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फेफड़ों पर सीधा हमला, दिमाग कर देता है ठप... हमास के पास हैं 'भयंकर तबाही' मचाने वाले हथियार

इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हेर्जोग ने हमास के पास केमिकल हथियार होने का दावा किया है. केमिकल हथियारों को 'भयंकर तबाही' मचाने वाले हथियारों की श्रेणी में रखा गया है. केमकल हथियार के जरिए बड़ी मात्रा में तबाही मचाई जा सकती है.

हमास के पास केमिकल हथियार होने का दावा किया जा रहा है. हमास के पास केमिकल हथियार होने का दावा किया जा रहा है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST

इजरायल और हमास की जंग अब केमिकल हथियारों की ओर बढ़ती दिख रही है. इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हेर्जोग का दावा है कि हमास के जिन आतंकियों ने सात अक्टूबर को म्यूजिक फेस्टिवल पर हमला किया था, उन्हें केमिकल हथियार बनाने के निर्देश दिए गए थे.

दावा किया जा रहा है कि किबुत्ज के म्यूजिक फेस्टिवल में कत्लेआम मचाने वाले कुछ आतंकी मारे गए थे. उनकी लाशों को जब बारीकी से चेक किया गया तो आतंकियों के पास से केमिकल हथियार बनाने का सामान भी बरामद हुआ. 

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इजरायली राष्ट्रपति हेर्जोग का दावा है कि आतंकियों के पास से केमिकल हथियार बनाने का जो सामान मिला है, उसका कनेक्शन अल-कायदा से है.

केमिकल हथियार को 'वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन' यानी 'भयानक तबाही' मचाने वाले हथियारों की श्रेणी में रखा गया है. जैविक और परमाणु हथियार भी इसी श्रेणी में शामिल हैं. 

केमिकल हथियारों को बनाना, उनका रख-रखाव करना और इस्तेमाल करना काफी आसान होता है, इसलिए इनका इस्तेमाल ज्यादा होता है. ये सस्ते भी होते हैं.

1915 में हुआ पहली बार इस्तेमाल

जंग में केमिकल वेपन्स यानी रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का इथिहास सौ साल से भी ज्यादा पुराना है.

पहली बार 1915 में इनका इस्तेमाल किया गया था. क्लोरीन सबसे पहला केमिकल हथियार था. इससे लोगों को दम घुटने लगता है और समय पर इलाज न मिले तो मौत भी हो जाती है.

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इसके बाद मस्टर्ड गैस आई, जो शरीर पर घाव बना देती है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की नाजी सेना ने कीटनाशकों से नर्व एजेंट बनाए. नर्व एजेंट नर्वस सिस्टम को ठप कर देते हैं. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1984 से 1988 के बीच ईरान-इराक युद्ध में नर्व एजेंट का जमकर इस्तेमाल हुआ.  

क्या होते हैं केमिकल हथियार?

इनमें केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे हथियारों का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाने या फिर मारने के लिए किया जाता है.

इन हथियारों में जो केमिकल का इस्तेमाल का इस्तेमाल होता है, उससे इंसानी शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचता है. जैसे- शरीर बुरी तरह जल जाता है या फिर पैरालाइज हो जाता है या काम करना बंद कर देता है. 

केमिकल हथियार कई तरह के होते हैं. कुछ हथियारों में फोजजीन गैस का इस्तेमाल होता है जिससे इंसान का दम घुटने लगता है. ये इंसान के फेफड़े और श्वसन तंत्र पर हमला करते हैं, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और उसकी मौत हो जाती है.

कुछ हथियारों में मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल होता है, जो त्वचा जला देता है और लोगों को अंधा कर देता है. 

सबसे खतरनाक नर्व एजेंट

केमिकल वेपन्स में सबसे ज्यादा खतरनाक नर्व एजेंट को माना जाता है. ये सीधे इंसान के नर्व सिस्टम पर हमला करते हैं. इससे इंसान के दिमाग और शरीर का संबंध टूट जाता है.

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नर्व एजेंट की छोटी सी मात्रा भी इंसानों के लिए घातक साबित हो सकती है. नर्व एजेंट वीएक्स की 0.5 मिलिग्राम से भी कम मात्रा एक इंसान की जान लेने में सक्षम है. 

मार्च 2018 में रूसी सेना के पूर्व अफसर सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर भी नर्व अटैक हुआ था. दोनों कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे, जिसके बाद उनकी जान बच गई थी. सर्गेई स्क्रिपल बाद में ब्रिटेन के जासूस बन गए थे. ब्रिटेन ने रूस पर सर्गेई और उनकी बेटी की हत्या की कोशिश करने का आरोप लगाया था.  

अगस्त 2020 में रूस के विपक्षी नेता अलेक्सेई नवेलनी जब फ्लाइट से मॉस्को जा रहे थे, तभी रास्ते में उनकी तबियत बिगड़ गई. उनकी तबियत इतनी बिगड़ी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. बाद में जांच में सामने आया कि नवेलनी को नोविचोक नाम का नर्व एजेंट दिया गया था.

इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं?

केमिकल वेपन्स के खतरे को समझते हुए 1997 में ऑर्गनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स यानी OPCW का गठन हुआ था. इसका काम केमिकल हथियारों को खत्म करना है.

ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है. आज 192 देश इसके सदस्य हैं. इसके तहत केमिकल वेपन्स का इस्तेमाल करने पर रोक है. 

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हालांकि, जानकार मानते हैं कि इसके बाद भी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल बंद नहीं हुआ है. रूस पर तो इनका इस्तेमाल करने का अक्सर आरोप लगते रहे हैं.

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