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दोस्ती, ड्रग्स और फिर कत्ल... कैसे 9 देशों की पुलिस के लिए सिरदर्द बना था 'बिकिनी किलर' शोभराज

साल 2003 से नेपाल की जेल में बंद चार्ल्स शोभराज की रिहाई के आदेश आज सुप्रीम कोर्ट ने दे दिए. चार्ल्स शोभराज कोई आम कैदी नहीं है. उसकी कहानी इतनी दिलचस्प है कि कई फिल्मकारों ने उसपर फिल्म और वेबसीरीज बनाई हैं. उसके गुनाहों के किस्से तो दिलचस्प हैं ही लेकिन उतनी ही दिलचस्प है उसके नाम की कहानी.

चार्ल्स शोभराज (फाइल फोटो) चार्ल्स शोभराज (फाइल फोटो)
सत्यम बघेल
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

'बिकिनी किलर' के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज का नाम आज एक बार फिर खबरों में आ गया. वजह रही चार्ल्स शोभराज की रिहाई. साल 2003 से नेपाल की जेल में बंद चार्ल्स शोभराज की रिहाई के आदेश आज सुप्रीम कोर्ट ने दे दिए. नेपाल सुप्रीम कोर्ट के जज सपना प्रधान मल्ला और तिल प्रसाद श्रेष्ठ की बेंच ने शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया. शोभराज ने जेल से रिहा होने के लिए याचिका दायर की थी. उसका कहना था कि वह निर्धारित समय से ज्यादा समय तक जेल में बंद है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार कर ली और इसी आधार पर चार्ल्स शोभराज को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया.
 
जुर्म की दुनिया में चार्ल्स शोभराज एक जाना माना नाम है. चार्ल्स शोभराज पर नेटफ्लिक्स पर एक डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज हो चुकी है. क्राइम के अलावा चार्ल्स शोभराज कई कारणों से चर्चा में रहा है. वो अपनी चार्मिंग पर्सनेलिटी और डैशिंग लुक के लिए हमेशा ही चर्चा में रहा. वो जेल में रहकर भी बाकी कैदियों से अलग मालूम पड़ जाता है. 

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कौन है चार्ल्स शोभराज?

व‍ियतनाम मूल के चार्ल्स शोभराज का जन्म 1944 में वियतनाम के Ho Chi Minh शहर में हुआ था. उसकी मां वियतनाम की और प‍िता भारतीय मूल के थे. चार्ल्स का असली नाम Hatchand Bhaonani Gurumukh Charles Sobhraj है. चार्ल्स की जिंदगी के कुछ साल एश‍िया और फ्रांस में गुजरे. शोभराज की मां वियतनाम से थी और पिता एक सिंधी हिंदुस्तानी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चार्ल्स के मां-बाप ने शादी नहीं की थी. चार्ल्स की मां वियतनाम में तैनात फ्रांस के एक फौजी लेफ्टिनेंट से मिली. फौजी ने उन दोनों को अपनाया और इस तरह चार्ल्स को फ्रांस की नागरिकता मिली.

चार्ल्स युवावस्था से ही जुर्म की दुनिया में दाखिल हो गया था. साल 1963 में चोरी के जुर्म में शोभराज को पहली बार जेल की हवा खानी पड़ी. पहली बार वो फ्रांस के पोईसी जेल में गया था. फ्रांस का पोईसी जेल पेरिस शहर से दूर एक एकांत जगह पर था. खूंखार कैदियों के बीच चार्ल्स अपना बचाव कराटे की तकनीक के सहारे करता था. शोभराज इस जेल में चुपचाप रहता था और इशारों में चीजें मांगा करता था. जेल से छूटने के बाद चार्ल्स पेर‍िस की हाई-क्लास सोसायटी में लोगों को अपने जाल में फंसाने लगा.  

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चार्ल्स शोभराज की भारत आने की कहानी

चार्ल्स फ्रांस की जेल से तो बाहर आ गया था लेकिन वो बाहर निकलने के बाद भी जुर्म की दुनिया में एक्टिव रहा. फ्रांस में रहते हुए उसने कई घोटाले किए और काफी सारे पैसा इकट्ठे कर लिए. इसके बाद वो यूरोप छोड़कर इस्तांबुल फिर भारत आ गया था. इस बीच चार्ल्स सेंटाल नाम की महिला से शादी भी कर चुका था. शादी के बाद दोनों मिलकर पर्यटकों को लूटते और उनके पासपोर्ट्स पर दुनिया घूमते. Chantal ने मुंबई में रहते हुए अपने पहले बच्चे को जन्म दिया. बेटी ऊषा के जन्म के बाद चार्ल्स के अपराध काफी बढ़ गए. वह जेल से भाग निकलने में भी महारत हास‍िल कर चुका था. 

1970 के दौर में चार्ल्स ने भारत में अपने पैर पसारने शुरू किए. चार्ल्स ने चोरी की गई कारों की दलाली करनी शुरू कर दी. वो रईस भारतीयों (जो विदेशी कारों के रखने के शौकीन थे) को ये कारें बेचता था. वो पाकिस्तान और ईरान से कारों की चोरी करता और भारत में बॉर्डर के रास्ते लाता था. वो भारत में एक 'फ्रेंच सोसाइटी' से जुड़ गया और वहां पहुंचकर रसूखदार लोगों से मेलजोल बढ़ाता था. इन्हीं लोगों के साथ चार्ल्स जुआ भी खेलता था. लेकिन जुए में चार्ल्स ने सब कुछ गंवा दिया. इसके बाद चार्ल्स ने दिल्ली के अशोका होटल की छत पर एक लूट को अंजाम दिया. इस लूट के बाद वो दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट जा रहा था लेकिन कस्टम विभाग को उस पर शक हो गया और उसका लूट का बैग जब्त कर लिया गया. चार्ल्स वहां से भाग निकला लेकिन जल्द ही उसे पकड़ कर तिहाड़ जेल में डाला गया.

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भारत में चार्ल्स ने 12 साल तक तिहाड़ जेल में सजा काटी, हालांकि वो एक बार तिहाड़ से भाग निकलने में भी सफल हुआ था. उसपर नई दिल्ली में फ्रेंच टूर पार्टी के 22 सदस्यों को ड्रग्स देने का भी आरोप था. ऐसे ही ड्रग्स और मर्डर के मामले में थाईलैंड की पुल‍िस ने चार्ल्स के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था. वहां उसे मौत की सजा मिलती, जिस वजह से चार्ल्स तिहाड़ जेल से भाग निकला और दोबारा पकड़े जाने पर अपनी सजा बढ़वा ली. 1997 में चार्ल्स को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया. वो 1976 से 1997 तक भारत की जेल में रहा. इस बीच वो साल 1986 में जेल से भाग भी गया था. लेकिन जब वो फिर पकड़ा गया तो सजा पूरी करके फ्रांस चला गया. इसके बाद नेपाल यात्रा के दौरान उसे पकड़ा गया और साल 2003 से वो नेपाल की जेल में ही बंद हैं. नेपाल में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी जो कि अब पूरी हो चुकी है.

9 देशों की पुलिस को इंतजार

एक वक्त ऐसा भी था कि जब चार्ल्स शोभराज का इंतजार भारत समेत नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, फ्रांस, ईरान, ग्रीस और तुर्की समेत करीब 9 देशों की पुलिस कर रही थी. लेकिन उसने कैदी के रूप में सिर्फ चार ही देशों में अपनी जिंदगी का ज्यादातर वक्त बिताया.

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ऐसे बना 'बिकिनी किलर'

चार्ल्स शोभराज ने अपने एक भारतीय साथी अजय चौधरी के साथ मिलकर थाईलैंड में पहली हत्या को अंजाम दिया. साल 1975 में Teresa Knowlton नाम की एक पर्यटक को बिकिनी पहने पूल में मृत पाया गया. यह चार्ल्स का पहला शिकार थी. इसी 70 के दशक में चार्ल्स ने साउथ-ईस्ट एश‍िया में 12 पर्यटकों को मौत के घाट उतारा था. इनकी मौत पानी में डूबने से, गला घोंटकर, चाकू से या जिंदा जलाने की वजह से हुई थी. अपनी लुभावनी पर्सनेलिटी के चलते चार्ल्स महिलाओं से आसानी से दोस्ती कर लेता था. शोभराज ने थाईलैंड, नेपाल और भारत में पर्यटकों, विशेषकर बैकपैकर्स को निशाना बनाया. वह अक्सर उनसे दोस्ती करता था और फिर उन्हें ड्रग देता था, उनका सामान और पहचान चुरा लेता था. शोभराज को मीडिया और पुलिस के बीच बिकिनी किलर के रूप में भी जाना जाता था, क्योंकि उसकी शिकार- आमतौर पर छुट्टियों पर आने वाली पर्यटक लड़कियां होती थीं जो बिकिनी पहनती थीं. वह बिकिनी पहनी लड़कियों की हत्या करता था इसलिए उसे 'बिकनी किलर' नाम मिला. शोभराज अजनबियों को धोखा देने और पूरे यूरोप और एशिया में पुलिस से बचने में माहिर था. इसीलिए उसे द सर्पेंट (सांप) भी कहा जाने लगा.

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जेल में अंदर से ही दे दिया था मीडिया को इंटरव्यू

एक बार तो नेपाल की जेल में कैद शोभराज ने अंदर से ही इंटरव्यू दे दिया था. इस इंटरव्यू के रिलीज होने के बाद से नेपाल प्रशासन के होश उड़ गए कि आखिर जेल के अंदर बैठे शोभराज ने इंटरव्यू कैसे दे दिया. नेपाल के गृह मंत्रालय ने उस वक्त कहा कि किसी कैदी का मीडिया को इंटरव्यू देना गैरकानूनी है. 

मशहूर हैं चार्ल्स के फरार होने के किस्से

साल 1971 में चार्ल्स शोभराज रोड्स पुलिस स्टेशन की ऊपरी मंजिल से कूद कर भाग निकला. उसी साल मुंबई (तब के बंबई) में उसने अपेंडिसाइटिस के दर्द का बहाना बनाया और जेल से फरार हो गया. फिर आया साल 1972 और तब वह काबुल की जेल में बंद था. उस वक्त उसने गार्ड्स को कोई नशीली चीज खिला कर बेहोश किया और भाग निकला. इसके बाद 1975 में ग्रीस की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली ऐजिना टापू की जेल से वह भाग निकला.

कई भाषाओं का जानकार है चार्ल्स
 
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शोभराज कई भाषाओं में पारंगत था, भेष बदलने में महारथी था और अपनी चार्मिंग पर्सनैलिटी के चलते महिलाओं के साथ आसानी से दोस्ती कर लेता था.

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कई फिल्मकारों को पसंद आई 'बिकिनी किलर' की कहानी

साल 2015 में चार्ल्स की जीवनी पर आधारित प्रवाल रमन की फिल्म 'मैं और चार्ल्स' रिलीज हुई. इस फिल्म में रणदीप हुड्डा ने लीड रोल किया था. वरिष्ठ पुलिस अफसर आमोद कंठ, जो शोभराज मामले को देख रहे थे, की भूमिका आदिल हुसैन ने निभाई थी. यह एक प्रभावशाली फिल्म तो थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. 

बॉलीवुड के अलावा नेटफ्ल‍िक्स ने भी इस कुख्यात अपराधी की कहानी में दिलचस्पी दिखाई और 'द सरपेंट' नाम की एक वेब सीरीज बनाई. इसमें फ्रेंच एक्टर Tahar Rahim ने चार्ल्स शोभराज का किरदार निभाया. क्रिट‍िक्स ने भी Tahar के काम को अच्छा रिस्पॉन्स दिया. Jenna Coleman ने चार्ल्स की र्काइम पार्टनर Marie-Andree Leclerc की भूमिका में नजर आई.

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