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फर्जी कागजात से खेल, बिचौलियों से अफसरों तक का सिंडिकेट... वो जमीन घोटाला, जिसमें घिरे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

झारखंड का सियासी ड्रामा बढ़ता जा रहा है. हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी जगह अब चंपई सोरेन नए मुख्यमंत्री होंगे. इससे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की आशंका भी बढ़ गई है. ऐसे में जानते हैं कि वो कौनसा मामला है, जिसमें हेमंत सोरेन बुरी तरह घिर गए हैं?

हेमंत सोरेन. हेमंत सोरेन.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

रांची के कथित जमीन घोटाले में घिरे हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अब उनकी गिरफ्तारी की आशंका भी बढ़ती जा रही है. बुधवार को दोपहर सवा एक बजे ईडी की टीम उनसे पूछताछ करने उनके घर पहुंची थी. इससे पहले सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनसे पूछताछ करने दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंची थी. लेकिन वो वहां नहीं थे. 

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रांची के कथित जमीन घोटाले में समन जारी होने के बावजूद सोरेन ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे थे. ईडी अब तक उन्हें 10 समन जारी कर चुकी है. इससे पहले इस मामले में कुछ दिन पहले ही ईडी ने रांची स्थित उनके आवास पर कई घंटों तक पूछताछ की थी.

सोमवार को सोरेन को ईडी के सामने पेश होना था, लेकिन वो नहीं हुए. बाद में जब ईडी दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंची, तो वो वहां भी नहीं मिले. इसके बाद राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया. बीजेपी ने तो उन्हें लापता तक बता दिया.

झारखंड के दो घोटालों में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जांच में ईडी सीएम सोरेन से पूछताछ कर चुकी है. एक अवैध खनन से जुड़ा है तो दूसरा जमीन घोटाला. खनन घोटाले में पिछले साल 17 नवंबर को सोरेन से ईडी ने पूछताछ की थी. फिलहाल, कथित जमीन घोटाले में उनसे पूछताछ की जा रही है.

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कैसे सामने आया ये घोटाला?

- जून 2022 में रांची के बरायतु पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई. ये एफआईआर रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा की ओर से दर्ज कराई गई थी. इसमें प्रदीप बागची नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया.

- आरोप था कि प्रदीप बागची ने फर्जी कागजातों के जरिए भारतीय सेना की एक संपत्ति को हड़प लिया है. ईडी ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि 4.5 एकड़ की ये जमीन बीएम लक्ष्मण राव की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था.

- अप्रैल 2023 में ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया. जिन सात को गिरफ्तार किया गया, उनमें से दो- अफसर अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे. अफसर अली सरकारी अस्पताल में ग्रेड-3 का कर्मचारी है, जबकि भानु प्रताप रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर था. बाकी सभी लैंड माफिया से जुड़े थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीनों की बिक्री में शामिल थे.

- पिछले साल ही 4 मई को ईडी ने आईएएस अफसर छवि रंजन को भी गिरफ्तार कर लिया. छवि रंजन रांची में दो साल तक डिप्टी कमिश्नर थे. उनपर आरोप है कि इस पद पर रहते हुए उन्होंने कथित तौर पर जमीन की अवैध खरीद और बिक्री में मदद की थी.

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दूसरों की जमीन ऐसे बेच देते थे

- ईडी ने जांच के दौरान पाया कि सेना की जमीन का असली मालिक प्रदीप बागची को दिखाने के लिए लैंड माफियाओं, बिचौलियों और नौकरशाहों ने मिलकर काम किया. 

- जांच में ईडी सो पता चला कि एक फर्जी दस्तावेज बनाया गया था. इसे 1932 का दिखाया गया. इसमें लिखा था कि ये जमीन प्रफुल्ल बागची ने ये जमीन सरकार से खरीदी थी. 90 साल बाद 2021 में प्रफुल्ल बागची के बेटे प्रदीप बागची ने ये जमीन कोलकाता की जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी.

- जगतबंधु टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं. लेकिन जांच में पता चला कि जमीन असल में अमित अग्रवाल नाम के शख्स को मिली. अमित अग्रवाल कथित तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी बताया जाता है. पिछले साल जून में ईडी ने दिलीप घोष और अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया था.

- ईडी के मुताबिक, जमीन हड़पने के लिए ये पूरा सिंडिकेट सिस्टमैटिक तरीके से काम करता था. पुराने दस्तावेजों से असली मालिकों के नाम हटाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था और फिर उनकी जगह नकली मालिकों के नाम लिख दिए जाते थे.

- जांच के दौरान पता चला कि रजिस्ट्रार ऑफिस के कई सरकारी अफसर इसमें मदद करते थे. तलाशी के दौरान ईडी ने आरोपियों के पास से सरकारी सील, पुराने स्टांप पेपर, कई डीड और रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट बरामद किए हैं, जो सिर्फ रजिस्ट्रार ऑफिस में पाए जाते हैं. ईडा का दावा है कि फोरेंसिक जांच में इन दस्तावेजों के जाली होने की बात सामने आई है.

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- जांच के दौरान ईडी ने पाया कि झारखंड में ऐसी दर्जनों जमीनें हैं, जिनके असली मालिक कोई और हैं लेकिन इन्हें फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़प लिया गया.

सीएम सोरेन कैसे फंसे?

- इस कथित जमीन घोटाले में पिछले साल अगस्त में ईडी ने अहम गिरफ्तारी की थी. ईडी ने प्रेम प्रकाश नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था. इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है.

- प्रेम प्रकाश को ईडी ने अगस्त 2022 में भी गिरफ्तार किया था. तब उसे झारखंड के अवैध खनन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अवैध खनन घोटाले में भी सीएम सोरेन से ईडी पूछताछ कर चुकी है.

- इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि प्रकाश मुख्यमंत्री सोरेन का करीबी है और आपराधिक कमाई में शामिल रहा है.

अब तक कहां-कहां जमीन घोटाला

- इस मामले में ईडी ने दर्जनों लैंड डील होने का दावा किया है. ईडी अब तक 236 करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन को जब्त कर चुकी है.

- सितंबर 2023 को ईडी ने बताया था कि चेशायर होम रोड, पुगड़ु और सिराम स्थित लैंड प्लॉट को अटैच किया था, जिनकी मार्केट वैल्यू 161.64 करोड़ रुपये है. 

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- इससे पहले ईडी ने जून में दो प्लॉट को अटैच किया था. एक प्लॉट बरायतु में 4.55 एकड़ का एक प्लॉट, जिसकी वैल्यू 41.51 करोड़ रुपये थी और दूसरा प्लॉट बाजरा में 32.87 करोड़ की वैल्यू का 7.16 एकड़ का प्लॉट अटैच किया था.

अब तक गिरफ्तार हुए हैं 14 आरोपी

मामले में अब तक ईडी ने 14 आरोपी- प्रदीप बागची, अफसर अली, सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद, तल्हा खान, फैयाज खान, भानू प्रताप प्रसाद, छवि रंजन (आईएएस अफसर), दिलीप घोष, अमित अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, राजेश राय, भरत प्रसाद और प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया है. सभी आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में हैं.

अवैध खनन घोटाले में भी ईडी के रडार पर सीएम

- झारखंड के कथित अवैध खनन घोटाले में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी की रडार पर हैं. इस मामले में नवंबर 2022 में ईडी ने पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया था.

- पंकज मिश्रा को सोरेन का करीबी बताया जाता है. एजेंसी का दावा है कि पंकज मिश्रा के घर छापेमारी के दौरान हेमंत सोरेन की बैंक पासबुक और उनकी साइन की हुई चेकबुक बरामद हुई थी.

- ईडी ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट में दावा किया था कि मिश्रा के घर में एक सीलबंद लिफाफा मिला था. इसमें पासबुक, दो चेक बुक और दो साइन किए हुए चेक मिले थे. ये सब हेमंत सोरेन के नाम पर थे. 

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- चार्जशीट में एजेंसी ने लिखा है कि पंकज मिश्रा अवैध खनन में शामिल थे और उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की थी. ईडी के मुताबिक, अवैध खनन के सिलसिले में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी होने की पहचान की है.

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