
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सियासी अखाड़ा बन गई है. इसकी वजह है जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर यानी JPNIC. समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव JPNIC पहुंचकर जयप्रकाश नारायण की मूर्ति पर माल्यार्पण करना चाहते थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया.
एक रात पहले से ही JPNIC के बाहर टिन शेड लगा दिए गए, ताकि अखिलेश यहां आ न सकें. इसके अलावा, अखिलेश यादव के घर के आसपास भी बैरिकेडिंग भी कर दी गई थी. बाद में अखिलेश यादव ने बीच सड़क पर ही जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
इसके बाद अखिलेश ने कहा कि अगर सरकार ने JPNIC नहीं जाने का इंतजाम किया है तो हमने भी सड़क पर जेपी की जयंती मनाने का इंतजाम किया है.
जेपी की जयंती पर पिछले साल भी JPNIC जाने को लेकर बवाल हुआ था. पिछली बार अखिलेश को JPNIC में न आने देने के लिए गेट बंद कर दिए गए थे. लेकिन तब वो दीवार फांदकर अंदर तक चले गए थे. इस बार गेट न फांद पाएं, इसलिए टिन शेड लगा दिए गए.
पर अखिलेश को जाने क्यों नहीं दिया?
11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती होती है. पिछले कुछ साल से जेपी की जयंती पर लखनऊ में जमकर सियासी बवाल होता है.
JPNIC की देखरेख और निर्माण का काम लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी (LDA) के पास है. एलडीए ने 10 अक्टूबर को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में एलडीए ने लिखा था कि JPNIC अभी निर्माणाधीन है और यहां निर्माण सामग्री बेतरतीब ढंग से पड़ी है. बारिश के कारण यहां कीड़े-मकौड़े होने का डर भी है. अखिलेश यादव को Z+ सिक्योरिटी मिली है, इसलिए सुरक्षा कारणों से उनका JPNIC आना सही नहीं है.
शुक्रवार सुबह उनके घर के आसपास भी बैरिकेडिंग कर दी गई थी और सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. इसके बाद अखिलेश ने अपने घर से कुछ ही दूरी पर जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
ये JPNIC क्या है?
2012 में यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. सपा सरकार में लखनऊ में गोमती नगर में सबसे बड़ा कल्चरल सेंटर बनाने की योजना बनी. सरकार ने JPNIC बनाने की योजना बनाई. शुरुआत में इसकी अनुमानित लागत 265.58 करोड़ रुपये आंकी गई.
2014 में इसकी लागत बढ़कर 350 करोड़ रुपये हो गई. साल 2016 आते-आते इसकी लागत और बढ़कर 865 करोड़ रुपये हो गई.
करीब 18 एकड़ बन रहा JPNIC 17 मंजिला इमारत है. इसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम, ऑल वेदर स्विमिंग पूल, बैडमिंटन लॉन, टेनिस लॉन और 100 कमरे हैं. 1,200 गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है.
दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर बना ये देश का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा इंटरनेशनल सेंटर है. इसमें सबसे बड़ा हॉल भी बनाया गया है. छत पर हेलीपैड भी तैयार किया गया है.
फिर बंद क्यों किया गया इसे?
JPNIC का 80 फीसदी काम लगभग पूरा हो चुका है. साल 2017 में जब बीजेपी की सरकार आई तो सपा सरकार में बने कई प्रोजेक्ट में घोटाले के आरोप लगे. रिवर फ्रंट घोटाले की जांच के आदेश भी दिए गए. इस बीच CAG की रिपोर्ट में कहा गया कि JPNIC के निर्माण में ओवर बजटिंग की गई, जिससे बड़े पैमाने पर घपला हुआ है. दावा है कि अभी इसे बनाने में 130 करोड़ रुपये का खर्चा और है. बीजेपी सरकार आने के बाद ही इसका काम रोक दिया गया. JPNIC के निर्माण की जांच के आदेश भी दिए गए हैं.
जांच में क्या सामने आया?
JPNIC के निर्माण में जब घोटाले के आरोप लगे तो इसकी जांच भी कराई गई. एक जांट एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में कराई गई. दूसरी जांच लखनऊ के तत्कालीन कमिश्नर रंजन कुमार की तरफ से की गई. एलडीए की तरफ से थर्ड पार्टी जांच भी कराई गई.
मगर इन सब जांच का क्या नतीजा निकला? कौन दोषी पाया गया? क्या कार्रवाई हुई? ये कभी सामने नहीं आया.
इस मामले में करोड़ों के घोटाले और अफसरों की मिलीभगत के आरोप तो लगे लेकिन EOW या पुलिस ने न तो कोई जांच के आदेश दिए और न अभी कोई जांच चल रही है.