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क्या है इद्दत, जिसे न मानने पर Imran Khan और उनकी पत्नी को हुई सजा, कब इस्लाम में शादियां अवैध बन जाती हैं?

पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव हैं. इससे पहले वहां के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गैरकानूनी तरीके से शादी पर 7 साल की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने इमरान और उनकी पत्नी बुशरा के खिलाफ इद्दत मैरिज केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि ये शादी गैर-इस्लामिक है. जानिए, क्या है इद्दत और क्यों इसे न मानने पर मुस्लिम शादियां अमान्य हो जाती हैं.

इमरान खान को गैर इस्लामिक निकाह मामले में सजा हुई. (Photo- India Today) इमरान खान को गैर इस्लामिक निकाह मामले में सजा हुई. (Photo- India Today)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:22 AM IST

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को ऐन चुनाव से पहले एक के बाद एक तीन मामलों में सजा हो गई. ताजा केस अवैध शादी का है. इसी 3 फरवरी को रावलपिंडी में सिविल जज ने इमरान और उनकी तीसरी पत्नी बुशरा खान के खिलाफ फैसला सुनाया. मामले को खुद बुशरा के पूर्व पति खावर फरीद मानेका कोर्ट तक लेकर गए थे. उनका कहना था कि इमरान से रिश्ते के समय बुशरा का इद्दत का समय चल रहा था. दोनों ने इसी पीरियड में निकाह किया, जो पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 496 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. 

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क्या है इद्दत

यह इंतजार की अवधि है. इसका पालन किसी महिला को तब करना होता है, जब उसके शौहर की मौत हो जाए. इस दौरान महिला एक निश्चित वक्त तक शादी नहीं कर सकती है. ये समय करीब 4 महीने लंबा होता है. तलाक के बाद भी ये वेटिंग पीरियड मानना जरूरी है.  इस अवधि को कुरू कहते हैं, हालांकि बोलचाल में इसे भी इद्दत ही कहा जाता है. 

क्यों पालन करना जरूरी

इद्दत का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि इस दौरान महिला गर्भवती तो नहीं. अगर इद्दत का समय पूरा किए बगैर महिला शादी कर ले और इसके बाद प्रेग्नेंसी सामने आए तो ये हो सकता है कि बच्चे की वैधता पर शक हो. इसी शक को दूर करने के लिए इद्दत की अवधि लंबी रखी गए ताकि प्रेग्नेंसी (अगर हो तो) पता लग जाए. इसमें ये भी है कि गर्भवती होने पर महिला बच्चे के जन्म तक नई शादी नहीं कर सकती. 

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महिला को दर्द से उबारना भी एक मकसद

इसका एक मकसद नए रिश्ते से पहले महिला को पूरी तरह से तैयार करना भी है. पति की मौत या तलाक के बाद औरत उस सदमे से बाहर आकर रिश्ते को पूरी तरह से अपना सके, इद्दत इस प्रिपरेशन का समय भी देता है. इस दौरान महिला शादी नहीं कर सकती. अगर वो ऐसा कर ले तो शरियत के मुताबिक संबंध गैर-इस्लामिक माना जाएगा.

क्या है पाकिस्तानी पीएम का केस

इमरान खान मामले में उनकी पत्नी बुशरा के पूर्व पति मनेका ने कोर्ट में याचिका लगाई थी. उनके अनुसार, बुशरा ने 25 सितंबर 2017 में उन्हें तलाक दिया और इद्दत के वेटिंग पीरियड को पूरा किए बगैर 1 जनवरी 2018 को इमरान से शादी कर ली. ये मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है. अदालत ने जांच के दौरान आरोप सही पाते हुए इमरान और बुशरा दोनों को ही 7 सालों की कैद और जुर्माना भी लगाया. 

इद्दत का पीरियड अलग-अलग मामलों में अलग

- तलाकशुदा महिला के लिए ये अवधि करीब 3 महीने है, जबकि विधवा होने पर ये करीब 130 दिनों की हो जाती है.

- अगर महिला इस दौरान प्रेग्नेंट रहे तो बच्चे के जन्म तक वो नया रिश्ता नहीं बना सकती.

- शादी अगर अवैध हो, यानी इस्लामिक कानून का पालन न किया गया हो तो इद्दत का पालन जरूरी नहीं.

- जायज शादी में इद्दत की अवधि को पूरा करना जरूरी है.

- इद्दत का ये समय केवल महिलाओं पर लागू होता है. तलाकशुदा या विधुर पुरुष पर ये लागू नहीं होता. 

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वेटिंग फेज को पूरा करने के लिए भी खास जगह होती है

इस अवधि के दौरान महिला उसी घर में रहेगी, जहां वो अपने पति की मौत या शादी टूटने के समय स्थाई तौर पर रह रही थी. अगर महिला सफर कर रही हो, और इस दौरान उसे पति के निधन की खबर मिले तो तुरंत इद्दत के लिए उसे घर यानी पति के यहां लौटना होगा. केवल कुछ खास स्थितियों में इद्दत की जगह बदल सकती है. 

इस अवधि में कई नियम भी हैं

इस दौरान मुस्लिम महिला मेकअप नहीं कर सकती, या किसी भी तरह से सज-संवर नहीं सकती. उसे चमक-दमक वाले या रेशमी कपड़ों की मनाही रहती है. इद्दत का समय पूरा होने तक उसे घर के भीतर ही रहना होता है. किसी मेडिकल जरूरत या किसी और इमरजेंसी में इसमें छूट है. वो गैर-पुरुषों से किसी हाल में नहीं मिल सकती. मेडिकल इमरजेंसी के दौरान भी वो उसी पुरुष के साथ बाहर जा सकती है, जिससे वो इस्लामी कानून के मुताबिक शादी नहीं कर सकती.

क्या हो रहा है इमरान के मामले में

जाते हुए एक बार इमरान खान के मामलों को भी देखते चलें. इमरान को तीन मामलों में सजा हो चुका है. एक बेहद गंभीर केस का फैसला आना अब भी बाकी है. इसमें उनकी पार्टी PTI के सपोर्टरों ने पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर हमला किया था. इस मामले को देश के खिलाफ जंग के केस की तरह ट्रीट किया जा रहा है. यहां तक कि ये कयास भी लग रहे हैं कि पूर्व पीएम को फांसी की सजा तक हो सकती है. बता दें कि पाकिस्तान सेना अधिनियम की धारा 59 में प्रावधान है कि अगर कोई देश के खिलाफ हथियार उठाए या सेना पर हमला करे तो उसे आतंकवाद माना जाता है और मौत की सजा भी दी जा सकती है. 

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