
दिल्ली में बने हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी हो गया है. ये आदेश हिमाचल हाईकोर्ट ने दिया है. हिमाचल भवन कुर्क करने का आदेश इसलिए आया है, क्योंकि सरकार पर एक हाइड्रोपावर कंपनी का 150 करोड़ रुपये का बकाया है.
हाईकोर्ट की जस्टिस अजय मोहन गोयल की बेंच ने आदेश दिया कि कंपनी दिल्ली में बने हिमाचल भवन की नीलामी कर सकती है. दिल्ली के मंडी हाउस में हिमाचल भवन बना है.
हिमाचल हाईकोर्ट के इस आदेश पर सियासत भी गरमा गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस पर कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है. एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने बताया कि इस आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी गई है और इस महीने उस पर सुनवाई हो सकती है.
क्या है पूरा मामला?
28 फरवरी 2009 को हिमाचल सरकार ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी को एक प्रोजेक्ट दिया था. तब हिमाचल में बीजेपी की सरकार थी और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे.
इस प्रोजेक्ट तहत, लाहौल-स्पीति जिले में चिनाब नदी पर 340 मेगावॉट का एक प्लांट बनना था. इसके लिए कंपनी ने 64 करोड़ रुपये डिपॉजिट भी कर दिए थे. तकनीकी तौर पर इसे अपफ्रंट प्रीमियम कहा जाता है. हालांकि, ये प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो सका और इसे बंद कर दिया गया. सरकार ने 64 करोड़ रुपये भी जब्त कर लिए.
कंपनी ने सरकार के इस फैसले को आर्बिट्रेशन में चुनौती दी. आर्बिट्रेशन ने कंपनी के हक में फैसला सुनाया और ब्याज के साथ अपफ्रंट प्रीमियम लौटाने का आदेश दिया.
आर्बिट्रेशन के आदेश न मानने पर कंपनी ने सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. 13 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो ब्याज समेत सारा पैसा कंपनी को चुकाए. लेकिन तब भी बकाया नहीं चुकाया गया. सोमवार को हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि कंपनी हिमाचल भवन को नीलाम करने के लिए कदम उठा सकती है.
सरकार को पहले 64 करोड़ रुपये वापस करने थे. लेकिन कोर्ट ने 7 प्रतिशत ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया है. इस हिसाब से अब सरकार पर कंपनी का लगभग 150 करोड़ का बकाया है.
सियासत भी हुई तेज
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सियासत भी तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार पर हिमाचल नीलाम होने की कगार पर है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल भवन जैसी संपत्ति को कुर्क किया जा रहा है, जो सरकार की नाकामी को दिखाता है.
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार के लिए 64 करोड़ रुपये जमा कराना बड़ी बात नहीं है, लेकिन हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
कर्ज में डूब रही है सरकार
हिमाचल सरकार पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल में कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले मार्च 2022 तक 69 हजार करोड़ रुपये से कम का कर्ज था. लेकिन उसके सत्ता में आने के बाद मार्च 2024 तक 86,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज हो गया. मार्च 2025 तक हिमाचल सरकार पर कर्ज और बढ़कर लगभग 95 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कर्ज सिर्फ कांग्रेस सरकार में ही बढ़ा है. आंकड़े बताते हैं कि सुक्खू सरकार से पहले की दो सरकारों में भी हिमाचल पर काफी कर्ज बढ़ गया था.
सुक्खू से पहले बीजेपी के जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री थे. उनकी सरकार में कर्ज 46 फीसदी तक बढ़ा था. मार्च 2018 तक हिमाचल सरकार पर 47,244 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो मार्च 2022 तक बढ़कर लगभग 69 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया था.
बीजेपी सरकार से पहले 2012 से 2017 तक कांग्रेस की सरकार थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे. उनकी सरकार में 56 फीसदी तक कर्ज बढ़ गया था.
सरकार पर क्यों बढ़ रहा है कर्ज?
2022 के चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए थे. सरकार में आने के बाद इन वादों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है. हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है. लगभग 20 फीसदी कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है.
सुक्खू सरकार महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देती है, जिस पर सालाना 800 करोड़ रुपये खर्च होता है. ओल्ड पेंशन स्कीम भी यहां लागू कर दी गई है, जिससे एक हजार करोड़ रुपये का खर्च बढ़ा है. जबकि, फ्री बिजली पर सालाना 18 हजार करोड़ रुपये खर्च होता है. इन तीन स्कीम पर ही सरकार लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
हिमाचल सरकार को और झटका तब लगा जब केंद्र सरकार ने कर्ज लेने की सीमा को और कम कर दिया. पहले हिमाचल सरकार अपनी जीडीपी का 5 फीसदी तक कर्ज ले सकती थी. लेकिन अब 3.5 फीसदी तक ही कर्ज ले सकती है. यानी, पहले राज्य सरकार 14,500 करोड़ रुपये तक उधार ले सकती थी, लेकिन अब 9 हजार करोड़ रुपये ही ले सकती है.
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल पर पांच साल में 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ा है. अभी 86 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. हिमाचल में हर व्यक्ति पर 1.17 लाख रुपये का कर्ज है.