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क्या अब कोरिया में भी छिड़ सकता है युद्ध, क्यों इसके साथ महाशक्तियों के भी आपस में टकराने का खतरा?

उत्तर कोरियाई सेना ने हाल में दक्षिण कोरिया से सटी सड़क और रेलवे स्टेशन पर विस्फोट कर दिया. ये एक्शन कथित तौर पर उसने दक्षिण कोरिया के अपने इलाके में जासूसी करने पर लिया. दोनों देशों के बीच लंबे समय से दबी तनाव की चिंगारी इसके बाद से सुलग रही है. अंदेशा ये भी है कि कहीं ये देश भी युद्ध में न उलझ जाएं.

उत्तर और दक्षिण कोरिया आपस में आरोप लगा रहे हैं. (Photo- AFP) उत्तर और दक्षिण कोरिया आपस में आरोप लगा रहे हैं. (Photo- AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

कुछ समय पहले एक मिलियन से ज्यादा उत्तर कोरियाई जवानों ने मिलिट्री जॉइन कर ली है, और बहुतों ने सेना में शामिल होने के लिए आवेदन किया. उत्तर कोरिया में फिलहाल हो रही सुगबुगाहट इसलिए डराने वाली है क्योंकि इसी साल जनवरी में वहां के लीडर किम जोंग उन ने पड़ोसी देश साउथ कोरिया को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताया. अब दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है. दोनों ही आपस में जासूसी का आरोप लगा रहे हैं. तो क्या दुनिया के एक और हिस्से में जंग होने वाली है?

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इसी महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने आरोप लगाया कि पड़ोसी देश उनकी राजधानी तक ड्रोन भेज रहे हैं. ये केवल जासूसी नहीं कर रहे, बल्कि उनसे पर्चे गिर रहे हैं, जिनमें उनके ही देश के लोगों को भड़काने वाली बातें लिखी हैं. आरोप लगाते हुए किम जोंग की बहन किम यो जोंग ने चेताया कि अगर ड्रोन दोबारा भेजे गए तो अंजाम ठीक नहीं होगा.

दक्षिण कोरिया इन आरोपों से पूरी तरह इनकार भी नहीं कर रहा. उनके जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा कि वे नॉर्थ कोरिया के आरोपों की न तो पुष्टि कर सकते हैं, न उसे खारिज कर सकते हैं. इस बीच दोनों देशों को जोड़ने वाली सड़क पर विस्फोट भी हुए. इनका आरोप दक्षिण कोरिया ने पड़ोसी पर लगा दिया. तो इस तरह से दोनों के बीच मौखिक लड़ाई शुरू हो चुकी. अब सेना में लोगों का बढ़ना जंग के डर को और बढ़ा रहा है. 

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तकनीकी रूप से दोनों ही देश अब भी जंग की स्थिति में है. साल 1953 में कोरियाई युद्ध तो रुक गया लेकिन दोनों ने ही पीस ट्रीटी पर साइन नहीं किए थे. यानी लड़ाई केवल जमीन पर रुकी हुई दिख रही है. कई और कारण हैं, जो दोनों के बीच तनाव बढ़ा रहे हैं. नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की रूस और चीन से नजदीकी बढ़ी है. वहीं दक्षिण कोरिया अमेरिका और यूरोप के करीब है.

दो कट्टर दुश्मनों के पाले में ये देश आपसी तनाव खत्म नहीं कर पा रहे. आग में घी डालने का काम किया अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ने. ये एक बड़ा मौका है, जिसमें कथित तौर पर रूस भी एक्टिव हो जाता है. हर कोई अपने पक्ष की सरकार चाहता है. अमेरिका ने पहले भी चुनाव में रूस पर दखलंदाजी का आरोप लगाया था. कहा तो यहां तक तक गया था कि नॉर्थ कोरियाई लोग बैठकर इंटरनेट पर गलत सूचनाएं डालकर वोटरों को प्रभावित कर रहे हैं. हालांकि इस आरोप का कोई प्रमाण नहीं मिल सका. अब तनाव इस हद तक बढ़ चुका कि दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर हैं. 

दोनों के बीच मसला क्या है

कोरिया असल में एक ही देश था. जोसेन राजवंश के तहत चलने वाले इस देश का बंटवारा दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद हुआ. ये वो समय था, जब कोरिया पर जापान का राज था. युद्ध में हार के बाद ये कब्जा तो हट गया लेकिन अमेरिका समेत तमाम देशों ने इसे अस्थाई तौर पर दो हिस्सों में बांट दिया. तब सोवियत संघ (अब रूस) इसके उत्तरी हिस्से को देख रहा था, जबकि दक्षिण को अमेरिका देखभाल रहा था. ये बंटवारा केवल एक अस्थाई बंदोबस्त था. हालांकि रूस और अमेरिका के बीच कोल्ड वॉर चल पड़ा, जिससे कोरिया के दोनों हिस्सों में भी दूरियां आने लगीं.

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दोनों की विचारधारा का भी फर्क पड़ा. नॉर्थ साम्यवाद की बात करने लगा, जबकि साउथ पूंजीवाद की. कौन, किसपर शासन कर रहा है, इसका असर विकास पर भी हुआ. उत्तर कोरिया पीछे रह गया, जबकि दक्षिण कोरिया आगे बढ़ चुका. इसी बीच पचास की शुरुआत में उत्तरी हिस्से ने दक्षिण पर हमला कर दिया. कोरियाई युद्ध लगभग तीन सालों तक चला. बीच-बचाव के बाद दोनों के बीच सीजफायर तो हुआ लेकिन शांति समझौते पर किसी ने भी दस्तखत नहीं किए. यही वजह है कि तकनीकी तौर पर दोनों के बीच अब भी जंग मानी जा सकती है. 

क्या दोनों एक हो सकते हैं

दोनों जगहों का कल्चर एक ही रहा लेकिन दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद से अब तक अलग-अलग रहने की वजह से उनके बीच काफी गहरी खाई आ चुकी. दोनों के दोस्त-दुश्मन भी एकदम अलग पहचाने जा सकते हैं. इससे लगता नहीं कि दोनों एक हो सकेंगे. हालांकि बीच में दक्षिण कोरिया ने एक कूटनीतिक कदम उठाया था. उसने सनशाइन पॉलिसी शुरू की, जो दोनों को जोड़ने की पहल थी.

इसके तहत कोरियाई जंग में अलग हुए परिवारों को आपस में मिलने की इजाजत मिलने लगी. वे आना-जाना करने लगे. लेकिन ये सब लगभग 10 साल तक ही चल सका. इसके बाद उत्तर कोरिया ने आक्रामक होते हुए मेलजोल बंद करा दिया. यहां तक कि सीमा पर कड़ी सुरक्षा लगा दी ताकि उसके लोग दूसरे देश तक न जा सकें. फिलहाल जैसे हालात हैं, उन्हें देखते हुए लगता नहीं कि दोनों दोबारा जुड़ सकते हैं. इसकी बड़ी वजह अमेरिका और रूस की दूरियां भी हैं. फिलहाल दोनों महाशक्तियां कई फ्रंट्स पर प्रॉक्सी युद्ध कर रही हैं, फिर चाहे वो यूक्रेन रूस हो, या ईरान-इजरायल. इसी में अगर कोरिया में भी जंग भड़के तो डर है कि अपने को ताकतवर दिखाने के लिए दोनों खुलकर खेलने लगेंगे. 

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