
कुछ दिन पहले चौमा रेलवे क्रॉसिंग पर दो लाश मिली. पहचान हुई तो पता चला कि एक लाश 35 साल के महेंद्र सिंह की है और दूसरी उनके दो साल के बेटे पुनीत की. उन्होंने आत्महत्या की थी. महेंद्र अपने बेटे को साथ लेकर ट्रेन के आगे कूद गए थे.
महेंद्र सिंह गुरुग्राम के बजघेरा गांव के रहने वाले थे. जिस दिन उन्होंने आत्महत्या की, उससे 6 दिन पहले ही उनकी पत्नी पूजा किसी के साथ भाग गई थी. इस बात से महेंद्र इतने परेशान हुए कि दो साल के बेटे को साथ लेकर ट्रेन के आगे छलांग लगा दी और अपनी जान दे दी.
दो दिन बाद महाराष्ट्र के धुले जिले में स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में इंस्पेक्टर प्रवीण विश्वनाथ कदम ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा, जिसमें उन्होंने सिर्फ इतना लिखा कि इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है.
उसी दिन जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में एक कारोबारी ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली. कारोबारी का नाम मनमोहन सोनी था. उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और गोली मार ली. घर वालों ने जब गोली चलने की आवाज सुनी और दरवाजा तोड़कर कमरे में गए तो सामने मनमोहन गिरे पड़े थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका. उन्होंने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा, इसलिए आत्महत्या की वजह भी सामने नहीं आई. परिवार वालों ने बस इतना बताया कि मनमोहन कुछ दिन से परेशान थे और किसी से कुछ शेयर नहीं कर रहे थे.
ये तीन ऐसे मामले हैं जो इसी हफ्ते सामने आए हैं. तीनों ही मामलों में सुसाइड करने वाले पुरुष हैं. इन तीनों मामलों में एक कॉमन बात सामने आती है और वो ये 'दर्द' मर्द को भी होता है लेकिन वो किसी से शेयर नहीं कर पाता और आत्महत्या का रास्ता चुन लेता है.
आज अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस है. हर साल 19 नवंबर को ये मनाया जाता है. भारत में 2007 से इस दिन को मनाया जा रहा है. इसे मनाने का सिर्फ एक ही मकसद है और वो ये कि पुरुषों से जुड़े मुद्दे भी उठाए जा सकें और उन्हें लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके. और पुरुषों से जुड़े मुद्दों में सबसे अहम 'आत्महत्या' का मुद्दा भी है, क्योंकि दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि सुसाइड करने में पुरुष आगे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग सुसाइड करते हैं. यानी, जितने लोग मलेरिया, ब्रेस्ट कैंसर, एचआईवी से नहीं मरते, उससे ज्यादा सुसाइड से मर जाते हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 15 से 29 साल के युवाओं में मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है.
इतना ही नहीं, महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड करते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं. वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है.
भारत को लेकर क्या है आंकड़े?
दुनिया के बाकी देशों की तरह ही भारत में भी महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में देश में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दी थी. इनमें से 1,18,979 यानी 73% पुरुष और 45,026 महिलाएं थीं. यानी, हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष ने आत्महत्या कर ली.
21 साल के आंकड़े बताते हैं कि भारत में होने सुसाइड करने वाले हर 10 में से 6 या 7 लोग पुरुष होते हैं. 2001 से 2021 के दौरान हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही. जबकि, इसी दौरान सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार चली गई.
एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग ज्यादा आत्महत्या करते आते हैं. इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड के मामले ज्यादा सामने आते हैं.
पिछले साल 30 से 45 साल की उम्र के 52,054 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें से लगभग 78 फीसदी पुरुष थे. इसी तरह 18 से 30 साल की उम्र के 56,543 लोगों ने सुसाइड की, जिनमें से 67 फीसदी पुरुष थे. वहीं, 45 से 60 साल की उम्र के आत्महत्या करने वाले 30,163 लोगों में से 81 फीसदी से ज्यादा पुरुष शामिल थे.
यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग शादीशुदा होते हैं. पिछले साल 1,09,749 शादीशुदा लोगों ने सुसाइड की. इनमें करीब 74 फीसदी पुरुष थे.
पर मर्दों में ऐसा क्यों?
हर व्यक्ति में आत्महत्या करने का अलग-अलग कारण होता है. एक्सपर्ट का मानना है कि डिप्रेशन, तनाव की वजह से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. कई बार मेडिकल कारण भी होता है. इसके अलावा जब इंसान के पास अपनी परेशानी से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो वो आत्महत्या कर लेता है.
एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या करने के कारणों के बारे में भी बताया है. इसके मुताबिक, फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी (एड्स, कैंसर आदि) से तंग आकर लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. पिछले साल 33% सुसाइड फैमिली प्रॉब्लम और 19% बीमारी की वजह से हुई. हालांकि, इसमें ये नहीं बताया कि महिला और पुरुष ने किन कारणों से सुसाइड की.
हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि आत्महत्या करने वाले पुरुषों में से 57 फीसदी से ज्यादा ऐसे थे जो या तो दिहाड़ी मजदूर थे या अपना खुद का कुछ काम करते थे या फिर बेरोजगार थे. यानी, हो सकता है कि इनकी आत्महत्या करने की वजह आर्थिक तंगी रही हो.
2011 में एक रिसर्च हुई थी. इसमें ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि आखिर महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं? इस रिसर्च में सामने आया था कि समाज में पुरुषों को अक्सर ताकतवर और मजबूत समझा जाता है और इस वजह से वो अपने डिप्रेशन या सुसाइल फीलिंग को दूसरे से साझा नहीं कर पाते और आखिर में थक-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.
2003 में भी एक मर्दों में सुसाइड को लेकर यूरोप में स्टडी हुई थी. इस स्टडी में बताया गया था कि बेरोजगारी के समय मर्दों के सुसाइड करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज और परिवार को जो उनसे उम्मीद है, उस पर वो खरे नहीं उतर पा रहे हैं.
इन सबके अलावा पुरुषों में सुसाइड की एक वजह शराब और ड्रग्स की लत को भी माना जाता है, क्योंकि नशा सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़ाता है.
क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है?
इस बात को लेकर अक्सर बहस होती रहती है कि क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है? तो इसका जवाब है- हां. आत्महत्या की कोशिश करना आईपीसी की धारी 309 के तहत अपराध है. ऐसा करने पर 1 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
भारत में आत्महत्या की कोशिश के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में आत्महत्या की कोशिश करने के 1,863 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में 1,685 मामले दर्ज हुए थे. उससे पहले 2019 में 1,638 मामले सामने आए थे.
हालांकि, मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की धारा 115 आत्महत्या की कोशिश करने वाले तनाव से जूझ रहे लोगों को इससे राहत देती है. ये धारा कहती है कि अगर ये साबित हो जाता है कि आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति बेहद तनाव में था, तो उसे किसी तरह की सजा नहीं दी जा सकती.
बहरहाल, आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आपको भी कोई परेशानी है तो दोस्तों-रिश्तेदारों से बात करें या डॉक्टरी सलाह लें. सही समय पर सही सलाह ले ली तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है.