Advertisement

ट्रंप का घर बना Elon Musk का नया ठिकाना, क्यों दुनिया के सबसे अमीर इस शख्स ने बेच दी अपनी सारी अचल प्रॉपर्टी?

एलन मस्क कई बार कह चुके कि उनके पास अपना कोई घर नहीं, बल्कि वे अपने किसी दोस्त या परिचित के घर रात बिताते हैं. फिलहाल अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप का घर उनका ठिकाना है. वे फ्लोरिडा स्थित मार-ए-लागो के एक कमरे में ठहरे हुए हैं. मस्क अकेले नहीं, बहुत से बेहद अमीर लोग अपना घर लेने से बचते रहे, या फिर घर बनाया भी तो आम लोगों की तरह.

एलन मस्क ने कुछ सालों पहले लगभग सारी अचल संपत्ति बेच दी. (Photo- Reuters) एलन मस्क ने कुछ सालों पहले लगभग सारी अचल संपत्ति बेच दी. (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति चुने जा चुके. जीत के बाद दी स्पीच में उन्होंने खुद एलन मस्क का नाम लेते हुए उन्हें अपना सबसे बड़ा सहयोगी और फंडर बताया. दोनों के बीच वर्क केमेस्ट्री कुछ ऐसी है कि मस्क फिलहाल फ्लोरिडा स्थित ट्रंप के घर पर ही रह रहे हैं. मस्क पहले भी कई बार बता चुके कि उनका अपना कोई परमानेंट घर नहीं है, बल्कि वे दोस्तों के घर या दफ्तर में ही रात गुजारते हैं. दुनिया के कई सबसे अमीर लोग इसी श्रेणी में हैं, जो अपना स्थाई ठौर बनाने से बचते रहे. 

Advertisement

लगभग पांच साल पहले बेची अचल संपत्ति

मस्क शुरुआत से ऐसे नहीं थे, बल्कि साल 2020 से पहले उनके पास बहुत से शानदार घर और एस्टेट हुआ करते थे. उसी साल उन्होंने अपनी सारी अचल संपत्ति बेचने का एलान कर दिया, जिसमें गाड़ियों से लेकर तमाम घर भी शामिल थे. मस्क का कहना था कि वे अपनी सारी प्रॉपर्टी से आए फंड का इस्तेमाल मंगल पर कॉलोनी बसाने में करेंगे. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. कुछ समय बाद कई सारे इंटरव्यूज में उन्होंने एक टर्म इस्तेमाल किया- मिनिमलिज्म. इसका मतलब है, कम से कम सामान में गुजारा करना. जरूरी नहीं कि मिनिमलिस्ट के पास घर न हो. उसके पास संपत्ति हो सकती है, लेकिन न्यूनतम. घर पर भी भारी-भरकम फर्निचर या टीवी जैसी चीजों के लिए कोई जगह नहीं होगी. 

Advertisement

संपत्ति बेचने के बाद मस्क दफ्तर या दोस्तों के घर रहने लगे. कुछ महीनों बाद वे ठिकाना बदल देते. फिलहाल आपसी जरूरत की वजह से वे ट्रंप के घर पर ठहरे हुए हैं. 

मिनिमलिज्म का कंसेप्ट काफी पुराना है

20वीं सदी में लड़ाइयों के बाद लोगों में इसकी उलट आदत दिखने लगी. पहले नियत राशन और कम ही चल-अचल संपत्ति जोड़ी जाती थी. युद्ध के बाद लोगों के सोचने का तरीका बदला. वे ज्यादा से ज्यादा जमा करने की सोचने लगे, चाहे वो राशन हो, या कीमती चीजें. उन्हें लगता था कि फिर लड़ाई छिड़ी तो सेफ जगह पर भागने और दोबारा बसने में ये दौलत उनकी मदद कर सकेगी. जमा करने की आदत इतनी बढ़ने लगी कि उसे रोकने के लिए ही एक आंदोलन चल निकला, मिनिमलिज्म का. न्यूयॉर्क में आर्ट गैलरियों से शुरू कैंपेन लोगों के घरों तक पहुंचने लगा. लोगों ने सबसे पहले अपने घरों से दरवाजे सिंपल डिजाइन के बनाने शुरू किए, इसके पास ये सादगी हर जगह दिखने लगी. 

क्या है मिनिमलिज्म 

कम से कम में लंबे समय तक गुजारा करने को मिनिमलिज्म कहते हैं.  इसकी कोई पक्की लाइन नहीं कि इतने सामान के साथ रहने वाले ही मिनिमलिस्ट हैं. किसी के पास गुजारेभर सामान होता है, तो कई लोग घर, नौकरी तक छोड़ देते हैं और कुछ जोड़ी कपड़ों के साथ अस्थाई ठिकानों पर रहते और अलग-अलग नौकरियां करते हैं. लेकिन ये गरीबी से अलग है. मिनिमलिस्ट अपनी शर्तों पर और अपनी मर्जी से ऐसी लाइफस्टाइल चुनते हैं. 

Advertisement

कई लोग इसमें एक नंबर भी जोड़ते रहे, जैसे अगर आपके पास कुल मिलाकर यानी कपड़ों से लेकर टूथब्रश और फोन-कार्ड तक मिलाकर केवल 100 चीजें हैं तो भी आप इस श्रेणी में आ सकते हैं. लेकिन धीरे-धीरे इसे भी कम करना होगा. 

कई ऐसे बिलेनियर हैं, जिनके पास रहने लायक ही घर और सामान है. वे अचल प्रॉपर्टी कम से कम रखे हुए हैं. 

- वॉरेन बफेट, जो दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में से एक हैं, पचास के दशक से नेब्रास्का में एक साधारण घर में रह रहे हैं.

- जॉन पॉल जोन्स, जो कि अमेरिकी बिजनेसमैन हैं, के पास कोई स्थायी संपत्ति नहीं. वे हमेशा यात्राएं करते रहते हैं. 

- अमेरिकी बिजनेसमैन जेफ बेजोस के बारे में कहा जाता है कि वे पक्के मिनिमलिस्ट हैं. 

क्या है मिनिमलिज्म का मनोविज्ञान 

ऐसे लोगों का मानना है स्थाई तौर पर एक जगह रहना उनकी एनर्जी को कम कर सकता है. साथ ही अचल संपत्ति के रखरखाव में ज्यादा मेहनत करनी होती है. परमानेंट घर लेने की बजाए मस्क जैसे लोग उस पैसे को अपने प्रोजेक्ट में लगा रहे हैं. यही हाल बाकी उद्योगपतियों का है. मिनिमलिज्म को जीने वालों के लिए यात्राएं करना आसान होता है. साथ ही आसपास कम सामान होने का ब्रेन फंक्शन पर भी अच्छा असर होता है, ये बात कई अध्ययनों में साबित हो चुकी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement