Advertisement

जब पूरे 444 दिनों तक इस्लामिक चरमपंथियों की कैद में रहे अमेरिकी, क्या हमास ने ईरान की शह पर लोगों को बंधक बनाया

हमास ने इजरायल के करीब 2 सौ लोगों को बंदी बना लिया. इसके बाद से दोनों के बीच घमासान मचा हुआ है. बंधक बनाने की इस हरकत को ईरान से जोड़ा जा रहा है. साल 1979 में दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका 444 दिनों तक ईरान के चंगुल में रहा. यहां तक कि अपहृत अमेरिकियों की आंखों पर पट्टी बांधकर परेड भी कराई गई थी.

हमास और इजरायल के बीच 17 दिनों से लड़ाई चल रही है. सांकेतिक फोटो (Reuters) हमास और इजरायल के बीच 17 दिनों से लड़ाई चल रही है. सांकेतिक फोटो (Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST

अमेरिका के साथ ईरान के रिश्ते आड़े-टेढ़े रहे. सत्तर के दशक से पहले दोनों के बीच गहरा प्रेम रहा. यहां तक कि अमेरिकी सहयोग से इजरायल के हथियार भी ईरान तक सप्लाई होने लगे. लेकिन इस्लामिक क्रांति के बाद मामला बिगड़ता चला गया. ईरानी नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने सत्ता संभाल ली. वे अपने देश समेत पूरी दुनिया को इस्लामिक रंग में रंगना चाहते थे. इसी बात को लेकर अमेरिका से उसकी ठनने लगी. 

Advertisement

ऐसे भरा आम जनता के दिल में जहर

ये तो नेताओं के आपसी बैर की बात थी, धीरे से इसमें आम लोगों की नाराजगी भी शामिल हो गई. ईरान के पुराने लीडर देश छोड़-छोड़कर अमेरिका जा रहे थे. कोई इलाज के बहाने से तो कोई परिवार के बहाने से यूएस जाने लगा. इस्लामिक चरमपंथ ने इस बात को लोगों के दिमाग में भरना शुरू कर दिया. खुमैनी ने कहा कि ज्यादा उदार लीडरशिप देश को बेकार कर देती है. बात का असर हुआ. 

शुरू हुआ हैरतअंगेज घटनाओं का सिलसिला

नवंबर 1979 में तेहरान के इस्लामी छात्रों ने अमेरिकी एंबेसी को घेरकर वहां के लोगों को बंधक बना लिया. कुछ ही घंटों बाद ये घेराबंदी हटा ली गई, लेकिन 53 लोग बंधक ही रहे. इसमें दूतावास में काम करने वाले कर्मचारियों से लेकर डिप्लोमेट तक शामिल थे. पकड़कर ले जाने से पहले आंखों पर पट्टी बांधकर इन लोगों की परेड भी कराई गई, जिस दौरान अमेरिका मुर्दाबाद जैसे नारे लग रहे थे. 

Advertisement

अमेरिका ने दी ईरान को बड़ी धमकी

तब जिमी कार्टर अमेरिका के राष्ट्रपति थे. उन्होंने अपनी किताब 'अ फुल लाइफ रेफ्लेक्शन एट नाइन्टी' में लिखा है कि बंधकों को छुड़ाने के लिए उन्होंने खुमैनी को धमकी भी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर एक भी अमेरिकी बंधक को कुछ हुआ तो अमेरिका अपनी पूरी ताकत से ईरान पर हमला कर देगा. शायद इस धमकी का असर रहा हो कि ईरान ने बंधकों को किसी तरह की चोट नहीं पहुंचाई. 

लगा दीं ढेर सारी पाबंदियां

वो हर तरह से ईरान पर दबाव बना रहा था. उसने ईरान से तेल लेना बंद कर दिया. राष्ट्रपति के आदेश पर अमेरिका में ईरान की सारी संपत्ति जब्त कर ली गई. सारे के सारे ईरानी डिप्टोमेट हटा दिए गए. यहां तक धमकी दी कि वो जनवरी तक सारे बंधकों को रिहा कर दे वरना और पाबंदियां लगाई जाएंगी. ईरान अलग-थलग पड़ गया, लेकिन बंधकों को नहीं छोड़ा. 

ईरान ने दी बंधकों को खत्म करने की धमकी

इस घटना के लगभग 6 महीने बाद अमेरिका ने सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए. इसके जवाब में ईरान ने धमकाया कि अगर अमेरिका ने किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की तो वो सभी बंधकों को आग में जलाकर मार डालेंगे.

Advertisement

रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ फेल

हारे हुए अमेरिका ने एक खतरा लिया. उसने एक रेस्क्यू ऑपरेशन प्लान किया, जिसे नाम दिया ऑपरेशन ईगल क्ला. प्लान था कि वायुसेना के जांबाज सीधे ईरान के अमेरिकी दूतावास में उतरेंगे और बंधकों को लेकर निकल भागेंगे. इस दौरान रास्ते में जो भी आए, उसे खत्म कर देंगे. हालांकि हुआ उल्टा. मौसम की खराबी के चलते विमान भी खराब हो गया और  ट्रांसपोर्ट प्लेन क्रैश हो गया. हादसे में 8 अमेरिकी सैनिक मारे गए. इनकी लाश को भी ईरान ने अपने पास रख लिया.

नए अमेरिकी राष्ट्रपति ने करवाई सुलह

अमेरिका वैसे तो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत था, लेकिन बंधकों की वजह से लाचार हो चुका था. इस बीच वहां राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें कार्टर बुरी तरह से हारे. नए चुने प्रेसिडेंट रोनॉल्ड रीगन ने ईरान से नए सिरे से बातचीत शुरू की. ईरान भी अब तक कई प्रतिबंधों से थक गया था. उसने मांग की कि अमेरिका अगर उसकी सीज की हुई प्रॉपर्टी की पूरी कीमत लौटाएगा तो वो बंधकों को रिहा कर देगा. 

हो सके थे आजाद

करीब 8 अरब डॉलर के बदले 444 दिन बाद 20 जनवरी 1981 में अमेरिकी बंधकों को छोड़ दिया गया. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ये बंधक 5 दिन बाद अपने वतन लौट सके थे. अमेरिकी मीडिया दावा करता है कि एक शर्त अमेरिका के माफी मांगने की भी थी, लेकिन बाद में उसे हटा दिया गया. 

Advertisement

कैसा व्यवहार था ईरान में बंधकों के साथ 

ये सभी डिप्लोमेट या दूतावास में काम करने वाले कर्मचारी थे. लौटने के बाद उन्होंने बताया कि ईरानी लोग उनसे बेहद क्रूरता से पेश आते थे. अक्सर उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर परेड कराई जाती थी. सबको अलग-अलग कैद किया गया था ताकि किसी का, किसी से संपर्क न हो सके. उन्हें खाना और दवाएं भी मर्जी से दी जातीं. बंधकों के पास कैद हुए दिनों का कोई हिसाब नहीं था. वे यह भी नहीं जानते थे कि लौट सकेंगे, या नहीं. 

हमास के कदम को ईरान से प्रेरित बताया जा रहा

फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने भी ईरान की तर्ज पर इजरायल के लोगों को बंधक बना रखा है. इस बात को 2 हफ्तों से ज्यादा समय बीत चुका. बीच-बीच में वो बंधकों की वीडियो भी जारी कर रहा है.

माना जा रहा है कि हमास का ये स्टेप ईरान से प्रेरित है. इस सोच के पीछे वजह भी है. ईरान लगातार हमास को सपोर्ट कर रहा है. यहां तक कि उसे वेपन सप्लाई तक कर रहा है. इस बात को लेकर इजरायल ने ईरान को सीधी धमकी तक दे डाली. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement