
India vs Maldives: लक्षद्वीप को लेकर भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लक्षद्वीप की तस्वीरें शेयर कर यहां घूमने की अपील करने के बाद मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत विरोधी टिप्पणी कर दी थी. मालदीव सरकार ने इन मंत्रियों को सस्पेंड तो कर दिया है, लेकिन विवाद है कि थम नहीं रहा.
मालदीव के साथ विवाद शुरू होने के बाद लक्षद्वीप सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. भारतीय मालदीव का बॉयकॉट कर रहे हैं और लक्षद्वीप जाने की ही अपील कर रहे हैं. लेकिन टूरिस्ट प्लेस के तौर पर लक्षद्वीप के विकास की योजना कोई नई बात नहीं है.
साल 2020 में लक्षद्वीप प्रशासन ने टूरिज्म को लेकर एक नई पॉलिसी जारी की थी. लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और मालदीव के साथ विवाद के बाद लक्षद्वीप में विकास योजनाओं में तेजी आने की उम्मीद है.
भारत के दोनों द्वीप- लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार में पिछले दशक में टूरिज्म मामूली ही रहा है. बेहतर कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर देखकर ही टूरिस्ट आते हैं और इस मामले में लक्षद्वीप थोड़ा पीछे ही रहा है. हालांकि, इसके बावजूद दोनों जगहों पर टूरिज्म बढ़ ही रहा था, लेकिन कोविड इसके लिए बड़ा झटका बनकर आई. बहरहाल, कोविड के बाद अब दोबारा यहां पर्यटन बढ़ रहा है.
लेकिन इन सबके बावजूद, जितने भी घरेलू और विदेशी पर्यटक भारत घूमने आते हैं, उनमें से महज 0.2 फीसदी ही लक्षद्वीप या अंडमान-निकोबार जाते है.
लक्षद्वीप क्यों नहीं आते पर्यटक?
2020 में जो लक्षद्वीप टूरिज्म पॉलिसी आई थी, उसमें कुछ कारण गिनाए गए थे. इसमें बताया गया था कि ठहरने की सही व्यवस्था न होना, सही इंटरनेट कनेक्टिविटी न होना और सही मार्केटिंग न हो पाना पर्यटकों को आकर्षित न कर पाने की बड़ी वजहें हैं.
इन सबके अलावा, बुनियादी जरूरतों जैसे पीने की पानी की व्यवस्था और बिजली आपूर्ति की कमी के कारण भी पर्यटक यहां आना खास पसंद नहीं करते.
लक्षद्वीप की 7 बड़ी दिक्कतें
1. कनेक्टिविटीः अगत्ती एयरपोर्ट पर सिर्फ छोटे एयरक्राफ्ट ही उतर सकते हैं.
2. प्रोफेशनलिज्म की कमीः लक्षद्वीप में अच्छे और ट्रेन्ड मेनपॉवर की कमी है.
3. ठहरने की व्यवस्थाः पूरे लक्षद्वीप में सिर्फ 184 बेड की कैपेसिटी है.
4. पानी की कमीः पूरे द्वीप में पीने के साफ पानी की बहुत ज्यादा कमी है.
5. इंटरनेटः लक्षद्वीप में बहुत ही कम इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है.
6. बिजलीः द्वीप में बिजली सप्लाई सीमित है और काफी महंगी भी है.
7. मार्केटिंगः सरकारी वेबसाइट तक पर द्वीप की अच्छी तस्वीर नहीं लगी है.
इसके लिए क्या कर रहा है लक्षद्वीप?
प्रशासन का लक्ष्य लक्षद्वीप में ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट होम और इको-फ्रेंडली रिजॉर्ट तैयार करना है. क्योंकि 2020 तक यहां सिर्फ 184 पर्यटकों के ठहरने की ही व्यवस्था थी.
प्रशासन उन द्वीपों को भी प्रमोट कर रहा है, जहां बसाहट नहीं है, क्योंकि ऐसे द्वीप विदेशी पर्यटकों को पसंद आते हैं.
इसके साथ ही नीति आयोग और लक्षद्वीप प्रशासन पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत यहां कई सारी विकास योजनाओं पर काम कर रहे हैं.
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि बीते 8-9 साल से लक्षद्वीप के विकास पर काम हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस पहले से ही इस द्वीप के विकास पर है. हमने द्वीपों के विकास के लिए कई मुद्दों पर काम किया है.
इसके अलावा बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौलर प्लांट बनाने की तैयारी भी चल रही है. पानी के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
लेकिन सबसे बड़ी परेशानी कनेक्टिविटी की है. प्रशासन ने मेनलैंड और लक्षद्वीप के बीच कनेक्टिविटी सुधारने के लिए अगत्ती एयरपोर्ट के विस्तार का प्रस्ताव रखा है. मौजूदा समय में छोटे विमान ही अगत्ती एयरपोर्ट ही उतर सकते हैं.
मौजूदा समय में कनेक्टिविटी तो बड़ी समस्या है ही. इसके अलावा एक व्यक्ति लक्षद्वीप आने के लिए जितना खर्च करेगा, उतने में वो श्रीलंका, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया और वियतनाम जा सकता है. एक व्यक्ति को नई दिल्ली से इन सब जगहों पर जाने के लिए 12,800 रुपये से भी कम खर्च करना होगा. ये एक तरफ का किराया है.