
जबकि, BC (B) में छह जातियां- यादव/अहीर, गुज्जर, लोधा, सैनी, मेव और गोस्वामी आती हैं. BC (B) में शामिल जातियां BC (A) की तुलना में ज्यादा बेहतर स्थिति में मानी जाती हैं और इनके पास जमीन होने की भी ज्यादा संभावना है.
क्यों इसे चुनावी दांव माना जा रहा?
विधानसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले इस फैसले को चुनावी दांव माना जा रहा है. समझा जा रहा है कि बीजेपी एक बार फिर गैर-जाट राजनीति का फॉर्मूला अपनाने की तैयारी कर रही है.
किसान आंदोलन और फिर खिलाड़ियों के मामले के कारण हरियाणा के जाट बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं. हरियाणा में जाट एक बड़ा वोट बैंक है, लेकिन उससे भी बड़ा वोट बैंक ओबीसी का है.
अनुमान है कि हरियाणा में 40% ओबीसी, 25% जाट, 20% दलित, 5% सिख और 7% मुस्लिम हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाटों के 74%, ओबीसी के 73% और दलितों के 58% वोट मिले थे. हालांकि, विधानसभा चुनाव में वोट स्विंग हुए और बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ा. बीजेपी के बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गए थे. इतना ही नहीं, 2014 में अपने दम पर सरकार बनाने वाली बीजेपी को 2019 में गठबंधन का सहारा लेना पड़ गया था.
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को जाटों की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ा है. कांग्रेस ने यहां की 10 में से 5 सीटों पर जीतीं. इनमें से दो- अम्बाला और सिरसा एससी सीट थी. बाकी तीन- सोनीपत, रोहतक और हिसार जाट बहुल सीटें थीं. वहीं, बीजेपी ने करनाल, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में जीत हासिल की. इन सभी पांचों सीटों पर ओबीसी और ऊंची जातियों का दबदबा है.
वहीं, क्रीमी लेयर को दो लाख रुपये बढ़ा देने से ओबीसी जातियों की अच्छी-खासी संख्या इसके दायरे में आ जाएगी. इस कारण अब इन्हें भी सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण का फायदा मिलेगा. आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसी ओबीसी वर्ग से बहुत उम्मीद रहेगी.
ओबीसी पर चुनावी दांव
हरियाणा में बीजेपी अब ओबीसी वोटरों पर फोकस कर रही है. इसी साल मार्च में बीजेपी ने पंजाबी मनोहर लाल खट्टर की जगह ओबीसी समुदाय के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था. सैनी BC (B) कैटेगरी के हैं.
इतना ही नहीं, मोदी सरकार में भी तीन केंद्रीय मंत्री- राव इंद्रजीत सिंह, भूपिंदर सिंह यादव और कृष्ण पाल गुर्जर भी BC (B) कैटेगरी से आते हैं.
इस बार हरियाणा में चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. कांग्रेस को पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के बूते जाट और दलितों के वोट मिलने की उम्मीद है. वहीं, जननायक जनता पार्टी भी इस बार दुष्यंत चौटाला की अगुवाई में अकेले चुनाव लड़ेगी. चौटाला भी जाट समुदाय से हैं. जबकि, नायब सिंह सैनी के चेहरे पर चुनाव लड़कर बीजेपी ओबीसी को साधने की कोशिश करेगी.
हरियाणा में इसी साल अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. 90 सीटों वाली विधानसभा में पिछली बार बीजेपी बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी. बाद में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी. हालांकि, इसी साल मार्च में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया था. फिलहाल हरियाणा में एनडीए के पास 43 और इंडिया ब्लॉक के पास 42 सीटें हैं.