
कड़ाके की ठंड में झारखंड का सियासी पारा हाई है. कथित जमीन घोटाले में ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद ही ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है.
इस सब ड्रामे के बीच अब सियासी संकट भी बढ़ता जा रहा है. दरअसल, हेमंत सोरेन का इस्तीफा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मंजूर तो कर लिया है, लेकिन नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अब तक पद की शपथ नहीं ली है.
8 घंटे पूछताछ, इस्तीफा और गिरफ्तार...
- पूछताछः बुधवार दोपहर सवा एक बजे ईडी की टीम रांची स्थित हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंची. यहां कथित जमीन घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर 8 घंटे पूछताछ की.
- इस्तीफाः रात साढ़े 8 बजे के आसपास हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे. इस दौरान ईडी की टीम भी साथ थी. सोरेन ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है.
- गिरफ्तारीः राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद हेमंत सोरेन अपने आवास पर पहुंचे. यहां 9 बजकर 33 मिनट पर ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
इस्तीफा, लेकिन कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा जरूर दे दिया है, लेकिन अब भी कार्यवाहक सीएम वही हैं. संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद जब तक नए मुख्यमंत्री शपथ नहीं ले लेते, तब तक वही कार्यवाहक सीएम रहते हैं.
उन्होंने बताया कि संविधान के मुताबिक ये पद खाली नहीं रहना चाहिए. हेमंत सोरेन को ईडी ने अरेस्ट कर लिया है, लेकिन वो कार्यवाहक सीएम बने रह सकते हैं. ये गवर्नर का फैसला होता है. जब तक इस पद पर कोई दूसरा सीएम नहीं आता, तब तक जो सीएम इस्तीफा देते हैं, वो कार्यवाहक सीएम रहेंगे.
विधानसभा में क्या है गणित?
झारखंड विधानसभा में अभी झामुमो गठबंधन की सरकार के पास बहुमत है. 81 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत है. गठबंधन के पास 49 विधायकों का बहुमत है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 29, कांग्रेस के 16, एनसीपी, आरजेडी और वाम दलों के एक-एक विधायक हैं.
झामुमो विधायक आलमगीर आलम ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चंपई सोरेन की अगुवाई में हमने सरकार बनाने का दावा पेश किया है. हमारे पास 47 विधायकों का समर्थन है और हमें ही सरकार बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
क्या लगेगा राष्ट्रपति शासन?
झारखंड मुक्ति मोर्चा तो बुधवार को ही नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की शपथ करवाने की जिद पर अड़े थे. हालांकि, राज्यपाल ने इसकी अनुमति नहीं दी. ऐसे में नया संवैधानिक संकट भी खड़ा होता नजर आ रहा है.
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने हाल ही में कहा भी था कि संविधान के रक्षक के रूप में मैं पूरी स्थिति नजर बनाए हुए हूं. ये राज्यपाल का काम है, मैं वही कर रहा हूं. अगर जरूरत पड़ी तो मैं सीमा लांघूंगा. राज्यपाल के इसी बयान के बाद से सीएम की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावनाएं बढ़ गई थीं.
मामले में अब आगे क्या?
- हाईकोर्ट में सुनवाईः गिरफ्तारी के खिलाफ हेमंत सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की है. इस याचिका पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की बेंच सुबह साढ़े 10 बजे सुनवाई करेगी.
- अदालत में सोरेन की पेशीः गिरफ्तार किए जाने के बाद हेमंत सोरेन रातभर ईडी दफ्तर में ही रहेंगे. उन्हें गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. बताया जा रहा है कि ईडी हेमंत सोरेन की 14 दिन की कस्टडी मांग सकती है.
आखिर में जानें- गिरफ्तारी क्यों?
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी कथित जमीन घोटाले में हुई है. ये पूरा मामला फर्जी कागजातों और दस्तावेजों के जरिए जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है.
ये मामला जून 2022 में सामने आया था. तब बरायतु पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. आरोप था कि प्रदीप बागची नाम के शख्स नेफर्जी कागजातों के जरिए भारतीय सेना की एक संपत्ति को हड़प लिया है. ईडी ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि 4.5 एकड़ की ये जमीन बीएम लक्ष्मण राव की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था.
अप्रैल 2023 में ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया. जिन सात को गिरफ्तार किया गया, उनमें से दो- अफसर अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे. अफसर अली सरकारी अस्पताल में ग्रेड-3 का कर्मचारी है, जबकि भानु प्रताप रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर था. बाकी सभी लैंड माफिया से जुड़े थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीनों की बिक्री में शामिल थे.
पिछले साल ही 4 मई को ईडी ने आईएएस अफसर छवि रंजन को भी गिरफ्तार कर लिया. छवि रंजन रांची में दो साल तक डिप्टी कमिश्नर थे. उनपर आरोप है कि इस पद पर रहते हुए उन्होंने कथित तौर पर जमीन की अवैध खरीद और बिक्री में मदद की थी.
जांच में ईडी को पता चला कि एक फर्जी दस्तावेज बनाया गया था. इसे 1932 का दिखाया गया. इसमें लिखा था कि ये जमीन प्रफुल्ल बागची ने ये जमीन सरकार से खरीदी थी. 90 साल बाद 2021 में प्रफुल्ल बागची के बेटे प्रदीप बागची ने ये जमीन कोलकाता की जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी.
इस मामले में ईडी ने दर्जनों लैंड डील होने का दावा किया है. ईडी अब तक 236 करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन को जब्त कर चुकी है. मामले में ईडी ने अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में प्रेम प्रकाश नाम का शख्स भी है, जिसे हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है.