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600 दिन बाद भी यूक्रेन कैसे टिका हुआ है रूस के सामने, किन इलाकों पर हो चुका कब्जा?

रूस-यूक्रेन के बीच करीब 650 दिनों से लड़ाई जारी है. पहले माना जा रहा था कि छोटा देश यूक्रेन कुछ दिनों या हफ्तों में रूस के आगे घुटने टेक देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, उल्टा वो लगातार हमलावर हो रहा है. लेकिन जिस देश की अर्थव्यवस्था से लेकर सैन्य ताकत से भी रूस से कई गुना कम है, वो आखिर कमजोर क्यों नहीं हो रहा?

रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई अब भी जारी है. सांकेतिक फोटो (Reuters) रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई अब भी जारी है. सांकेतिक फोटो (Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

यूक्रेन युद्ध के बीच कई कंस्पिरेसी थ्योरीज आती रहीं. अमेरिका लगातार दावा कर रहा है कि रूस को चीन हथियार और पैसे सप्लाई कर रहा है ताकि वो कमजोर न पड़े. ऑफिस ऑफ डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ये क्लेम करती है. इसमें चीन की सरकार के अलावा चीनी कंपनियों को भी घेरा गया कि वे रूस को सपोर्ट कर रहे हैं. ये तो हुआ एक पहलू.

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हो सकता है कि चीन उसे मदद कर रहा हो, या नहीं भी कर रहा हो. लेकिन इतना तय है कि यूक्रेन बिना मदद इतने लंबे समय तक टिक नहीं सकता था. 

दोनों देशों में कितना अंतर है?

साल 2020 के आखिर में यूक्रेन की जीडीपी 155.5 बिलियन डॉलर थी. वहीं रूस की जीडीपी 1.48 ट्रिलियन डॉलर थी. एक तरह से देखा जाए तो रूस की इकनॉमी यूक्रेन से 10 गुना ज्यादा मजबूत है. स्टॉक मार्केट पर काम करने वाली कंपनी नेस्डेक के मुताबिक, जीडीपी के मामले में रूस लगातार जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे देशों से भी आगे रहा.

कहां से सहायता मिल रही यूक्रेन को?

अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के सारे बड़े देश उसे पैसों और हथियारों की मदद दे रहे हैं. जर्मन रिसर्च संस्थान कील इंस्टीट्यूट फॉर वर्ल्ड इकनॉमी (IfW) इसपर नजर रख रही है कि कौन सा देश यूक्रेन को कितनी सहायता दे रहा है. इसके मुताबिक कुल 28 देशों ने उसे हथियारों की मदद दी. इसमें सबसे बड़ा योगदान अमेरिका का रहा.

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की.

मदद की ट्रैकिंग भी हो रही

कौन सा देश यूक्रेन को क्या दे रहा है, इसपर निगाह रखने के लिए IfW ने एक ट्रैकिंग वेबसाइट बना रखी है. यूक्रेन सपोर्ट ट्रैकर नाम की इस साइट पर पैसे, हथियार, रसद और मानवीय मदद के अलग-अलग आंकड़े हैं. हालांकि जर्मन रिसर्च इंस्टीट्यूट ये भी मानता है कि असल में ये शायद ही पता लग सके कि किस देश ने यूक्रेन को कितनी मदद दी. देशों के दिए डेटा में कितनी पारदर्शिता है, इसका पता लगाना असंभव है, जब तक कि वो लीक न हो जाए.

क्या कोई देश रूस की भी मदद कर रहा है? 

इस बारे में खुलकर कोई भी जानकारी नहीं मिलती सिवाय अमेरिकी क्लेम्स के. अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज का दावा है कि चीनी कंपनियां रूस को मिसाइड रडार के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स और कई सैन्य चीजें भेजती रहीं. इसमें बुलेट प्रूफ जैकेट भी शामिल है. कयास लगता रहा कि अमेरिका से नाराज सभी देश छोटे-बड़े स्तर पर रूस की मदद कर रहे होंगे, जैसे उत्तर कोरिया, वियतनाम और क्यूबा. 

लंबे युद्ध की वजह से यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके. 

इन शहरों में दिखने लगी रशियन सेना

रूस फिलहाल यूक्रेन के लगभग 18 प्रतिशत हिस्से पर अपना कब्जा जमाए हुए है. पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा इसमें सबसे अहम है. ये यूक्रेन की राजनीति का केंद्र रहा है. इसके पास ही डोनेट्स्क के दो बड़े शहरों पर भी रूस ने काफी हद तक कंट्रोल हासिल कर लिया. लुहान्स्क भी रूसी कब्जे में आ चुका है. क्रीमिया पर रूसी अधिकार साल 2014 में ही हो चुका. यूक्रेन तबाही के बीच भी अपने शहरों से रूसी सेना को खदेड़ने की कोशिश कर रहा है. 

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यूक्रेन का कितना नुकसान हो चुका?

बीते एक साल में जो तबाही मची है, उसके रिकंस्ट्रक्शन और रिकवरी में लगभग 411 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा. इसमें सड़कों, इमारतों और बिजली-पानी की रिपेयरिंग का खर्च शामिल है. ये डेटा वर्ल्ड बैंक ने 9 महीने पहले जारी किया था. अब इसमें कुछ बढ़त ही हुई होगी. अगर रिकवरी के लिए पूरे पैसे आ भी जाएं तो भी इसे ठीक करने में लंबा समय लगेगा. इतने में दुनिया कुछ साल और आगे हो जाएगी, जबकि तबाह हुई देश थोड़ा और पीछे रह जाएगा. 

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