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युद्धविराम के बीच क्या हमास खुद को और मजबूत बना रहा? बैकफुट पर क्यों दिख रहा इजरायल

इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम दो और दिनों के लिए आगे बढ़ गया है. चर्चा हो रही है कि क्या ये सीजफायर स्थाई हो सकता है. क्या इसके बाद दोनों के बीच शांति हो जाएगी या फिर बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के बीच दोनों अपने को लड़ाई के लिए और मजबूत कर रहे हैं?

बीते महीने हमास ने इजरायल पर हमला किया था. सांकेतिक फोटो (AP) बीते महीने हमास ने इजरायल पर हमला किया था. सांकेतिक फोटो (AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला करके न केवल बहुत लोगों को मारा, बल्कि 200 के करीब लोगों को बंधक भी बना लिया. इसके बाद से इजरायल लगातार हमलावर है. वो ये कहता रहा कि हमास को खत्म करके ही रुकेगा. इस बीच बंधकों की रिहाई के लिए दोनों के बीच अस्थाई शांति हुई. अब ये सीजफायर एक और दिन सरक चुका है. समझिए, क्या हैं इसके मायने. 

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जंग शुरू होने के कुछ ही मिनटों पहले सीजफायर आगे बढ़ दिया गया. इस बीच हमास और इजरायल के बीच अदला-बदली जारी है. बता दें कि हमास, इजरायल के हर 30 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले 10 इजरायली बंधकों को रिहा कर रहा है. अब भी उसके पास काफी बंधक बाकी हैं.

कयास लग रहे हैं कि इस बीच इजरायल पर इंटरनेशनल दबाव बन रहा होगा कि वो हमास पर हमले बंद करके सीजफायर को स्थाई कर दे. हालांकि इसमें एक और एंगल है. क्या टाइम बढ़ाकर दोनों ही खुद को और मजबूत कर रहे हैं. क्या ये तूफान से पहले की शांति है?

इजरायल पर बढ़ेगा प्रेशर

कतर की मध्यस्थता से दोनों ने अदला-बदली की डील पर हामी पर तो दी, लेकिन इजरायल इस युद्ध में ज्यादा अकेला दिख रहा है. वो चारों तरफ से इस्लामिक देशों से घिरा है, जो हमास पर हमले को गाजा पट्टी पर हमले की तरह देख रहे हैं. वे इजरायल को धमका भी रहे हैं. ईरान और लेबनान से मिलिटेंट ग्रुप्स भी एक्टिव हो चुके हैं. कुल मिलाकर यहूदी देश पर भारी दबाव है कि वो शांति स्थापित करे. 

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कुछ ऐसे भी देश हैं, जो चाहते हैं कि इजरायल हमास के जरिए चरमपंथियों को सबक सिखाए. फिलहाल यूरोप समेत कई जगहों पर ऐसे इमोशन्स एक्टिव हैं. इजरायल उन्हें रोल मॉडल दिख रहा है. ऐसे में इजरायल पर खुद को बेहतर और मजबूत दिखाने की चुनौती भी है. 

हमास को क्या फायदा हो रहा है

अंग्रेजी में एक टर्म है- टाइम बाय करना, यानी किसी चीज के लिए मोहलत लेना. कई बार पेचीदा हालातों को लोग एक खास समय के लिए टालते रहते हैं. इस दौरान उन्हें तैयार होने की मोहलत मिल जाती है. हमास के लिए ये कुछ वैसा ही है. जितने दिन उसे शांति के मिलेंगे, वो खाली नहीं बैठेगा, बल्कि गाजा में अपनी साख दोबारा बनाने में लगा रहेगा. 

गाजावालों को अपने पाले में लाएगा हमास

गाजा से फिलहाल ये खबरें आ रही हैं कि भारी नुकसान के चलते वहां के लोग हमास से नाराज हैं. वे अपने ह्यूमन शील्ड होने को लेकर भी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. हमास सीजफायर के दौरान गाजावासियों को दोबारा बरगलाएगा. साथ ही वो अपने हथियार और लोगों को भी तैयार करेगा ताकि लड़ाई और जोरों से चल सके. एक तरह से ये हमास के आतंकियों के रिकवर और प्रिपेयर होने का टाइम है. 

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इजरायली एक्सपर्ट अनुमान लगा रहे हैं कि हमास अब भी हरकतों से बाज नहीं आएगा. वो गाजा के लोगों के हवाले, या बंधकों के हवाले से युद्धविराम को आगे बढ़ाते रहेगा, जब तक कि खुद पूरी तरह से तैयार न हो जाए. 

यहूदी देश इसमें बैकफुट पर दिख रहा

इजरायल पर इंटरनेशनल के साथ-साथ घरेलू दबाव भी है कि वो बंधकों को छुड़ाए, भले इसके लिए उसे गाजा से अपने कदम हटाने पड़े. सीजफायर के पहले ही दिन तेल अवीव में हजारों की भीड़ जमा हुई थी, जो सरकार को प्राथमिकता तय करने को कह रही थी.

बंधकों को मिलिट्री के जरिए छुड़ाना मुमकिन नहीं, ये इजरायल समझ चुका है. इसके लिए वो पूरी तरह से हमास पर निर्भर है. वहीं सीजफायर के हर दिन के साथ हमास और ताकतवर होगा, ये भी पक्का है. तो इस तरह देखें तो फिलहाल जो टेंशन है, उसमें ये कतई नहीं लग रहा कि सीजफायर स्थाई शांति ला सकेगा. 

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