
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष जारी है, जिसमें हफ्तेभर पहले ही चरमपंथी संगठन के लीडर हसन नसरल्लाह की मौत हो चुकी. अब नसल्लाह का अंतिम संस्कार होगा. कयास लग रहे हैं कि इराक के कर्बला में इस भूतपूर्व चीफ को दफनाया जा सकता है. ये काफी संवेदनशील मसला है, न केवल हिजबुल्लाह और अरब देशों के लिए, बल्कि इजरायल और अमेरिका के लिए भी.
वजह? इन देशों को डर है कि आतंकी लीडर को पूरे रीति-रिवाज से दफनाया जाए तो वो जगह चरमपंथियों के लिए इबादत की जगह बन सकती है, जिसके बाद आतंक और बढ़ेगा. अमेरिका को लादेन के हत्या के बाद ये खौफ इतना ज्यादा था कि उसने लाश को कई हिस्सों में समंदर और पहाड़ों में फेंक दिया.
सबसे पहले जानते हैं हसन नसरल्लाह पर
लगभग हफ्तेभर पहले इजरायली हवाई अटैक में मारे गए नेता का आज अंतिम संस्कार हो सकता है. शव को लेबनान, इराक के कर्बला या फिर इराक के नजफ में दफनाने की अटकलें हैं. हालांकि हिजबुल्लाह ने अब तक इसपर कोई आधिकारिक एलान नहीं किया लेकिन जिस तरह से पूरी दुनिया के शियाओं में नसल्लाह की मौत पर मातम है, ऐसे में उनका दर्जा शहीद से कम नहीं होगा.
इस पूरे मामले पर इजरायल समेत दुनिया के लगभग सभी देशों की नजरें बनी हुई हैं. इस बात की आशंका काफी ज्यादा है कि जहां भी नसरल्लाह को दफनाया जाएगा, वो जगह इस्लामिक एक्सट्रीमिस्ट्स के लिए शहीदी स्थल की तरह तैयार हो सकती है, जहां नए आतंकी तैयार होंगे, या नई साजिशें की जाएंगी.
दफन करते हुए अमेरिका ने अक्सर रखी सीक्रेसी
अमेरिका हमेशा इस बात को लेकर चौकन्ना रहा और कोशिश करता रहा कि वो जिसे भी खत्म करे, उसकी लाश को भी साथ ले जाए और किसी अज्ञात जगह पर उसका अंतिम संस्कार कर दे. जी हां, उसने हमेशा ये दावा किया कि आतंकियों को मारने के बाद वो उनके शव के साथ बदसलूकी नहीं करता, बल्कि धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करता है.
ओसामा बिन लादेन के मामले में यही हुआ था
मई 2011 में अमेरिकी नेवी ने एक खुफिया ऑपरेशन में लादेन की हत्या कर दी, जो उस समय पाकिस्तान में छिपा हुआ था. हत्या के तुरंत बाद लादेन का DNA टेस्ट हुआ ताकि पक्का हो जाए कि लाश उसी आतंकी की है, जिसे वॉशिंगटन इतने सालों से खोज रहा था. सारी प्रक्रिया एकाध घंटे के भीतर हो गई. इसके बाद अमेरिकी कमांडो उसकी लाश को एक बैग में पैक कर अफगानिस्तान ले गए. यहां से उसे खास युद्धपोत यूएसएस कार्ल विंसन तक इंपोर्ट किया गया.
सवाल ये था कि लाश का क्या करें
असल में कथित तौर पर ओसामा के गृहदेश सऊदी अरब ने उसकी लाश को अपनाने से मना कर दिया. अब सारा जिम्मा अमेरिका पर था. सरकार को डर था कि अगर लादेन को इस्लामिक रीति से दफनाया जाए तो वो जगह चरमपंथियों के लिए इबादत की जगह बन जाएगी. साथ ही आतंकी उसका बदला लेने के लिए कोई नई खुराफात भी कर सकते हैं. समय ज्यादा नहीं था. इस समय तक ओसामा के मारे जाने का ऐलान हो चुका था. अगर लाश को ज्यादा देर तक रखा जाता तो धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचने का खतरा था.
इस्लामिक रीति से हुआ अंतिम संस्कार
आतंकी के मृत शरीर को पूरे रीति-रिवाजों से नहलाकर सफेद कफन से ढका गया. अरबी भाषा में एक अनुवादक से प्रेयर करवाई गई और बाद में उसके शरीर को बॉक्स में बंद करके समंदर में डाल दिया गया. ये डिब्बा डेढ़ सौ किलो से ज्यादा वजन की लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था ताकि लाश फूलकर ऊपर न आ जाए.
साल 2012 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के कुछ मिलिट्री डॉक्युमेंट्स लीक हो गए, जिसमें इस तरह की जानकारी थी. बाद में फ्रीडम ऑफ इंफॉर्मेशन के तहत भी यही बात बताई गई. तब अमेरिकी सरकार ने सफाई दी कि गोपनीयता के पीछे सुरक्षा कारण थे.
पहाड़ियों पर फेंके जाने की भी कहानी
लादेन की लाश को समुद्र में बहाने के अलावा एक और थ्योरी भी है, जो कहती है कि उसकी लाश के बहुत सारे टुकड़े करके यहां-वहां छितरा दिए गए. अमेरिकी खोजी पत्रकार सेमोर हर्श ने दावा किया था कि अफगानिस्तान पहुंचने के बाद आतंकी के शव को राइफल की गोलियों से कई टुकड़े किए गए. उनमें से कुछ टुकड़े हिंदु-कुश की पहाड़ियों पर फेंक दिए गए.
बगदादी की लाश भी समंदर में गायब
इस्लामिक स्टेट (ISIS) के सरगना अबू बकर अल बगदादी की कथित खुदकुशी के बाद उसकी लाश को भी अमेरिकी कमांडो ग्रुप ने समुद्र में फेंक दिया था. अक्टूबर 2019 में सीरिया में एक ऑपरेशन चलाकर अमेरिकी स्पेशल फोर्स ने आतंकी के ठिकानों पर छापा मारा. पकड़ में आने से बचने के लिए बगदादी ने खुद को एक विस्फोटक से उड़ा दिया. मौके पर ही डीएनए टेस्ट हुए ताकि पक्का हो सके कि मारा गया शख्स वही है. यहां से उसकी लाश अज्ञात जगह पर समुद्र में दफन कर दी गई.
अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया कि इससे पहले सारे इस्लामिक रीति-रिवाज भी हुए.
जरकावी पर अब तक सीक्रेसी
इराक में अल-कायदा लीडर अबू मुसाब अल जरकावी के साथ भी यही हुआ. दुनियाभर में आतंक का पर्याय बन चुके जरकावी की तलाश अमेरिका को लंबे समय से थी. आखिरकार जून 2006 में इराक के एक छोटे से गांव में उसका सुराग मिला. नेवी ने आनन-फानन गांव खाली कराकर उस जगह हमले किए, जिसमें जरकावी गंभीर रूप से घायल हो गया. बाद में उसकी मौत हो गई. डीएनए और बायोमैट्रिक के बाद लाश को इराक में ही किसी अज्ञात स्थान पर दफन कर दिया. अमेरिकी और इराकी अधिकारियों ने भी कभी इसकी जानकारी नहीं दी कि जरकावी का लाश आखिर कहां दफन हुई.
क्या इस्लाम में समुद्र में दफनाने की छूट है
इस्लामिक स्कॉलर इसपर अलग-अलग बात करते रहे. लादेन की मौत के बाद दो धड़े सामने आए. एक का कहना था कि समुद्र में अंतिम संस्कार तभी ठीक है जब मौत भी समुद्र में हुई हो. वरना जमीन पर ही दफनाया जाना चाहिए. वहीं कई स्कॉलर्स ने कहा कि इस्लाम कई जगहों पर प्रैक्टिकल सुझाव देता है. अगर हालात अलग हैं तो अलग तरीके अपनाने में कोई बुराई नहीं.
इजरायल में कई कब्रिस्तान इसी मकसद के लिए
अमेरिकी की तर्ज पर इजरायल भी यही करता आया. उसने कई बार फिलिस्तीनी आतंकवादियों, खासकर आत्मघाती हमलावरों की लाशों को कब्जे में लिया और उन्हें अज्ञात जगहों पर दफना दिया ताकि उनके सपोर्टर उनकी कब्र को शहीदी स्थल या स्मारक न बना दें. इस देश में कई ऐसी कब्रगाहें हैं जहां आतंकवादियों की लाशें दफनाई जाती हैं. इन कब्रिस्तानों का कोई नाम नहीं, बल्कि नंबर होते हैं और कब्रों के भी नंबर दिए जाते हैं. इसी आधार पर इजरायली सरकार उन्हें पहचानती है.
साल 2008 में फिलिस्तीन के हमास से कैदियों के एक्सचेंज के दौरान इजरायली सरकार ने कई लाशें सौंपी, जो सत्तर के दशक में मारे गए आतंकियों की थीं.