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केरल से 'केरलम' क्यों? भाषाई आंदोलन, फिर अलग राज्य... नाम बदलने के प्रस्ताव की पूरी कहानी

केरल का नाम बदलकर 'केरलम' रखने की मांग उठ गई है. इसे लेकर केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया है. ये प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया है. ऐसे में जानते हैं कि केरल का नाम केरलम रखने की मांग क्यों उठी है? और नाम बदलने का प्रस्ताव भेजने के बाद आगे क्या?

केरल के सीएम पी. विजयन ने केरल का नाम केरलम रखने का प्रस्ताव रखा था. (फाइल फोटो) केरल के सीएम पी. विजयन ने केरल का नाम केरलम रखने का प्रस्ताव रखा था. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया है. इस प्रस्ताव में 'केरल' का नाम बदलकर 'केरलम' करने की बात कही गई है. 

बुधवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ये प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया. उन्होंने कहा कि मलयालम में राज्य का नाम 'केरलम' है.

प्रस्ताव पढ़ते हुए सीएम विजयन ने कहा, '1 नवंबर 1956 को भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ था. केरल का स्थापना दिवस भी 1 नवंबर है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय से ही मलयालम भाषियों के लिए संयुक्त केरल बनाने की मांग हो रही थी. लेकिन संविधान की पहली सूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा गया.'

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उन्होंने आगे कहा, 'ये विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इसे केरलम के रूप में संशोधित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करती है. ये भी अनुरोध किया जाता है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित सभी भाषाओं में 'केरलम' नाम लिखा जाए.'

कैसे पड़ा केरल का नाम?

केरल के नाम कैसे आया? इसे लेकर कोई एकराय नहीं है. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि केरल का नाम 'केरा' से पड़ा, जिसका मतलब 'नारियल का पेड़' होता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम ने अपना परशु समुद्र में फेंका था. इस वजह से उसके आकार की भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल अस्तित्व में आया. केरल शब्द का एक मतलब 'समुद्र से निकली जमीन' भी होता है.

ये भी माना जाता है कि यहां पर लंबे समय तक चेरा राजाओं ने शासन किया है. इसलिए इसका नाम पहले चेरलम था. इसी से केरल बना होगा.

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भाषाई आंदोलन

1920 के दशक में मलयालम भाषा बोलने वालों ने एक आंदोलन छेड़ दिया. इनका आंदोलन आजादी के लड़ाई से प्रेरित था. इनका मानना था कि एक ही भाषा बोलने वाले, समान सांस्कृतिक परंपराओं वाले, एक ही इतिहास, एक ही रीति-रिवाज को मानने वालों के लिए अलग राज्य होना चाहिए.

इन्होंने मलयालम भाषियों के लिए अलग केरल राज्य बनाने की मांग की. इनकी मांग थी की कोच्चि, त्रावणकोर और मालाबार को मिलाकर एक राज्य बनाया जाए.

ऐसे एक हुआ केरल

आजादी के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी. इसके लिए पहले श्याम धर कृष्ण आयोग बना. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को देशहित के खिलाफ बताया.

इसी बीच 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोचीन रियासत का विलय हो गया. इससे त्रावणकोर-कोचीन राज्य बना.  

लेकिन लगातार उठ रही मांगों के बाद 'जेवीपी' आयोग बना. यानी जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का सुझाव दिया.

इसके बाद मालाबार रीजन (मद्रास रियासत का हिस्सा) भी त्रावणकोर-कोचीन राज्य में मिल गया. और इस तरह से 1 नवंबर 1956 को केरल बना. 

मुख्यमंत्री पी. विजयन के मुताबिक, मलयालम भाषा में केरल को केरलम कहा जाता है. हिंदी में इसे केरल ही कहते हैं. जबकि, अंग्रेजी में इसे Kerala लिखा और बोला जाता है.

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अब आगे क्या?

अभी केरल विधानसभा ने ये प्रस्ताव पास किया. अब ये प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास जाएगा.

गृह मंत्रालय इस पर बाकी दूसरे मंत्रालय और इंटेलिजेंस एजेंसियों से सुझाव मांगेंगा. अगर नाम बदलने के इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जाता है तो इसके लिए संसद में बिल लाया जाएगा.

अगर संसद के दोनों सदनों में ये बिल पास हो जाता है. तो इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्य का नाम केरल से बदलकर 'केरलम' हो जाएगा.

 

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