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इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश में खामेनेई के बेटे का हाथ? समझें- कैसे ईरान में शुरू होने वाली है सत्ता की लड़ाई

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई है. उनकी मौत हेलिकॉप्टर क्रैश में हो गई. रईसी जिस हेलिकॉप्टर में सवार थे, उसमें उनके अलावा आठ और लोग थे. इस दुर्घटना में सभी की मौत हो गई है. रईसी की मौत के बाद अब उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर के हाथ में सत्ता आ गई है, लेकिन अभी ये लड़ाई लंबी होने की आशंका है.

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

हेलिकॉप्टर क्रैश में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई है. उनका हेलिकॉप्टर रविवार को क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना में ईरान के विदेश मंत्री होसैनी अमीर अब्दुल्लाहियान की भी मौत हो गई है.

ईरानी राष्ट्रपति रईसी रविवार को अजरबैजान प्रांत में एक डैम का उद्घाटन करने पहुंचे थे. यहां से वो तबरेज शहर जा रहे थे. इसी दौरान वर्जेकान शहर की पहाड़ियों में हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया. 

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माना जा रहा है कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ होगा. लेकिन जिन हालातों में ये दुर्घटना हुई, उस पर सवाल भी उठ रहे हैं. कुछ हैं जो इसके पीछे इजरायल का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं. तो कुछ इसके पीछे सत्ता की लड़ाई भी मान रहे हैं. वो इसलिए क्योंकि रईसी की मौत ईरान में कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा भी मानी जा रही है.

अब आगे क्या?

रईसी के मौत के बाद अब उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर सत्ता संभालेंगे. लेकिन 50 दिन में चुनाव कराना होगा. यानी नया राष्ट्रपति चुनना होगा. 

ईरान के संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति की मौत हो जाती है तो सुप्रीम लीडर की मंजूरी से उपराष्ट्रपति, संसद के स्पीकर और चीफ जस्टिस एक काउंसिल बनाते हैं और नया राष्ट्रपति चुनते हैं.

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रईसी के बाद अब ईरान के अगले राष्ट्रपति के लिए वैसे तो कई नाम चर्चा में है. लेकिन सबसे बड़ा दावेदार मोहम्मद बागेर गालीबाफ का नाम सबसे आगे है. गालीबाफ संसद के स्पीकर हैं. पिछले हफ्ते ही खबर आई थी की गालीबाफ की नजरें अब राष्ट्रपति पद पर है.

गालीबाफ 2017 और 2021 में इब्राहिम रईसी के कारण राष्ट्रपति की रेस से बाहर हो गए थे. 2017 में रईसी को हसन रूहानी ने हरा दिया था. जबकि, 2021 में रईसी को सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई का समर्थन हासिल था और वो जीत गए थे. इसी कारण गालीबाफ रेस से बाहर हो गए थे. लेकिन 2025 में वो रईसी के खिलाफ चुनाव लड़ने का मूड बना रहे थे.

इब्राहिम रईसी 2021 में राष्ट्रपति चुने गए थे. (फाइल फोटो-PTI)

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ईरान का भविष्य

ईरान का राजनीतिक ढांचा बड़ा दिलचस्प है. यहां सुप्रीम लीडर ही सबकुछ होता है. अभी अयातुल्ला अली खामेनेई सुप्रीम लीडर हैं. दूसरे नंबर पर राष्ट्रपति होता है, जिसकी शक्तियां बहुत सीमित होती हैं. 

एक वक्त था जब इब्राहिम रईसी को ईरान के अगले सुप्रीम लीडर का मजबूत दावेदार माना जाता था. लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद रईसी की लोकप्रियता कम होती चली गई. 

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माना जा रहा है कि रईसी की मौत से ईरान का भविष्य भी तय होगा. वो इसलिए क्योंकि सिर्फ रईसी का उत्तराधिकार ही नहीं चुना जाएगा, बल्कि अयातुल्ला अली खामेनेई के बाद कौन, इसकी जमीन भी बनेगी.

क्रैश में खामेनेई के बेटे का हाथ?

जिस हेलिकॉप्टर क्रैश में इब्राहिम रईसी समेत 9 लोगों की मौत हो गई, उसके पीछे अयातुल्ला अली खामेनेई के बेटे मोजताबा खामेनेई का हाथ बताया जा रहा है. कई ईरानी एक्टिविस्ट ने ये सवाल उठाया है.

दरअसल, अयातुल्ला अली खामेनेई 85 साल के हो चुके हैं और कैंसर से जूझ रहे हैं. अब उनके वारिस की तलाश भी शुरू हो गई है. अब तक तो इब्राहिम रईसी को उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था. रईसी को ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) भी पसंद करती थी. लेकिन रईसी के जाने के बाद अब खामेनेई के बेटे मोजताबा का रास्ता लगभग साफ हो गया है.

ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने X पर लिखा कि कई कंस्पिरेसी थ्योरीज में से एक ये भी है कि इस दुर्घटना में खामेनेई के बेटे का हाथ हो सकता है, ताकि वो अपने पिता की जगह लेने का रास्ता आसान कर सके. 

अगला सुप्रीम लीडर कौन?

ईरान में अगला सुप्रीम लीडर कौन होगा? आईआरजीसी की इसमें बड़ी भूमिका होगी. 1989 में अयातुल्ला रुहोल्ला खामेनेई की मौत के बाद जब अयातुल्ला खामेनेई सुप्रीम लीडर बने, तब उनका विरोध करने वाला कोई नहीं था. तब परिस्थितियां भी अलग थीं. 

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लेकिन आज हालात काफी बदल गए हैं. अब आईआरजीसी किसी ऐसे नेता को सुप्रीम लीडर बनाना चाहेगा, जो उसके इशारों पर काम करे. रईसी ऐसे ही व्यक्ति थे.

जबकि, मोजताबा के साथ ऐसा नहीं है. मोजताबा को अभी तक आईआरजीसी कुछ खास पसंद नहीं करता है. उन्हें अपने पिता के साथ-साथ कई मौलवियों का समर्थन जरूर है, लेकिन आईआरजीसी ने अड़ंगा डाला तो मोजताबा का सुप्रीम लीडर बन पाना मुश्किल हो सकता है.

इसकी एक संवैधानिक अड़चन भी है. ईरान का संविधान कहता है कि एक ही व्यक्ति सुप्रीम लीडर बने, ऐसा जरूरी नहीं है. यानी, संविधान सुप्रीम लीडरशिप की एक काउंसिल बनाने की इजाजत देता है. जानकारों का मानना है कि अयातुल्ला अली खामेनेई के निधन के बाद तर्क दिया जा सकता है कि उनकी जगह भरने के लिए इस्लामिक जानकारों की एक काउंसिल बना दी जाए. 

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई. (फाइल फोटो-PTI)

यह भी पढ़ें: हादसा या हत्या...? ईरानी राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर क्रैश पर चल रही कॉन्सपिरेसी थ्योरी, इजरायल-मोसाद को लेकर दावे

शुरू होगी सत्ता की लड़ाई!

रईसी की मौत के बाद अब ईरान में सत्ता की एक नई लड़ाई शुरू होने की संभावना भी जताई जा रही है. माना जा रहा है कि मोहम्मद बागेर गालीबाफ अगला राष्ट्रपति बन सकते हैं. उन्हें अच्छा-खासा समर्थन हासिल है. 

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इतना ही नहीं, गालीबाफ के जो समर्थक हैं, वो मोजताबा को अगला सुप्रीम लीडर बनाने की वकालत भी करते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गालीबाफ और मोजताबा के बीच कुछ ऐसा समझौता हो सकता है, जो दोनों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सके. गालीबाफ लंबे समय से ईरान के राष्ट्रपति बनना चाहते हैं, जबकि मोजताबा की ख्वाहिश सुप्रीम लीडर बनने की है.

अगर ऐसा होता है तो इतिहास एक बार फिर दोहराया जाएगा. 1989 में रुहोल्ला खामेनेई की मौत के बाद अयातुल्ला अली खामेनेई और मौलवी अकबर हाशमी रफसंजानी के बीच एक समझौता हुआ था. इससे अयातुल्ला खामेनेई सुप्रीम लीडर बने, जबकि हाशमी रफसंजानी को राष्ट्रपति की कुर्सी मिली. उसके बाद राष्ट्रपति को ज्यादा शक्तियां देने के लिए संविधान भी बदला गया. हालांकि, कुछ सालों बाद जब अयातुल्ला खामेनेई ज्यादा ताकतवर होते गए, तो उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया. 2017 में रफसंजानी की भी मौत हो गई. ईरान में एक तबका रफसंजानी की मौत को संदिग्ध मानता है.

वैसे तो ईरान में सत्ता की असली लड़ाई खामेनेई की मौत के बाद शुरू होने की संभावना है. लेकिन रईसी की मौत को इस सत्ता संघर्ष का रिहर्सल माना जा रहा है.

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