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विवाद के बीच 3 दिन में 1400 भारतीय पहुंचे मालदीव, जानें- वहां कितना खर्च करते हैं इंडियंस

लक्षद्वीप को लेकर भारत और मालदीव के बीच शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोशल मीडिया पर बहस जारी है. लक्षद्वीप घूमने जाने की अपील की जा रही है. वहीं, मालदीव का बायकॉट किया जा रहा है. ऐसे में जानते हैं कि ये पूरा विवाद शुरू होने से पहले और बाद में कितने भारतीय मालदीव घूमने गए हैं.

मालदीव की ज्यादातर अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है. (फाइल फोटो) मालदीव की ज्यादातर अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है. (फाइल फोटो)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

भारत और मालदीव के बीच जिस तरह का राजनयिक तनाव इस समय बढ़ा है, वैसा शायद ही पहले कभी बढ़ा हो. सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव जैसे हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं. इस सबकी शुरुआत तब हुई, जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के खिलाफ टिप्पणी की.

दरअसल, चार जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप के दौरे पर थे. उन्होंने दौरे की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं और लोगों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की. इसके बाद छह जनवरी को मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना ने पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की. उनके बाद दो और मंत्री- महजूम माजिद और मालशा शरीफ भी कूद पड़े और भारत विरोधी टिप्पणी की. बवाल बढ़ा तो मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया. 

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लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद दोनों ओर सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया. कई लोगों ने अपनी बुकिंग्स कैंसिल कर दी. मालदीव के विपक्षी नेता ने दावा किया कि विवाद के बाद एक इंडियन शादी भी कैंसिल हो गई, जिसमें लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च होने वाले थे. मालदीव जाने वालीं फ्लाइट्स की बुकिंग्स फिलहाल सस्पेंड कर दी गई हैं.

मालदीव जैसे देश के लिए ये एक बड़ा झटका है. क्योंकि उसकी तकरीबन 25 फीसदी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है. और मालदीव घूमने जाने वालों में भारतीय किसी से कम नहीं हैं. मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल तकरीबन 19 लाख लोग वहां घूमने आए थे और इनमें सबसे ज्यादा भारतीय ही थे.

अब जब मालदीव का बायकॉट किया जा रहा है तो जरा ये भी जान लेते हैं कि ये सारा विवाद शुरू होने के बाद वहां जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या कम हुई है या बढ़ी है?

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क्या कहते हैं आंकड़े?

इसे दो हिस्सों में बांटकर समझते हैं. पहला हिस्सा 1 से 6 जनवरी के आंकड़ों का और दूसरा हिस्सा 7 से 9 जनवरी तक के आंकड़ों का. 4 जनवरी को ही पीएम मोदी लक्षद्वीप पर गए थे और 6 जनवरी को मालदीव के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.

मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 6 जनवरी के बीच 33,807 पर्यटक वहां आए थे. इनमें से 2,372 पर्यटक भारत से थे. 

वहीं, 7 से 9 जनवरी के बीच मालदीव में 17,176 पर्यटक पहुंचे. इनमें से 1,419 भारतीय पर्यटक थे.

कुल मिलाकर देखें तो इस साल 9 जनवरी तक मालदीव में 50,983 पर्यटक आ चुके हैं, जिनमें से 3,791 भारतीय हैं. यानी, अब तक जितने पर्यटक मालदीव पहुंचे हैं, उनमें से 7.4 फीसदी भारतीय हैं.

हालांकि, पिछले साल से इसकी तुलना करें तो भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी जरूर आई है. साल 2022 में 1 से 10 जनवरी के बीच कुल 53,415 पर्यटक मालदीव आए थे. इनमें से 4,333 (8 फीसदी) भारतीय थे.

भारत पर कितना निर्भर है मालदीव का पर्यटन?

भारत के दक्षिणी तट से मालदीव की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है. भारतीयों के लिए मालदीव पसंदीदा जगहों में से एक है. 

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साल 2023 में मालदीव आने वाला हर 10 में से 1 पर्यटक भारतीय था. लगातार दो साल से मालदीव में सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक पहुंच रहे हैं.

मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 18.78 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे, जिनमें से 2.09 लाख से ज्यादा भारतीय थे. 

हालांकि, देखा जाए तो कुछ सालों में मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या लगातार कमी हुई है. साल 2021 में 2.91 लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे. साल 2022 में ये संख्या लगभग 17 फीसदी घटकर 2.41 लाख पर आ गई. 

आंकड़े बताते हैं कि मालदीव में हर दिन औसतन साढ़े पांच हजार पर्यटक आते हैं, जिनमें से साढ़े 600 भारतीय होते हैं.

सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव में पिछले साल भारतीय पर्यटकों ने 38 करोड़ डॉलर का खर्च किया था. भारतीय करंसी के हिसाब से तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा होता है. इस हिसाब से देखें तो हर दिन 8 से 10 करोड़ रुपये भारतीय पर्यटक वहां खर्च करते हैं.

टूरिज्म पर कितना निर्भर है मालदीव?

मालदीव वैसे तो 90 हजार वर्ग मीटर के दायरे में फैला है. लेकिन इसका 300 वर्ग किमी से भी ज्यादा का कम इलाका जमीन पर है. बाकी सब समंदर है.

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जानकारी के मुताबिक, मालदीव में पर्यटन का इतिहास लगभग 50 साल पुराना है. बताया जाता है कि 1970 में इटली का एक यात्री जॉर्ज कॉर्बिन मालदीव घूमने आया था. उसने ही यहां की खूबसूरती के बारे में दुनिया को बताया. वापस लौटकर कॉर्बिन ने 1973 में एक किताब भी लिखी थी.

इसके बाद ही मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री तेजी से बढ़ी. मालदीव ने खुद को टूरिज्म के लिहाज से ढाल लिया. मालदीव सरकार के आंकड़ों के मुताबिक साल 2006 तक देश में 88 टूरिस्ट रिजॉर्ट थे, जिनकी संख्या 2022 के आखिर तक बढ़कर 170 से ज्यादा हो गई. इतना ही नहीं, 2006 में इन मालदीव में पर्यटकों के लिए साढ़े 20 हजार बेड थे. वहीं, 2022 के आखिर तक इनकी संख्या भी तीन गुना बढ़कर 60 हजार से ज्यादा पहुंच गई. 

आंकड़े ये भी बताते हैं कि मालदीव के इन होटल्स, रिजॉर्ट और गेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए जितने बेड हैं, उनमें से लगभग 60 फीसदी हमेशा भरे रहते हैं.

एशियन डेवलपमेंट बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि 1980 के दशक में मालदीव की जीडीपी में टूरिज्म का योगदान 13 फीसदी से भी कम था. लेकिन अब 22 से 25 फीसदी है. हालांकि, अप्रत्यक्ष तौर पर टूरिज्म की हिस्सेदारी 80 से 90 फीसदी तक है.

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मालदीव के ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में टूरिज्म से सरकार को 5,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का रेवेन्यू मिला था.

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