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मुस्लिम-बहुल इस मुल्क में आम है पकड़ौवा शादी, इस वजह से किडनैप की जा रही कमउम्र लड़कियां

कुछ समय पहले बिहार में पकड़ौवा शादी की चर्चा रही. इसमें आमतौर पर बढ़िया नौकरी वाले लड़के को पकड़कर, लड़की वाले अपनी बेटी से उसकी शादी करा देते हैं. मध्य एशिया के किर्गिस्तान में भी एक तरह का पकड़ौवा विवाह चलन में है, लेकिन वहां ब्राइड किडनैपिंग होती है. डेमोग्राफी नाम के जर्नल में दावा है कि ग्रामीण किर्गिस्तान में हर तीन में से एक शादी ऐसे ही होती है.

किर्गिस्तान में दुल्हन को अगवा कर लिया जाता है. (Photo- Reuters) किर्गिस्तान में दुल्हन को अगवा कर लिया जाता है. (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST

दुनिया के कई हिस्सों से फोर्स्ड मैरिज की खबरें आती हैं, लेकिन किर्गिस्तान के ग्रामीण इलाकों में ये बहुत आम है. यहां तक कि देश की 60 प्रतिशत आबादी का रिश्ता इसी तरह हुआ. इस प्रथा को वहां अल काचु कहते हैं, जिसका मतलब है- पकड़ो और भाग निकलो. लड़के इसमें ग्रुप बनाकर लड़की तलाश करते हैं और पसंद आते ही उसे अगवा कर लेते हैं. ये सब खुलेआम होता है. 

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क्या होता है अल काचु में 

जैसे ही लड़का शादी की उम्र तक पहुंचता है, उसका परिवार उसे अल काचू की तरफ उकसाता है. लड़की की खोज शुरू हो जाती है. देखा जाता है कि लड़की स्वस्थ और सुंदर हो. आमतौर पर कमउम्र और गरीब घरों की लड़कियां इसका शिकार बनती हैं. लड़के अपने साथियों के साथ मिलकर उसे भीड़ भरी जगहों या फिर सीधे घर से अगवा कर लेते हैं. यहां से उसे लड़के के घर ले जाया जाता है, जहां प्रताड़ना शुरू हो जाती है. 

पहले लड़के के घरवाले, लड़की से बात करके उसे राजी करने की कोशिश करते हैं. आमतौर पर उम्र का फर्क ज्यादा होता है और लड़की इनकार कर देती है. ऐसे में लड़का पक्ष उसे भरसक मानसिक टॉर्चर करता है. यहां तक कि बहुत से मामलों में रेप भी हो जाता है. 

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मुस्लिम बहुल इस देश में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं. सांकेतिक फोटो (Pexels)

एक्सट्रीम मामलों में हत्या भी

इसी बीच लड़की का परिवार भी वहां पहुंच जाता है. आमतौर पर शादी के लिए हां कर दी जाती है क्योंकि इस मुस्लिम-बहुल देश में अगवा की जा चुकी लड़की को फिर कम ही लोग अपनाते हैं. लड़की को पकड़कर उसके सिर पर जबर्दस्ती एक सफेद स्कार्फ बांध दिया जाता है, जिसका मतलब है कि वो शादी के लिए राजी है. अगर लड़की किसी हाल में राजी न हो, तो उसकी हत्या भी हो सकती है. 

साल 2018 में इसी तरह के कई मामले आए, जिसमें शादी के लिए मना करने पर युवती की हत्या कर दी गई. तब किर्गिस्तान में काफी धरना-प्रदर्शन भी हुआ था. 

मां और बच्चे की सेहत पर हो रहा असर

केवल जबरन शादी ही नहीं हो रही, बल्कि इसकी वजह से देश में मातृ मृत्युदर भी ज्यादा है. इसका असर बच्चे की सेहत पर भी होता है. डेमोग्राफी में अगस्त 2017 की रिपोर्ट फोर्स्ड मैरिज एंड बर्थ आउटकम में माना गया कि जबरन शादी के जन्मे पहले बच्चे का वजन सामान्य शादियों की तुलना में काफी कम होता है. मांओं में तनाव और कमजोरी इसकी वजह है. अक्सर शादी के बाद लड़की खेती और घर के काम अकेले ही संभालती है. वो एक तरह से बंधुवा मजदूर हो जाती है. 

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ब्राइड किडनैपिंग पर यहां कानून भी है. सांकेतिक फोटो (Reuters)

रूस की तरफ माइग्रेट कर रहीं

चूंकि लड़की के माता-पिता उसे अगवा किए जाने का विरोध नहीं करते, ऐसे में किर्गीज लड़कियों के पास घुटने टेक देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता. हालांकि बीते कई सालों से इस देश से महिला माइग्रेशन तेजी से बढ़ा. रूस में ज्यादातर किर्गीज महिलाएं मजदूरी के लिए चली जाती हैं. यहां उन्हें अगवा किए जाने का डर नहीं रहता. वहीं पुरुष आर्थिक हालात सुधारने के लिए दूसरे देश जाते हैं. 

कानून भी बन चुका है

सोवियत संघ का हिस्सा रहने के दौरान किर्गिस्तान में ब्राइड किडनैपिंग पर रोक लग गई थी. हालांकि उससे टूटने के बाद एक बार फिर ये प्रथा फलने-फूलने लगी. मानवाधिकार संस्थाएं इसका विरोध करती थीं, लेकिन उनके पास भी खास ताकत नहीं थी. असल में सोवियत से अलगाव के बाद किर्गिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर हो चुकी थी. ऐसे में शादी पर भारी-भरकम खर्च करने की बजाए ये ऑप्शन लोगों को ज्यादा पसंद आ गया. अगवा करके शादी में खर्च बच जाता था. हालांकि बहुत से प्रोटेस्ट और यूएन के दखल के बाद करीब 20 साल पहले ब्राइड किडनैपिंग को गैरकानूनी माना गया. 

क्रिमिनल कोड ऑफ किर्गीज रिपबल्कि के तहत इसपर कड़ी सजा और जुर्माना भी तय हुआ, लेकिन ग्रामीण इलाकों में सब वैसे ही चलता रहा. यहां बता दें कि देश की आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण ही है. 

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