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BJD, BSP, AIMIM... वो 10 दल, जो हैं INDIA गठबंधन की राह के कांटे

अभी देखा जाए तो 10 पार्टियां ऐसी हैं, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इन पार्टियों ने 2019 में 63 सीटें जीती थीं. इनमें से तीन एनडीए के पार्टनर थे और दो तत्कालीन यूपीए का हिस्सा का थे.

विपक्षी गठबंधन की मुंबई में दो दिन की बैठक है. (फाइल फोटो) विपक्षी गठबंधन की मुंबई में दो दिन की बैठक है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

साल 2024 में बीजेपी के मुकाबले के लिए विपक्ष का सबसे बड़ा मुंबई में हो रहा है. विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. यानी 'इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्ल्युएसिव अलायंस' की तीसरी बैठक हो रही है.

दो दिन तक चलने वाली इस बैठक में 28 विपक्षी पार्टियों के 63 नेता शामिल होने का दावा है. इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर मंथन होगा.

'इंडिया' गठबंधन की पहली बैठक जून में पटना में हुई थी. दूसरी बैठक जुलाई में बेंगलुरु में हुई थी. उसी बैठक में गठबंधन का नाम 'I.N.D.I.A.' रखा गया था. अब मुंबई में जो बैठक हो रही है, उसमें गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा होनी है. इस बैठक में दो सबसे बड़े मुद्दे सुलझने की बात कही जा रही है. पहला कि विपक्षी पार्टियां सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा कर सकती हैं और ये मुद्दा सुलझ सकता है. और दूसरा कि एकजुट विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का चेहरा. 

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इस बैठक में 28 पार्टियों के 63 नेता और 6 मुख्यमंत्री शामिल हो रहे हैं. विपक्षी गठबंधन एकजुट होने और ताकतवर तरीके से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को मात देने का दावा कर रहा है. लेकिन कुछ ऐसी पार्टियां भी हैं, जो उसका गेम बिगाड़ सकती हैं.

ये वो पार्टियां हैं, जो न तो विपक्ष के महाजुटान का हिस्सा हैं. और न ही एनडीए के साथ हैं. फिर भी माना जाता है कि इनमें से कुछ पार्टियां एनडीए के साथ जा सकती हैं. 

कौन सी हैं वो पार्टियां?

अभी देखा जाए तो 10 पार्टियां ऐसी हैं, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इन पार्टियों ने 2019 में 63 सीटें जीती थीं. इनमें से तीन एनडीए के पार्टनर थे और दो तत्कालीन यूपीए का हिस्सा का थे.

इनमें भी तीन बड़ी पार्टियां हैं. पहली- जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति. इनके शासन वाले तीनों राज्य- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में 63 लोकसभा सीटें आती हैं.

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इनके अलावा दो बड़ी मुस्लिम पार्टियां- ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन और बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट भी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. 

ऐसा माना जा रहा है कि AIMIM और AIUDF जैसी मुस्लिम केंद्रित पार्टियों को विपक्षी गठबंधन से इसलिए दूर रखा जा रहा है, ताकि बीजेपी इसे सांप्रदायिक रंग न दे सके.  

इनके अलावा मायावती की बहुजन समाज पार्टी, बादल परिवार की अकाली दल, चंद्रबाबू नायडू के तेलुगु देशम पार्टी, एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी अभी तक कहीं नहीं गईं हैं.

कैसे बढ़ा सकती हैं I.N.D.I.A. की मुश्किलें?

वो इसलिए क्योंकि जो पार्टियां अभी तटस्थ हैं, उनमें से कुछ ऐसी पार्टियां हैं जो कई मामलों में एनडीए का समर्थन कर चुकी हैं.

बीजेडी, बीएसपी, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल, जनता दल (एस), टीडीपी जैसी पार्टियां संसद भवन के उद्घाटन पर बीजेपी को समर्थन दे चुकी हैं. 

टीडीपी तो 2018 तक और अकाली दल 2019 तक एनडीए का हिस्सा भी रह चुकी हैं. बीजेपी चाहती है कि पुराने साथियों को फिर से अपने साथ लाया जाए. टीडीपी से तो बातचीत भी चल रही है. 

वहीं, मायावती साफ कर चुकी हैं कि बीएसपी न तो एनडीए के साथ जाएगी और न ही विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनेगी.

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इन पार्टियों की वजह से कई राज्यों में I.N.D.I.A. गठबंधन की परेशानियां बढ़ सकती हैं. माना जा रहा है कि ये पार्टियां चुनाव के बाद अपने पत्ते खोल सकतीं हैं. ऐसे में इनकी भूमिका किंगमेकर की हो सकती है.

 

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