
Gyanvapi Mosque Verdict: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वारणसी की जिला अदालत आज फैसला सुना सकती है. इसे देखते हुए ज्ञानवापी परिसर समेत वाराणसी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. साथ ही धारा 144 भी लागू कर दी गई है. इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में जिला कोर्ट के जज एके विश्वेश फैसला देंगे. फैसले को देखते हुए शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी गई है. पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पूरे शहर को अलग-अलग सेक्टर्स में बांट दिया गया है और जरूरत के हिसाब से पुलिस बल तैनात किया गया है.
इसके अलावा सेंसेटिव इलाकों में फ्लैग मार्च और फुट मार्च निकालने का आदेश भी जारी किया गया है. साथ ही जिले की सीमाओं, होटल और गेस्ट हाउस में भी चेकिंग की जा रही है. सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है.
पिछले साल 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति देने की मांग की थी. वहीं, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी का कहना था कि मस्जिद परिसर वक्फ की संपत्ति है.
क्या है पूरा मामला?
- 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था.
- महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग की. महिलाओं की मांग पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया.
- अदालत के आदेश पर इसी साल 14,15 और 16 मई को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया गया. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.
- इसके बाद 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सिविल जज से जिला अदालत के जज को ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये मामला काफी 'जटिल' और 'संवेदनशील' है, इसलिए बेहतर होगा कि इसकी सुनवाई 25-30 साल का अनुभव रखने वाले जज करें.
पर ज्ञानवापी को लेकर विवाद क्या?
- जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद था, ठीक वैसा ही ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद भी है. स्कंद पुराण में उल्लेखित 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ को सबसे अहम माना जाता है.
- 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर की.
- याचिका में दावा किया कि काशी विश्वनाथ का जो मूल मंदिर था, उसे 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनाया था. 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी. इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया.
- हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां से ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया जाए और पूरी जमीन हिंदुओं को सौंपी जाए. हिंदू पक्ष की दलील है कि ये मस्जिद मंदिर के अवशेषों पर बनी है, इसलिए इस पर 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि आजादी से पहले से यहां नमाज पढ़ी जा रही है, इसलिए 1991 के कानून के तहत कोई फैसला करने की मनाही है.
किस अदालत में चल रहा कौनसा केस?
- जिला कोर्टः 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी देवी मंदिर में पूजन-दर्शन की इजाजत देने की मांग की है. आज कोर्ट के जज अजय कृष्णा विश्वेश इस बात पर फैसला सुनाएंगे कि इस मामले की सुनवाई की जाए या नहीं.
- हाईकोर्टः 2019 में हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे पुरात्व विभाग से कराने की मांग की. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. हाईकोर्ट को तय करना है कि इसका सर्वे कराया जाए या नहीं.
- सुप्रीम कोर्टः वाराणसी की सिविल कोर्ट के सर्वे कराने के आदेश के खिलाफ मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन ये भी कहा कि जिला कोर्ट का फैसला आने के बाद इस पर सुनवाई करेंगे.
अब आगे क्या?
- वाराणसी की जिला कोर्ट आज इस बात पर फैसला देगी कि महिलाओं की याचिका पर सुनवाई की जाए या नहीं. अगर कोर्ट याचिकाओं को मंजूर करती है तो इस मामले पर सुनवाई होगी.
- हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो फिर हम ASI सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे.