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Trump से पहले भी हो चुका है राष्ट्रपति पद के इन उम्मीदवारों पर हमला, जेब में मोटे कागजों से बची जान, कितनी पक्की होती है इनकी सुरक्षा?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की कोशिश हुई. फ्लोरिडा के गोल्फ कोर्स में रविवार को हुई गोलीबारी में हालांकि ट्रंप को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन घटना के बाद चुनाव लड़ रहे बड़े उम्मीदवारों की सेफ्टी डर के घेरे में आ चुकी. इससे पहले भी चुनाव लड़ रहे मुख्य कैंडिडेट्स पर जानलेवा हमले हो चुके हैं.

डोनाल्ड ट्रंप पर दूसरी बार हमला हुआ. (Photo- AP) डोनाल्ड ट्रंप पर दूसरी बार हमला हुआ. (Photo- AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

नवंबर में हो रहे राष्ट्रपति चुनावों के बीच एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की कोशिश हुई. लगभग दो महीने पहले भी ट्रंप पर अटैक हुआ था, जिसमें गोली उनके कान को छूती हुई निकल गई थी. इस बार हुए हमले में ट्रंप वैसे सुरक्षित हैं, लेकिन पुराना रिकॉर्ड देखते हुए इलेक्शन लड़ रहे उम्मीदवारों पर खतरा जरूर बढ़ चुका. 

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अमेरिका में राजनैतिक हत्याओं का पुराना इतिहास रहा. केवल राष्ट्रपतियों पर ही हमले नहीं हुए, बल्कि राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हुए कैंडिडेट्स पर भी अटैक हो चुके. ये हमले डराने का प्रयास नहीं थे, बल्कि वाकई जानलेवा साबित हुए. 

पूर्व राष्ट्रपति कैनेडी के भाई की हत्या

साल 1968 में रॉबर्ट एफ कैनेडी डेमोक्रेटिक पार्टी के दावेदार थे. वे पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भाई थे, जिनकी पांच साल पहले हत्या हो चुकी थी. इसके बाद से ही कैनेडी की लोकप्रियता बढ़ने लगी. वे न्यूयॉर्क से सीनेटर थे और उनपर पार्टी की तरफ से ही चुनाव लड़ने का दबाव था. पांच साल बाद कैनेडी राजी हुए लेकिन अभियान के दौरान ही उनकी हत्या कर दी गई. अ

टैक के समय में लॉस एंजिल्स के अपने होटल में थे, जहां सिरहान सिरहान नाम के शख्स ने गोलीबारी की. हमले में पांच अन्य लोग घायल भी हुए. दोषी को घटनास्थल पर ही पकड़ लिया गया. 

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बुलेट ने किया लकवाग्रस्त

जॉर्ज कॉर्ली वालेस लगातार चार कार्यकाल तक अल्बामा के गर्वनर रहने के बाद डेमोक्रेट्स की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए कतार में थे, जब एक चुनावी कैंपेन के दौरान उनपर जानलेवा हमला हुआ. गोलीबारी में वे कमर के नीचे से लकवाग्रस्त हो गए. हत्यारे आर्थर ब्रेमर ने माना कि वो वालेस की नस्लभेद की बातों से परेशान था. 

असल में पूर्व गर्वनर लगातार ही ब्लैक कम्युनिटी के लिए अलग स्कूल, अस्पताल, होटलों की बात करते थे. इसकी वजह से वाइट सुप्रीमिस्ट उनसे खुश थे, जबकि बड़ा तबका काफी नाराज भी था. हमले के बाद वे कभी राजनीति में नहीं लौट सके. 

जेब में कागज के मोटे बंडल ने बचाई जान

थियोडोर रूजवेल्ट रिपब्लिकन्स की तरफ से राष्ट्रपति पद के दावेदार थे, जब अक्टूबर 1912 में उनपर हमला हुआ. इससे पहले वे दो बार राष्ट्रपति पद पर रह चुके थे. रूजवेल्ट पर भी रैली के दौरान अटैक हुआ. गोली सीने पर निशाना साधकर दागी गई, लेकिन जेब में रखे मेटल के बॉक्स और कागजों के मोटे बंडल की वजह से बुलेट भीतर नहीं जा सकी और रूजवेल्ट बच गए. 

हमलावर जॉन श्रेन्क को पकड़ने पर पाया गया कि वो मानसिक रूप से संतुलित नहीं. ऐसे में कड़ी सजा की बजाए उसे मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया. 

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ट्रंप का क्या है मामला

डोनाल्ड ट्रंप पर जुलाई में भी एक कैंपेन के दौरान अटैक हुआ था, जिसमें गोली उनके कान को छूते हुए निकल गई थी. अब गोल्ड खेलने के दौरान ये दूसरी कोशिश है. एफबीआई फिलहाल मामले की जांच में जुटी हुई है. हालांकि ट्रंप की सुरक्षा का जिम्मा एफबीआई नहीं, बल्कि सीक्रेट सर्विस के पास है. यही एजेंसी सारे प्रेसिडेंशियल कैंडिडेंट्स की सिक्योरिटी को देखती है. फिलहाल सीक्रेट सर्विस के हिस्से कई काम हैं. इसमें राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति की सुरक्षा के अलावा यूएस में आर्थिक घपलों पर नजर रखना भी शामिल है. 

क्या है सीक्रेट सर्विस का इतिहास

जाली करेंसी रोकने के लिए बनी थी अमेरिका की सीक्रेट सर्विस साल 1865 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की शाखा के तौर पर शुरू हुई. पहले इसका काम डॉलर की जालसाजी को रोकना था. उस समय फेक करेंसी जमकर बनाई जा रही थी. कई रिपोर्ट्स यहां तक कहती हैं कि सिविल वॉर के दौरान बाजार में घूमती एक तिराई करेंसी जाली थी. साल 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई. इसके बाद वाइट हाउस हरकत में आया और तय किया गया कि सीक्रेट सर्विस को फेक करेंसी का चलन रोकने के साथ-साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा का भी जिम्मा दिया जाए.

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और किन्हें सुरक्षा देती है 

एजेंसी वक्त के साथ सीक्रेट सर्विस के काम का दायरा बढ़ता चला गया. पचास के दशक में फॉर्मर प्रेसिडेंट एक्ट पास हुआ, जो पूर्व राष्ट्रपतियों और उनके पति या पत्नी को पूरी जिंदगी प्रोटेक्शन देता है.. स्पाउस अगर दूसरी शादी कर लें तो सीक्रेट सर्विस उसे सुरक्षा नहीं देती. पूर्व राष्ट्रपतियों के 15 साल तक के बच्चों की सुरक्षा भी इसके जिम्मे है. लेकिन कई बार ये सुरक्षा लंबे समय तक भी मिलती है, अगर राष्ट्रपति खुद किसी वजह से ये डिमांड करें, या इस तरह की धमकियां मिलती दिख रही हों.

बड़े कैंडिडेंट्स की सेफ्टी 

ट्रंप को सुरक्षा केवल इसलिए नहीं मिल रही कि वे पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं, बल्कि इसका एक कारण और है. सीक्रेट सर्विस प्रेसिडेंट और वाइस-प्रेसिडेंट पद के सबसे मजबूत दावेदारों को चुनाव के 120 दिनों से पहले सुरक्षा देना शुरू कर देती है. ये वो समय है जब नेता सबसे ज्यादा रैलियां कर रहे होते हैं. वे लोगों से सीधे भी मिलते हैं. ऐसे में सुरक्षा काफी जरूरी है.

यूनाइटेड स्टेट्स कोड के सेक्शन 3056 के तहत दावेदारों को सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल सारे लोग ही मेजर कैंडिडेट नहीं माने जाते, बल्कि सेक्रेटरी ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी देखता है कि पद पर जाने की किनकी सबसे ज्यादा संभावनाएं हो सकती हैं. वहीं छुटपुट पार्टियों के कैंडिडेट को सुरक्षा नहीं दी जाती. इनके बारे में माना जाता है कि वे वोट काटने के लिए ही चुनाव में खड़े होते हैं. 

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क्या ताकत होती है सीक्रेट एजेंट्स के पास 

इनके पास वारंट इश्यू करने की पावर होती है, लेकिन ये बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकते हैं. फायरआर्म्स रखने वाले कुल 3 हजार 2 सौ स्पेशल एजेंट्स हैं. सीक्रेट सर्विस की यूनिट में 13 सौ डिवीजन ऑफिसर्स और 2 हजार से ज्यादा टेक्निकल और सपोर्ट पर्सनल हैं.

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