
दो साल पहले यूपी में कनपुर के बिकरू में जो हुआ था, वैसा ही कुछ अब उत्तराखंड के काशीपुर में भी हुआ है. काशीपुर में खनन माफियाओं ने मुरादाबाद की पुलिस टीम पर हमला कर दिया. इस हमले में गोली लगने से एक महिला की मौत हो गई, जबकि चार पुलिसकर्मी समेत 5 घायल हो गए.
मुरादाबाद की पुलिस काशीपुर में खनन माफिया जफर को पकड़ने गई थी. जफर ने 13 सितंबर को खनन इंस्पेक्टर और एसडीएम के साथ बदसलूकी की थी. जफर पर 50 हजार रुपये का इनाम भी था. जफर ने काशीपुर में एक घर में शरण ले ली थी. बुधवार शाम जब मुरादाबाद पुलिस की टीम उसे पकड़ने गई, तो लोगों ने पुलिस कर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट शुरू कर दी. इस दौरान गोलियां भी चलीं.
इसके बाद अब मुरादाबाद पुलिस के एक्शन पर सवाल भी उठने लगे हैं. उत्तराखंड के डीआईजी (लॉ एंड ऑर्डर) नीलेश आनंद ने कहा कि अगर यूपी पुलिस ने स्थानीय पुलिस को जानकारी दी होती, तो वो इलाके से वाकिफ होने के कारण उनकी बेहतर मदद कर सकते थे. उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस के घायल अधिकारी हमें बताए बिना मुरादाबाद अस्पताल गए.
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में जाकर कोई एक्शन ले सकती है? अगर हां तो कब और क्या होती है प्रक्रिया? कानूनन किसी अपराध की जांच के लिए पुलिस पूरे देश में कहीं भी जा सकती है और किसी व्यक्ति को हिरासत या गिरफ्तार कर सकती है. हालांकि, इसके लिए नियम-कायदे होते हैं और प्रक्रिया का पालन करना होता है.
क्या हैं नियम?
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी CRPC में पुलिस कैसे, कब किसी को गिरफ्तार कर सकती है? गिरफ्तारी के दौरान और बाद में क्या प्रक्रिया अपनानी होती है? इन सब बातों का जिक्र है.
सीआरपीसी की धारा 41 से 60 पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकारी देती है. वहीं, धारा 78 से 81, किसी विशेष स्थान के अधिकार क्षेत्र से बाहर गिरफ्तारी प्रक्रिया का अधिकार देती है.
सीआरपीसी में ये भी जिक्र है कि अगर किसी राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने या तलाशी के लिए जाती है, तो उसे स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देना जरूरी है. हालांकि, कई बार ऐसे मामले आते हैं जब एक राज्य की पुलिस स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी नहीं देती.
गिरफ्तारी को लेकर हैं ये गाइडलाइंस
- एक पुलिस अफसर को जांच के लिए किसी दूसरे राज्य में जाने से पहले सीनियर अफसरों की लिखित या फोन पर अनुमति लेनी चाहिए.
- किसी मामले में जब किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी का फैसला लिया जाता है, तो पुलिस अफसर को गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में दर्ज करना होगा.
- सीआरपीसी की धारा 78 और 79 के तहत गिरफ्तारी या सर्च वारंट के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी जरूरी है. हालांकि, किसी मामले में आरोपी के भागने या सबूत गायब होने का खतरा हो तो बिना वारंट या बिना जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के भी पुलिस एक्शन ले सकती है.
- किसी दूसरे राज्य में जाने से पहले पुलिस को अपनी डेली डायरी में भी इसके बारे में लिखना होता है. अगर किसी महिला को गिरफ्तार करना है तो महिला पुलिस अधिकारी भी साथ जाएगी.
- दूसरे राज्य में कार्रवाई करने के लिए सभी पुलिस अफसर अपने साथ आईडी कार्ड रखेंगे. उन्हें पूरी वर्दी भी पहननी चाहिए.
दूसरे राज्य में जाने से पहले और बाद की प्रक्रिया क्या?
- किसी दूसरे राज्य में जाने से पहले पुलिस अफसर को उस पुलिस स्टेशन में सूचना देनी होगी, जिसके अधिकार क्षेत्र में जांच के लिए जा रहे हैं.
- पुलिस अफसर को अपने साथ शिकायतें, एफआईआर की कॉपी और अहम दस्तावेज स्थानीय भाषा में ले जाना चाहिए.
- जगह पर पहुंचने के बाद पुलिस अफसर को स्थानीय पुलिस स्टेशन को भी इसकी जानकारी देनी होगी. इस दौरान SHO उस पुलिस टीम को सारी जरूरी कानूनी मदद करेगा.
- सीआरपीसी की धारा 100 के तहत जांच और तलाशी का अधिकार है. वहीं, अगर किसी को गिरफ्तार करना है तो ये कार्रवाई धारा 41A, 41B, 50 और 51 के तहत होगी.
- गिरफ्तार व्यक्ति को राज्य से बाहर ले जाने से पहले अपने वकील से बात करने का मौका दिया जाएगा. इसके साथ ही पुलिस अफसर फिर से स्थानीय पुलिस थाने में जाकर गिरफ्तार व्यक्ति का नाम-पता दर्ज करवाएंगे. गिरफ्तार व्यक्ति के पास से कुछ चीज बरामद की गई है, तो उसका ब्योरा भी देना होगा.
गिरफ्तार व्यक्ति के क्या अधिकार हैं?
- जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करके दूसरे राज्य ले जाया जाता है, तो उसके पास ये अधिकार है कि वो अपने साथ किसी परिचित को ले जा सकता है.
- गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा. इसमें यात्रा का समय शामिल नहीं होगा. यानी, पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर 5 घंटे में लेकर आती है, तो उनके पास 24 घंटे ही रहेंगे.
- सीआरपीसी की धारा 57 में 24 घंटे की समयसीमा रखी गई है. मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना किसी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता.
कब स्थानीय पुलिस को सूचना देना जरूरी नहीं?
अगर किसी मामले में जल्दी हो. यानी, आरोपी के भागने का डर हो या सबूत से छेड़छाड़ होने का खतरा हो, तो ऐसे मामले में दूसरे राज्य में गिरफ्तारी या जांच करने के लिए स्थानीय पुलिस को पहले सूचना देना जरूरी नहीं है. ऐसे मामलों में स्थानीय पुलिस को गिरफ्तारी या जांच के बाद सूचना दी जा सकती है.