Advertisement

देवी लक्ष्मी, भगवान शिव और गरुड़... गणतंत्र दिवस पर अतिथि बने इंडोनेशिया की संस्कृति में है भारतीय पुराणों की झलक

भारत और इंडोनेशिया सदियों से एक जैसी ही विरासत के साझीदार हैं. ये साझेदारी, सिर्फ व्यावसायिक या आर्थिक नहीं है. यह साझेदारी परंपराओं की है, मान्यताओं की है, धार्मिक मान्यताओं की है और पौराणिक कथाओं-कहानियों की भी है. इसे ऐसे समझ लें कि जैसे हमारी दादी और नानी हमें रामायण-महाभारत की कहानियां और प्रसंग सुनाती रही हैं, तो इंडोनेशिया के बच्चे भी वैसी ही कहानियां सुनकर बड़े होते हैं.

भारत और इंडोनेशिया एक जैसी ही पारंपरिक विरासत के साझीदार हैं भारत और इंडोनेशिया एक जैसी ही पारंपरिक विरासत के साझीदार हैं
विकास पोरवाल
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:39 AM IST

गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार भारत, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो की मेजबानी कर रहा है. वे इस समारोह में मुख्य अतिथि बनकर बनकर आए हैं. इतिहास को देखें तो यह 5वीं बार है जब गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के नेता बतौर अतिथि भारत पहुंचे हैं. 26 जनवरी 1950 को हुए पहले गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ही मुख्य अतिथि थे. 

Advertisement

भारत और इंडोनेशिया की संस्कृतियों की साझी विरासत
भारत और इंडोनेशिया सदियों से एक जैसी ही विरासत के साझीदार हैं. ये साझेदारी, सिर्फ व्यावसायिक या आर्थिक नहीं है. यह साझेदारी परंपराओं की है, मान्यताओं की है, धार्मिक मान्यताओं की है और पौराणिक कथाओं-कहानियों की भी है. इसे ऐसे समझ लें कि जैसे हमारी दादी और नानी हमें रामायण-महाभारत की कहानियां और प्रसंग सुनाती रही हैं, तो इंडोनेशिया के बच्चे भी वैसी ही कहानियां सुनकर बड़े होते हैं. ये तथ्य बताने के साथ यहां यह भी बताना जरूरी हो जाता है कि इंडोनेशिया में हिंदू आबादी सिर्फ 2 प्रतिशत ही है. 

इंडोनेशिया की पौराणिक कथाएं वैसे तो अलग-अलग संस्कृतियों और जातीय समूहों पर आधारित हैं. इनमें हिंदू, इस्लामी, ईसाई और बाइबिल से प्रेरित कथाओं का एक सार स्वरूप दिखाई देता है. हालांकि इसमें भी हिंदू मिथकों और पौराणिक चरित्रों की भूमिका और प्रभाव यहां अधिक दिखाई देता है.

Advertisement

ब्रह्मांड की उत्तपत्ति की दोनों देशों में एक जैसी थ्योरी
भारतीय वेद परंपरा में ऋग्वेद का हिरण्यगर्भ सूक्त कहता है कि यह ब्रह्मांड सृष्टि की उत्पत्ति से पहले एक 'स्वर्ण गर्भ अंड' (सोने का अंडा) था. इसे अंडे में विस्फोट से सृष्टि बनी. विज्ञान इसे बिगबैंग थ्योरी कहता है. वहीं भारत की ही शाक्त परंपरा जो देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की बात करती हैं. इसमें चौथी देवी का नाम कूष्मांडा है. देवी कूष्मांडा ही ब्रह्मांड की अंड स्वरूप देवी हैं, जिनकी इच्छा से ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है. 

हिरण्यगर्भ: समवर्तताग्रे भूतस्य जात: पतिरेक आसीत्।
स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम॥ (ऋग्वेद, हिरण्यगर्भ सूक्त)

इसी तरह, इंडोनेशियाई पौराणिक कथाओं में भी यह बताया गया है कि कैसे इंडोनेशियाई पूर्वजों ने ब्रह्मांड, भूमि और उसमें निवास करने वाले सभी जीवों की रचना की. कुछ संस्कृतियों का मानना है कि एक आध्यात्मिक शक्ति, जिसे "ह्यांग्स" कहा जाता है, ने पूरे ब्रह्मांड की सृष्टि की. इसलिए, ह्यांग्स को दिव्य या पूर्वजों के रूप में देखा जाता है. 

धरती देवी की उत्पत्ति की कहानी, जो वराह अवतार से मेल खाती है
अन्य जातीय परंपराओं का मानना है कि पृथ्वी एक विशाल बाबिरुसा (जंगली सूअर) की पीठ पर स्थित थी और जब बाबिरुसा को अपनी पीठ पर खुजली होती थी, तो वह एक ताड़ के पेड़ से अपनी पीठ रगड़ता था. इस प्रक्रिया में पृथ्वी उसके पीछे से गिर गई और आज जो भूमि के रूप में जानी जाती है, उसका निर्माण हुआ.

Advertisement

ये कहानी भारतीय पौराणिक कथा वराह अवतार से कुछ-कुछ मेल खाती है. वराह भगवान विष्णु का एक अवतार है, जो एक जंगली सुअर का है. इसके बाहर निकले दो दांतों पर पृथ्वी को टिके हुए कई चित्रों में दिखाया जाता है.

इंडोनेशिया में 1,300 से अधिक जातीय समूह हैं और प्रत्येक के अपने देवी-देवता, विश्वास, संस्कृति और पौराणिक कथाएं हैं. हालांकि, कुछ देवी-देवता इतने प्रसिद्ध हैं कि उनकी ख्याति विभिन्न जातीय समूहों में फैली हुई है. 

इनमें शामिल कुछ देवताओं के नाम इस तरह से हैं...

अचिन्त्य – सर्वोच्च देवता 
यह परमसत्ता का प्रतीक है, इसे ब्रह्म कह सकते हैं. हालांकि हिंदू मिथकों में सर्वोच्च देवता में भी त्रिदेव (ब्रह्ना, विष्णु, महेश) को कहा जाता है. शैव, शिव को परब्रह्म कहते हैं तो वैष्णव विष्णु को परब्रह्म कहते हैं. हालांकि अचिन्त्य भगवान विष्णु का ही एक नाम है, जो सभी की चिंता हर लेते हैं. हालांकि अचिन्त्य की वेशभूषा उनसे मेल नहीं खाती है.

बतारा कला – पाताल लोक के देवता 
यह असुर राज बलि की ही तरह का देवता है, जिसके साथ वामन अवतार की गाथा जुड़ी है. केरल में ओणम मनाने का आधार राजा बलि ही हैं. जो कि पाताल के देवता माने जाते हैं.

बतारा कला (यम देवता)

देवी दानु – झील की देवी
भारतीय पौराणिक कथाओं में देवी दानु, महर्षि कश्यप की पत्नी और दक्ष प्रजापति की पुत्रियों में से एक हैं. देवी दानु का निवास भी पातालगंगा में बताया गया है. उनके पुत्र ही पौराणिक कथाओं में दानव कहलाते हैं.

Advertisement

देवी रति – चंद्रमा की देवी 
पौराणिक मिथकों में भी देवी रति सौंदर्य की देवी हैं. वह कामदेव की पत्नी हैं, जो प्रेम का प्रतीक हैं. देवी रति के ही प्रभाव से चंद्रमा इतना सुंदर और शीतल चांदनी का स्वामी है.

देवी श्री – चावल और समृद्धि की देवी
भारतीय पौराणिक मिथकों में श्री, देवी लक्ष्मी का ही एक नाम है. चावल यानी धान को भी उनका ही स्वरूप माना जाता है और उनकी पूजा में चावल की विशेष अहमियत है. श्री ही समृद्धि की भी देवी हैं. 

इन कहानियों और कथाओं को मौखिक और लिखित परंपराओं के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया है. यही कारण है कि इन मिथकों का ज्ञान आज भी जीवित है. इंडोनेशियाई लोगों का यह विश्वास कि पृथ्वी के प्रत्येक प्राकृतिक तत्व में एक आत्मा होती है, आज भी व्यापक रूप से सिखाया और सुनाया जाता है. इसे एनिमिज्म और डायनमिज्म का अभ्यास कहा जाता है.

देवी श्री, जो कि पौराणिक देवी लक्ष्मी की ही तरह धान और समृद्धि की देवी हैं, इनके हाथ में धान की बाली दिखाई देती है. (नौवीं शताब्दी की कांस्य प्रतिमा)

इंडोनेशिया में हिंदू पौराणिक किरदारों की झलक उनकी सांस्कृतिक विरासत और लिखे गए प्राचीन साहित्य और मनोरंजन के तौर-तरीकों में भी देखने को मिलती हैं. भारत की ही तरह यहां भी लोकगीतों जैसी परंपरा है, जिसमें किसी कहानी को आगे बढ़ाया जाता है. इसी तरह मंच पर होने वाले नाटकों और अन्य प्रस्तुतियों में भी भारतीय पौराणिक महाकाव्य आधार बनते हैं.

Advertisement

1. रामायण और महाभारत का प्रभाव
इंडोनेशिया में हिंदू धर्म का प्रभाव 5वीं से 15वीं शताब्दी तक काफी रहा है. रामायण और महाभारत, दो महाकाव्य, यहां की संस्कृति और कला का हिस्सा बने हुए हैं. इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर विशेष रूप से इन ग्रंथों का महत्व देखा जा सकता है. रामायण और महाभारत की प्रस्तुति के यहां कई तरीके अपनाए जाते हैं.

इंडोनेशिया में हनुमान के चित्रण में स्थानीय कला की झलक दिखती है. हनुमंत की कहानियां मुख्यतः उनकी बहादुरी और संकटों से रक्षा पर केंद्रित हैं.

वहीं, इंडोनेशिया में रावण को "रावणान" कहा जाता है. उनका चरित्र भारतीय पौराणिक कथाओं की तरह ही शक्तिशाली और बुद्धिमान माना गया है. इंडोनेशियाई रंगमंच में रावणान की भूमिका को नृत्य और कठपुतली के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है.

वेयांग कुलित (Wayang Kulit): यह छाया कठपुतली कला रामायण और महाभारत की कहानियों को प्रस्तुत करने का बेहद आम जरिया है. वहीं बाली और जावा द्वीपों में रामायण पर आधारित नृत्य नाटक किए जाते हैं, जहाँ रावण, हनुमान, और राम जैसे पात्रों की प्रस्तुति होती है.

अर्जुन और भीम: महाभारत के इन पात्रों को इंडोनेशिया में वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है.

2. पौराणिक मंदिर और मूर्तियां

प्रंबानन मंदिर (Prambanan Temple): यह यूनेस्को द्वारा संरक्षित मंदिर है जो रामायण और महाभारत के पात्रों को समर्पित है.

Advertisement

बोरबुदुर: यह मुख्यतः बौद्ध मंदिर है, इसमें भी हिंदू धर्म के प्रभाव भी देखे जा सकते हैं.

रामायण और महाभारत दोनों जगहों पर नैतिकता, वीरता और धर्म के मूल्य सिखाते हैं. कहानियों में पारिवारिक संबंधों की जटिलता और महत्व दोनों ही संस्कृतियों में एक जैसे ही हैं. हालांकि इंडोनेशिया ने इन कहानियों को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के अनुसार ढाल लिया है. भारतीय रामायण धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है, जबकि इंडोनेशिया में इसे नृत्य और कला के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है.

इंडोनेशिया के अन्य पौराणिक पात्र

1. गरुड़ः गरुड़, जो भारत में भगवान विष्णु के वाहन हैं, इंडोनेशिया में भी पूजनीय हैं. गरुड़ यहां के राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा हैं. इंडोनेशिया गरुड़ को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में "गरुड़ पंचशील" के रूप में भी सामने रखता है. गरुड़ पंचशील को काले या सुनहरे रंग में चित्रित किया गया है, जो राष्ट्र की महानता और जावा के बाज (एलंग जावा) का प्रतीक है. काले रंग को प्रकृति का प्रतीक माना गया है.

गरुड़ के पंखों, पूंछ और गले पर विशेष संख्या में पंख दर्शाए गए हैं. प्रत्येक पंख में 17, निचली पूंछ में 8, ऊपरी पूंछ में 19 और गर्दन पर 45 पंख हैं. ये संख्या 17 अगस्त 1945 को दर्शाती है, जब इंडोनेशिया ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी. गरुड़ के द्वारा उठाई गई ढाल पर "पंचशील" का आदर्श वाक्य लिखा है, जो संघर्ष में आत्मरक्षा और संरक्षण का प्रतीक है. गरुड़ को संघर्ष का प्रतीक भी माना जाता है.

Advertisement
गरुड़... इंडोनेशिया में संघर्ष और स्वतंत्रता का प्रतीक, (जकार्ता के एक संग्रहालय मे काष्ठ कला)

2. श्रीकृष्णः श्रीकृष्ण का प्रभाव इंडोनेशिया के लोक साहित्य और नृत्य कला में देखा जाता है. अर्जुन और कृष्ण का संवाद और महाभारत के युद्ध के दृश्यों को इंडोनेशिया में कला के माध्यम से चित्रित किया जाता है.

3. शिव और दुर्गाः शिव और दुर्गा की पूजा इंडोनेशिया में पहले व्यापक रूप से होती थी. शिव को "बतारा गुरु" के रूप में जाना जाता है. बतारा गुरु को भट्टारा गुरु, देबता बतारा गुरु और बतारा शिवा भी कहा जाता है. यह इंडोनेशियाई हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता का भी नाम है. इनका नाम संस्कृत शब्द "भट्टारक" से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'महान स्वामी'.यह इंडोनेशियाई हिंदू ग्रंथों में सभी गुरुओं के प्रथम रूप में माने जाते हैं.

बतारा गुरु, जिनकी प्रतिमा भारतीय पौराणिक किरदार शिव से मेल खाती है. 8वीं-9वीं शताब्दी में जावा की मूर्तिकला)

4. किन्नरः इंडोनेशिया के मिथकों में एक पात्र किन्नर भी हैं. किन्नर और किन्नरी की युगल छवियां बोरबुदुर, मेंदुत, पावोन, सेवू, सारी और प्रम्बानन मंदिरों में देखी जा सकती हैं. इन्हें आमतौर पर पक्षियों के रूप में चित्रित किया जाता है जिनके सिर मानव के होते हैं, या फिर ऐसे मानव के रूप में जिनके निचले अंग पक्षियों के होते हैं. किन्नर और किन्नरी की जोड़ी अक्सर कल्पवृक्ष (जीवन का वृक्ष) की रक्षा करते हुए या खजाने के एक घड़े की रक्षा करते हुए दिखती है.

बरोंगः बरोंग इंडोनेशिया के बाली की पौराणिक कथाओं में एक तेंदुए जैसा प्राणी और पात्र है. वह आत्माओं का राजा है और  राक्षसी रानी रंगदा का दुश्मन है, जो कि बुराई का प्रतीक है. बरोंग और रंगदा के बीच का युद्ध "बरोंग नृत्य" में दर्शाया जाता है, जो अच्छाई और बुराई के बीच के संघर्ष का प्रतीक है.

बरोंग... रक्षक देवता, जिसका शरीर तेंदुए का है. मुखौटा नृत्य में नर्तक इसके मुखौटे पहन कर प्रस्तुति देता है

5. श्रीगणेशः इंडोनेशिया में गणेश जी की पूजा के चिह्न भी मिलते हैं. यहां बाली में कई मंदिर हैं जहां गणेशजी की पूजा की जाती है. इनमें उलुवातू मंदिर (Uluwatu Temple) और स्नागग मंदिर (Sangeh Temple) प्रसिद्ध हैं. इसके अलावा जावा का प्रसिद्ध प्रंबानन मंदिर भी (Prambanan Temple) अपनी गणपति प्रतिमा के लिए पहचाना जाता है, जहां हिंदू सांस्कृतिक प्रभाव देखने को मिलता है. साल 1998 में इंडोनेशिया ने एक करेंसी भी जारी की थी, जिसमें गणेश जी की तस्वीर बनी थी. यह करेंसी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जारी की गई थी, क्योंकि माना जाता है कि श्रीगणेश विद्या के देवता हैं. हालांकि ये करेंसी साल 2008 के बाद से चलन में नहीं है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement