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दुनिया में सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं भारतीय, फिर भी इतना ही कमा पाते हैं

इन्फोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश के युवा को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए, तब जाकर हम चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं का मुकाबला कर पाएंगे. ऐसे में जानते हैं कि आखिर भारतीय हर हफ्ते कितना काम करते हैं? और कितना कमा पाते हैं?

भारत में हर कामगार तय सीमा से ज्यादा ही काम करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर) भारत में हर कामगार तय सीमा से ज्यादा ही काम करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

इन्फोसिस के फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति के एक बयान पर बवाल खड़ा हो गया है. नारायणमूर्ति ने सलाह दी है कि देश के युवा को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए, ताकि भारत तेजी से तरक्की करे.

नारायणमूर्ति का कहना है कि जब देश का युवा हफ्ते में 70 घंटे काम करेगा, तब भारत उन अर्थव्यवस्थाओं का मुकाबला कर सकेगा, जिन्होंने पिछले दो से तीन दशकों में कामयाबी हासिल की है. 

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एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है, जबकि हमारा सबसे ज्यादा मुकाबला चीन से है, इसलिए युवाओं को ज्यादा काम करना होगा.

हालांकि, उनके ये '70 घंटे वाले फॉर्मूले' पर बहस भी शुरू हो गई है. राय भी बंटी हुई है. कुछ हैं जो उनकी इस बात का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि इसके लिए 70 घंटे काम करना जरूरी नहीं है.

नारायणमूर्ति अकेले ऐसे उद्योगपति नहीं हैं, जो हफ्ते में इतने ज्यादा घंटों तक काम करने की बात कर रहे हैं. उनसे पहले चीनी कारोबारी और अलीबाबा के फाउंडर जैक मा ने '9-9-6 रूल' की बात कही थी. उनके मुताबिक, हफ्ते में 6 दिन सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक काम करना चाहिए.

वैसे तो लेबर कोड में काम के घंटे तय हैं. मौजूदा समय में हर दिन 8 घंटे काम करने की सीमा तय है. यानी, हर हफ्ते 48 घंटे.

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सबसे ज्यादा काम करते हैं भारतीय!

दुनिया में भारत उन देशों में शामिल है, जहां के लोग हफ्ते में सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं.

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में भी काम के घंटों की सीमा 48 घंटे ही तय है. लेकिन भूटान, कॉन्गो, कतर, यूएई और गाम्बिया ही ऐसे हैं जहां काम करने की सीमा भारत से ज्यादा है यानी, भारत उन देशों में है, जहां के लोग हफ्ते में सबसे ज्यादा काम करते हैं.

हफ्ते में सबसे ज्यादा घंटों तक काम संयुक्त अरब अमीरात के लोग करते हैं. यहां हर वर्कर हफ्ते में औसतन 52.6 घंटे काम करता है. 

इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में हर वर्कर हफ्ते में औसतन 46 घंटे काम करता है. वहीं, अमेरिका में 37 घंटे जबकि यूके और इजरायल में 36 घंटे ही काम करता है.

कितने घंटे काम करते हैं भारतीय?

2022-23 के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के नतीजों के मुताबिक, देश में सैलरीड क्लास और रेगुलर वेज के कर्मचारी हफ्ते में 48 घंटों से ज्यादा काम करते हैं. नतीजे बताते हैं कि गांव हो या शहर, दोनों ही जगह महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा काम करते हैं.

पीएलएफएस के मुताबिक, अपना खुद का काम करने वाले लोग हफ्ते में 41 घंटे से भी कम काम करते हैं. वहीं, सैलरी या दिहाड़ी लेने वाले कर्मचारी 49 घंटे से ज्यादा काम करते हैं. जबकि, केजुअल लेबर हफ्ते में 40 घंटे काम करते हैं.

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नतीजे ये भी बताते हैं कि शहर में खुद का काम करने वाले लोग गांव की तुलना में 10 घंटे ज्यादा काम करते हैं. गांव में खुद का काम करने वाला हर व्यक्ति औसतन 39 घंटे काम करता है. वहीं, शहर में खुद का काम संभालने वाला व्यक्ति 49 घंटे काम करता है. 

और कमाई कितनी...?

भारतीय भले ही ज्यादा काम करते हैं, लेकिन उनकी कमाई बहुत ज्यादा नहीं होती. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हर भारतीय की सालाना औसतन कमाई 1 लाख 70 हजार 620 रुपये है. यानी, हर महीने की कमाई 14 हजार 218 रुपये.

हालांकि, पीएलएफएस के सर्वे में सैलरीड क्लास, सेल्फ एम्प्लॉयड और केजुअल लेबर की कमाई को लेकर अलग अनुमान है.

पीएलएफएस के मुताबिक, सैलरी या रेगुलर वेज हासिल करने वाले हर व्यक्ति की महीने की औसत कमाई 20 हजार रुपये के आसपास ही है जबकि, यही लोग हफ्ते में सबसे ज्यादा घंटे काम करते हैं.

इसी तरह खुद का काम करने वाले लोग महीने में औसतन 13 हजार 300 रुपये से थोड़ा ज्यादा ही कमा पाते हैं. केजुअल लेबर की कमाई भी हर रोज 400 रुपये के आसपास ही है.

क्या ज्यादा काम करने से बढ़ेगी प्रोडक्टिविटी?

अब आते हैं उस बात पर जिसपर नारायणमूर्ति ने ज्यादा काम करने की सलाह दी है. नारायणमूर्ति का कहना है कि ज्यादा काम करेंगे तो प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी. लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है?

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रिसर्च तो इस बात को खारिज करती हैं. रिसर्च बताती हैं कि अगर हफ्ते में कोई व्यक्ति 50 घंटे से ज्यादा काम कर रहा है तो तय है कि उसकी प्रोडक्टिविटी कम होने लगेगी. वहीं, अगर काम के ये घंटे 55 घंटे से ज्यादा होते हैं तो फिर प्रोडक्टिविटी काफी कम हो जाती है. इतना ही नहीं, हफ्ते में कम से कम एक दिन छुट्टी नहीं मिलने से भी प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है.

वहीं, एक रिसर्च में ये भी सामने आया है कि दिन में पांच घंटे काम करना ज्यादा फायदेमंद है. क्योंकि किसी भी व्यक्ति की पांच घंटे सबसे ज्यादा प्रोडक्टिविटी होती है. पांच घंटे लोग अपने काम पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं. 

टॉवर पेडल बोर्ड के सीईओ स्टीफन आर्सटोल ने ये तरीका आजमाया भी है. साल 2015 में उन्होंने अपनी कंपनी में हर दिन काम करने के सिर्फ पांच घंटे तय कर दिए थे. इन पांच घंटों में कर्मचारी ब्रेक पर भी नहीं जाते थे. इस दौरान वो फोकस होकर अपना काम करते थे. इसका नतीजा ये हुआ कि कंपनी का टर्नओवर 50 फीसदी तक बढ़ गया.

हालांकि, काम के घंटे अलग-अलग प्रोफेशन के हिसाब से कम-ज्यादा हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि हर दिन काम करने की सीमा 6 घंटे होनी चाहिए.

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बाहरहाल, ज्यादा घंटों तक काम करना सेहत के लिए भी खतरनाक है. 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें बताया गया था कि 2016 में ज्यादा लंबे समय तक काम करने की वजह से दुनियाभर में 7.45 लाख लोगों की मौत हो गई.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हफ्ते में 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करने पर स्ट्रोक का खतरा 35 फीसदी बढ़ जाता है. वहीं, दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा भी 17 फीसदी तक बढ़ जाता है.

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