
इंडिया या भारत या फिर दोनों... देश का नाम क्या होगा? इस पर नई बहस छिड़ गई है. देश के नाम को लेकर चल रही बहस में अब मोहम्मद अली जिन्ना की एंट्री भी हो गई है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा, 'जब इस विषय पर चर्चा हो रही है, तो हमें ये याद रखना चाहिए कि जिन्ना ने ही 'इंडिया' नाम पर आपत्ति जताई थी. इसलिए क्योंकि हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राष्ट्र था और पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र. सीएए की तरह बीजेपी सरकार जिन्ना के विचारों का समर्थन कर रही है.'
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने थरूर का पलटवार किया. उन्होंने कहा, 'थरूर ने जो कहा वो आधा सच और आधा झूठ है. जिन्ना ने क्या कहा था, ये अहम नहीं है. हमारे लिए जरूरी ये है कि हमारे संतों-ऋषियों ने इंडिया नहीं बल्कि भारत का इस्तेमाल किया था.'
क्या सच में जिन्ना ने इंडिया का विरोध था?
15 अगस्त 1947 को आजादी मिली. बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना. लुईस माउंटबेटन भारत के पहले गवर्नर जनरल बने. आजादी से पहले वो वायसराय हुआ करते थे. वहीं, पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बने मोहम्मद अली जिन्ना.
रेनर ग्रोट और टिलमैन रोडर की किताब 'कंस्टीट्यूशनलिज्म इन इस्लामिक कंट्रीजः बिटवीन अपहीवल एंड कंटीन्यूटी' में एक किस्सा है, जिसमें जिन्ना के 'इंडिया' नाम का विरोध करने का जिक्र है.
आजादी के एक महीने बाद सितंबर 1947 में लंदन में भारतीय कला पर एक एग्जिबिशन हुई. इस एग्जिबिशन में भारत और पाकिस्तान के कलाकारों को बुलाया गया था. माउंटबेटन ने जिन्ना को भी इस एग्जिबिशन में इनवाइट किया. लेकिन जिन्ना ने इस इन्विटेशन को पहले इसलिए ठुकरा दिया, क्योंकि इस पर 'इंडिया' लिखा था.
जिन्ना ने इन्विटेशन को ठुकराते हुए माउंटबेटन को लिखा, 'ये अफसोस की बात है कि कुछ रहस्यमयी कारणों से हिंदुस्तान ने 'इंडिया' शब्द को अपनाया है. ये भ्रामक है और इसका इरादा भ्रम पैदा करना है.'
जिन्ना ने सुझाया कि एग्जिबिशन में 'पाकिस्तान और इंडिया की प्रदर्शनी' की बजाय 'पाकिस्तान और हिंदुस्तान की प्रदर्शनी' लिखा जाए. हालांकि, माउंटबेटन को ये मंजूर नहीं था. आखिरकार जिन्ना ने इस इन्विटेशन को एक्सेप्ट कर लिया.
इतना ही नहीं, इसी किताब में ये भी जिक्र है कि आजादी से पहले मुस्लिम लीग ने 'यूनियन ऑफ इंडिया' नाम पर आपत्ति जताई थी. हालांकि, इस बारे में बहुत ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है.
क्या थी इसकी वजह?
ऐसा माना जाता है कि जिन्ना और माउंटबेटन एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे. इतिहासकार जॉन की के मुताबिक, 'जिन्ना को लगता था कि भारत या पाकिस्तान कोई भी ब्रिटिश टाइटल 'इंडिया' को नहीं अपनाएगा. पर उनकी ये गलतफहमी तब दूर हुई जब माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू की देश का नाम 'इंडिया' रखने की मांग को मान लिया. जब जिन्ना को ये बात पता चली तो वो बहुत नाराज हो गए थे.'
हालांकि, इतिहासकारों का ये भी मानना है कि 'इंडिया' नाम के विरोध की वजह कुछ और भी थी. दरअसल, जिन्ना शुरू से ही अपने देश का नाम 'पाकिस्तान' रखना चाहते थे. जॉन की के अनुसार, जिन्ना चाहते थे बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ है और इस बात को और साफ करने के लिए 'हिंदुस्तान' नाम रखा जाए.
कुछ इतिहासकार तो ये भी मानते हैं कि जिन्ना का विरोध ये दिखाता है कि वो चाहते थे कि देश के बंटवारे के बाद भारत एक कमजोर संघ बने. पाकिस्तानी-अमेरिकी मूल की इतिहासकार आयशा जलाल ने लिखा था कि जिन्ना की टिप्पणियां बताती हैं कि वो 'यूनियन ऑफ इंडिया' का भी विरोध करते थे.
पाकिस्तान कैसे बना?
आमतौर पर हिंदू और मुस्लिम के लिए दो अलग-अलग देश का विचार कवि मुहम्मद इकबाल का माना जाता है. 1930 में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में इकबाल ने कहा था कि अगर द्विराष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे भारत की सांप्रदायिक समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा.
हालांकि, भारत के बंटवारे और मुसलमानों के लिए अलग मुल्क 'पाकिस्तान' बनाने का विचार पहली बार कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र चौधरी रहमत अली के मन में आया था. रहमत अली का मानना था कि ब्रिटिश भारत में जहां-जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है, उसे अलग राष्ट्र बना देना चाहिए.
रहमत अली का साफ मानना था कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र या जातियां हैं. दोनों का धर्म, संस्कृति, परंपराएं, साहित्य, कानून... सबकुछ अलग-अलग है. हिंदू और मुसलमान आपस में बैठकर खाते नहीं हैं और यहां तक कि शादी भी नहीं करते. हमारा खाना और पहनावा भी अलग है.
इसके बाद ही 23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने कहा था, 'हिंदू और मुसलमान, जिनकी धार्मिक सोच, सामाजिक रीति-रिवाज, साहित्य और दर्शन अलग-अलग हैं. ऐसी दो जातियों को एक राज्य में इकट्ठे बांधने से, जिसमें एक अल्पसंख्यक हो और दूसरा बहुसंख्यक, असंतोष ही बढ़ेगा और राष्ट्र नष्ट हो जाएगा.'
आखिरकार, अंग्रेजों को मुस्लिम लीग की इस मांग के आगे झुकना पड़ा. जुलाई 1947 में सिरिल रेडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा खींचने का काम सौंपा गया. बंटवारे के बाद बने नए मुल्क का नाम पाकिस्तान ही रखा गया, जिसका मतलब 'पाक जमीन' होता है.