
लैटिन अमेरिकी देश गुयाना के जंगलों में सत्तर के दशक में सैकड़ों लाशें मिलीं. ये उन आस्तिकों की थीं, जो कथित बाबा जिम जोन्स के साथ स्वर्ग जाने की तैयारी में थे. मौत के बाद बढ़िया जिंदगी के सपने दिखाकर जिम ने सारे भक्तों को जहर मिला जूस पिला दिया. जिसने भी जहर पीने से इनकार किया, उन्हें बंदूक के बल पर मार दिया गया. खास बात ये है कि इस बाबा ने भी अपना एक अलग पंथ बनाया हुआ था, जिसे पीपल्स टेंपल कहते.
शुरू किया अपना एक पंथ
अमेरिकी राज्य इंडियाना के गरीब घर में जन्मा जोन्स बचपन से ही धर्म की बातें पढ़ता. शुरुआत ईसाई धर्म से हुई, लेकिन बड़ा होते-होते उसने खुद अपना एक पंथ बना डाला, जिसे नाम दिया पीपल्स टेंपल. ये पचास के दशक की बात है, जब अमेरिका में अश्वेतों पर काफी हिंसा होती. युवा होते जोन्स ने इस बात को अपनी ताकत बना दिया. वो कहने लगा कि पीपल्स टेंपल सबके लिए है, उस कम्यून में कोई भेद नहीं. जल्द ही अश्वेत और समाज को सुधारने की इच्छा रखने वाले श्वेत भी उसमें शामिल होने लगे. ये ईसाई धर्म की तरह तो था, लेकिन पूजापाठ नहीं था.
अमेरिका से भागकर पहुंचा गुयाना
लगभग 30 साल की उम्र में इस बाबा के पास अनुयायियों की अच्छी-खासी फौज हो गई, जो उसके इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहती. यही वो वक्त था, जब जोन्स ने अपना हेडक्वार्टर कैलीफोर्निया शिफ्ट कर लिया. यहां सुनसान इलाके में जोन्स अपनी मर्जी दिखाने लगा. वो खुद को भगवान बताने के अलावा पैसों की धोखाधड़ी, यहां तक कि बच्चों का यौन शोषण तक करने लगा. काफी वक्त बाद ये खबरें बाहर आईं तो जोन्स ने आननफानन कैलीफोर्निया छोड़ दिया और श्रद्धालुओं के साथ ही गुयाना शिफ्ट हो गया.
गुलाम बनाकर रखा गया था
सत्तर की शुरुआत तक पीपल्स टेंपल काफी लोकप्रिय हो चुका था. बड़े-बड़े नेता आशीर्वाद लेने के लिए जोन्स के पास पहुंचा करते. दिखाया ये जा रहा था कि बाबा के आशीर्वाद तले पलता कम्यून बेहद शानदार है, जहां किसी में भेद नहीं होता. हालांकि मामला इसका उलट था. अश्वेतों और गरीब लोगों से वहां दिन-रात काम करवाया जाता. खेती से लेकर कंस्ट्रक्शन का काम उनके जिम्मे था. गुयाना तब जंगली इलाका था, जिसे लगातार काट-छांटकर खेती और रहने लायक जमीन में बदलने का काम ये श्रद्धालु कर रहे थे.
भागने की कोशिश करने वाले गायब होने लगे
इस इलाके को बाबा के नाम पर जोन्सटाउन कहा जाने लगा. एक तरफ तो ज्यादातर अनुयायी सांस लिए बगैर काम करते, दूसरी तरफ जोन्स समेत उसके खास लोग अपने महलों में बैठे रहते. बहुत से लोगों ने भागने की कोशिश की, लेकिन उनके दस्तावेज गायब हुए और फिर वे खुद गायब कर दिए गए.
लोग बनाने लगे सरकार पर दबाव
दक्षिणी अमेरिका देश गुयाना को जोन्स से काफी कुछ मिलता था, लिहाजा वो जोन्सटाउन में हो रही गड़बड़ियों से आंख मूंदे हुए था. हालांकि अमेरिका में सुगबुगाहट होने लगी थी. अनुयायियों के रिश्तेदार परेशान थे कि उनके लोगों की चिट्ठियां आना कम हो रही हैं. वे सरकार पर दबाव बनाने लगे कि जोन्सटाउन जाकर पड़ताल की जाए. कई पेरेंट्स ने कोशिश की कि वे अपने बच्चों को कम्यून से ले आएं लेकिन ऐसा हो नहीं सका. जोन्सटाउन के सारे लोग इकट्ठा हो गए और गन, लाठियां लेकर विरोध करने लगे.
स्वर्ग का लालच दिखाकर खुुदकुशी के लिए उकसाया
हारकर लौटे परिवार इस बार पूरे जोर से अमेरिकी सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया. इतने में ये खबर भी उड़ने लगी थी कि बाबा ड्रग्स लेता और अनुयायियों समेत बच्चों को भी नशा लेने पर मजबूर करता है. यौन शोषण की खबरें भी सुनाई देने लगी थीं. इधर सरकार अपने लोगों को इनवेस्टिगेट करने के लिए भेजने लगी, उधर जोन्स ने अनुयायियों से कहना शुरू किया कि वे साथ मिलकर स्वर्ग जा सकते हैं अगर उनकी बात मानी जाए.
मामला एक्सट्रीम तक चला गया, जब कैलीफोर्निया के नेता लियो रायन कुछ पत्रकारों और नेताओं के साथ मिलकर एक फैक्ट-फाइंडिंग मिशन पर जोन्सटाउन पहुंचे. ये नवंबर 1978 की बात है. जैसे ही दल हवाई जहाज से नीचे उतरने लगा, कम्यून से उनपर गोलियों की बौछार हो गई. ज्यादातर की मौत हो गई, जबकि कुछ जख्मी लोग किसी तरह बच-बचाकर जंगलों में भाग गए.
जहर वाला जूस और इंजेक्शन देकर मौत
अगले ही दिन जोन्स ने सबको बुलाया और कहा कि आज रात वाइट नाइट है. यानी स्वर्ग जाने के लिए सबसे बेहतर दिन. रात में लोगों को जमा होने को कहा गया. पास ही जूस के बड़े-बड़े ड्रम रखे थे. पहले बच्चों को उनके पेरेंट्स के हाथों जूस पिलाया गया. पांच मिनट के अंदर बच्चे चीखते हुए मरने लगे. इसी बीच बड़ों को सायनाइड का इंजेक्शन दिया जाने लगा. बच्चों की हालत देखकर कुछ वयस्क भागने लगे. तब उन्हें जबरन जहर दे दिया गया. जोन्स गोली से मरा पाया गया. ये साफ नहीं हो सका कि उसने ही खुद को गोली मारी थी, या किसी और से शूट करवाया था.
एक दिन पहले डेलिगेशन के साथ पहुंचे एक पत्रकार टिम रीटरमैन जो कि जख्मी होने के बावजूद बच गए थे, उन्होंने एक किताब लिखी थी- द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जिम जोन्स एंड हिज पीपल. इसमें सारी घटना को विस्तार से बताया गया है कि कैसे नशे में डूबा बाबा, अपने अनुयायियों को झूठे स्वर्ग का सपना दिखाकर अपनी बात मनवाया करता था.
बाद में हुई जांच में लाशों के ढेर के बीच सायनाइड के सैकड़ों इंजेक्शन खाली ग्लास और कनस्तर मिले.