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बुर्का हटाने की बात पर BJP प्रत्याशी माधवी लता पर केस, क्या वोटिंग के दौरान ढंका जा सकता है चेहरा, क्या हैं नियम?

इलेक्शन कमीशन 'फ्री एंड फेयर' चुनावों की बात करता है. इसका एक हिस्सा यह भी है कि कोई फर्जी वोट न पड़े. फिर हैदराबाद से बीजेपी प्रत्याशी माधवी लता के एक्शन में क्या गलत था? आरोप है कि वोटिंग के दौरान माधवी ने महिला वोटर्स से बुर्का हटाने को कह दिया. वैसे दुनिया के कई देशों में मतदान के दौरान चेहरा दिखाना जरूरी है.

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ईसी ने कई फैसले लिए. (Photo- PTI) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ईसी ने कई फैसले लिए. (Photo- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

तेलंगाना की हैदराबाद सीट से BJP कैंडिडेट माधवी लता पर मुस्लिम महिला वोटरों के साथ गलत व्यवहार का आरोप लगा. दरअसल चौथे चरण की वोटिंग के दौरान एक वीडियो जारी हुआ, जिसमें माधवी महिलाओं से बुर्का हटाने को कहती हैं. चुनाव अधिकारी के आदेश पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन क्या चेहरा कवर रखने पर पारदर्शी वोटिंग पर असर नहीं होता? जानिए, क्या है हमारे, और दूसरे देशों में नियम. 

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क्या है बीजेपी प्रत्याशी का मामला

माधवी पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए आईपीसी के सेक्शन 171सी, पब्लिक सर्वेंट को रोकने पर 186 और 501सी के तहत मामला दर्ज हुआ. साथ ही साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 132 के तहत भी केस हुआ है. हैदराबाद कलेक्ट्रेट ऑफिस ने सोशल मीडिया पर ये जानकारी दी. बता दें कि चौथे चरण के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें माधवी महिलाओं के चेहरे से बुर्का हटाकर फोटो आईडी से उसका मिलान करती दिख रही हैं.

सफाई देते हुए बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि कानून के मुताबिक मुझे अपने इलाके वोटर्स के आईडी कार्ड और उन्हें फेस मास्क के बिना देखने का अधिकार है. मैं पुरुष नहीं, महिला हूं और मैंने विनम्रता के साथ अपनी बात कही थी. 

क्या चेहरा कवर कर सकते हैं वोटर

काफी समय से इसपर बात होती रही, हालांकि धर्म विशेष की महिलाओं का चेहरा ढंककर आम बात है. पचास के दशक में पहले लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने पूरी कोशिश की कि महिलाएं चुनाव में हिस्सा लें. लेकिन बहुत सी महिलाओं ने वोटर के तौर पर अपना नाम लिखाने से इनकार कर दिया. वे चाहती थीं कि उन्हें उनके पुरुष रिश्तेदार के नाम से जाना जाए, जैसे फलां की माता या बहन या पत्नी. 

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स्थिति ये थी कि कुल मतदाताओं में से 28 लाख वोटरों ने अपना नाम ही नहीं लिखाया, बल्कि किसी के रिश्तेदार बने रहे. ये बात पहले चीफ इलेक्शन कमिश्रर सुकुमार सेन ने बताई थी. 

चेहरा मिलाने का अधिकार है 

ईसी का काम है कि वो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए. इसमें ये भी देखा जाता है कि कोई फर्जी वोट न डाला जाए. अगर जरूरी हो तो मतदान अधिकारी के पास ये हक है कि वो वोटर कार्ड की फोटो और मतदाता के चेहरे का मिलान कर सके. 

क्या होता है जहां चेहरा ढंकने वाली महिला वोटर ज्यादा हों

बुर्का या घूंघट में चेहरा ढंककर पहुंची महिला मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा हो सके, साथ ही फेयर इलेक्शन हो, इसके लिए ईसी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. इसके मुताबिक, अगर किसी पोलिंग स्टेशन पर काफी संख्या में पर्दानशीन (बुर्का-पहने हुए) महिला मतदाता पहुंच रही हों तो अधिकारियों को उनकी पहचान के लिए खास व्यवस्था करनी चाहिए.

इसके तहत एक अलग कमरे में महिला मतदान अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि गोपनीयता और शालीनता बनी रहे. प्रिसाइडिंग ऑफिसर के लिए जारी हैंडबुक कहती है कि अलग कमरे या स्पेस के लिए स्थानीय तौर पर उपलब्ध लेकिन सस्ता विकल्प हो. नियम कहता है कि जहां भी चेहरा ढंके हुए महिला वोटर आ रही हों, वहां कम से कम एक महिला पोलिंग अफसर जरूर हो. 

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क्या है विदेशों में नियम

- दूसरे देशों में भी नियम है कि वोटर को कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन चेहरे से कवर या मास्क हटाना होगा.

- ब्रिटेन की इलेक्टोरल कमीशन की आधिकारिक वेबसाइट में पूरी प्रोसेस बताई गई है.

- अगर कोई महिला मतदाता चाहे तो वो प्राइवेट में आईडी और चेहरे के मिलान की रिक्वेस्ट कर सकती है.

- रिक्वेस्ट रिटर्निंग ऑफिसर से करनी होती है. आमतौर पर ये रिक्वेस्ट मंजूर हो जाती है.

- आईडी चेक होने के बाद महिला मतदाता वोटिंग की बाकी प्रक्रिया बुर्का या नकाब पहनकर कर सकती है.

- वेबसाइट के अनुसार, महिला वोटर अपना चेहरा ठीक से ढंक सके, इसके लिए पोलिंग स्टेशन पर आईना भी मिलता है. 

इन देशों में बुर्का पर होता रहा बवाल

वोट देने के दौरान चेहरे का मिलान एक बात है, लेकिन कई देश ऐसे भी हैं, जहां फेस कवरिंग पर रोक लग चुकी. महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर बुर्का या नकाब नहीं पहन सकती हैं. ये नियम सेफ्टी को देखते हुए बना. सबसे पहले लगभग 12 साल पहले फ्रांस ये नियम बनाने वाला पहला देश था. प्रतिबंध के तहत कोई भी महिला घर से बाहर पूरा चेहरा ढंककर नहीं आ-जा सकती. नियम तोड़ने पर जुर्माना भी तय हुआ.

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इसके बाद कई देश कतार में आए. बेल्जियम, नीदरलैंड और ऑस्ट्रिया में चेहरा ढंकने पर पाबंदी है. इटली के कुछ शहरों में ये नियम है. जर्मनी में ड्राइविंग के दौरान महिलाएं चेहरा नहीं ढंक सकतीं. नॉर्वे में स्कूल-कॉलेज में बुर्का, हिजाब या नकाब पर मनाही है. मुस्लिम-बहुल अफ्रीका के कई देशों में बुर्काधारी महिलाओं ने सुसाइड बॉम्बिंग की. साल 2015 में हुई घटनाओं के बाद यहां कई देशों में चेहरा ढंकने पर रोक लगा दी गई.

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