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अमेरिका ने नकली बारिश के सहारे दुश्मन मुल्क में मचाई थी तबाही, हर तरफ बन गया था दलदल

दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन चुका अमेरिका गरीब कहलाते देश वियतनाम से बुरी तरह से हार गया था. हालत ये हुई कि जंग के मैदान में जीतना मुश्किल देख अमेरिका छल-कपट करने लगा. उसने साइंस की मदद से वियतनाम में नकली बारिश कराई ताकि दुश्मन सेना के गोला-बारूद बर्बाद हो जाएं. ये पहली बार था, जब युद्ध में मौसम ने तबाही मचाई थी.

वियतनाम से जंग के दौरान अमेरिका ने क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया था. सांकेतिक फोटो (Pixabay) वियतनाम से जंग के दौरान अमेरिका ने क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया था. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST

प्रदूषण से जूझ रहे दिल्ली-NCR में नकली बारिश की बात हो रही है. चीन, जापान और अमेरिका जैसे कई देश अक्सर ही क्लाउड सीडिंग तकनीक से नकली बादल बनाते रहे ताकि सूखा खत्म हो सके. इस तकनीक को वेदर मॉडिफिकेशन कहते हैं, यानी जिस तरह हम जरूरत के मुताबिक अपने सामानों को मॉडिफाई करते हैं, वैसे ही मौसम का भी रिमोट कंट्रोल अपने हाथ आ जाए. सुनने में ये बात जितनी सुहानी लग रही है, असल में उतनी ही खतरनाक है.

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अमेरिका का कुख्यात ऑपेरशन पोपेय

माना जा रहा है कि मौसम पर पूरा कंट्रोल पा चुके देश दुनिया में कोहराम मचा देंगे. वे दुश्मन देश में बेमौसम बारिश या सूखा ला देंगे ताकि वो बिना युद्ध के ही खत्म हो जाए. अमेरिका कथित तौर पर ऐसा कर भी चुका. वियतनाम से लड़ाई के दौरान उसने सेना के बंकरों और गोला-बारूद की जगहों पर बारिश करवाई थी. इससे काफी नुकसान भी हुआ था. इसे ऑपेरशन पोपेय के नाम से जाना जाता है. 

वियतनाम पर अमेरिका क्यों हुआ हमलावर?

वियतनाम युद्ध क्यों हुआ, इसे फटाफट जानते चलें. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसा कि ज्यादातर मुल्कों में हो रहा था, वियतनाम भी कम्युनिस्ट और पूंजीवादी यानी अमेरिकी सोच के बीच बंट गया. भीतर ही भीतर देश के दो हिस्से हो गए, जिसमें से एक कम्युनिस्ट था, तो दूसरा अमेरिकी मॉडल अपनाना चाहता था. अब अमेरिका भला ये मौका कैसे छोड़ता! वो भी जंग में कूद पड़ा. उसे ये डर भी था कि अगर वियतनाम जैसे छोटे देश को छूट मिल गई तो होते-होते रूस का पलड़ा भारी न पड़ जाए. 

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पहले तो अमेरिका को भरोसा था कि वियतनाम जैसे कमजोर देश कुछ दिन ही टिक सकेगा, लेकिन लड़ाई चली और सालों चलती रही. इसी बीच एक वक्त ऐसा आया, जब उसने नकली बारिश जैसे तरीकों का भी सहारा लिया ताकि वियतनाम टूट जाए. ऑपेरशन पोपेय का पूरा नाम प्रोजेक्ट कंट्रोल्ड वेदर पोपेय था. ये एक मिलिट्री ऑपरेशन था, जिसे अमेरिकी एयरफोर्स ने अंजाम दिया.

इस ऑपरेशन के 4 मकसद थे

- सड़कों को कमजोर और रपटीला बना देना ताकि सैन्य वाहन आ-जा न सकें. 
- पहाड़ों से लैंडस्लाइड हो जिससे सेना तितर-बितर हो जाए. 
- नदी-नालों में बाढ़ आ जाए, जिसका असर आबादी और फिर सेना पर पड़े. 

क्लासिफाइड जानकारी थी 

अगर ये प्लान इंटरनेशनल कम्युनिटी के सामने आता, तो भारी हंगामा मच जाता. तो अमेरिका ने इसे काफी गुपचुप तरीके से लॉन्च किया. इसका हेडक्वार्टर थाइलैंड को बनाया गया. यानी बादलों को तैयार करने की प्रोसेस वहीं से चलने लगी. इसकी शुरुआत अक्टूबर 1966 में हुई, तब तक अमेरिका के 8 हजार से ज्यादा सैनिकों की जान जा चुकी थी, और वो हर हाल में वियतनाम को तबाह करना चाहता था. 

एयरफोर्स ने ऑपरेशन को दिया अंजाम

पायलेट्स और क्रू वियतनाम के उन हिस्सों में सिल्वर और लेड आयोडाइड से भरा केमिकल डालने लगे, जहां-जहां सेना रहती थी. इससे बर्बादी भी मची. वियतनाम के कम्युनिस्ट इलाके दलदली हो गए. सैनिक और गोला-बारूद खत्म होने लगे. साथ ही बारिश की वजह से काफी सारी बीमारियां भी फैलने लगीं. ये अलग बात है कि इसके बाद भी अमेरिका ने इस जंग में बुरी तरह हार देखी.

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युद्ध खत्म होने के बाद सेना से अधिकारियों ने जब ये राज खोला, तब जाकर वियतनाम को पता चल सका कि उसके यहां बेमौसम बारिश क्यों हो रही थी. हालांकि ये किसी भी तरह से साबित नहीं हो सका, और न ही किसी इंटरनेशनल संस्था से मदद मिली. 

कैसे होती है नकली बारिश?

नकली बारिश के लिए आसमान में काफी सारे रॉकेट एक साथ दागे जाते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और क्लोराइड होता है. आसमान में एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचने के बाद ये क्रिया करते हैं. इससे दूरदराज के बादल भी पास आ जाते हैं, और बारिश होती है. आमतौर पर ये सामान्य बारिश से ज्यादा तेज होती है. इसके बाद मौसम खुल जाता है. वैसे इसके भी कई प्रकार हैं, जो इसपर तय होते हैं कि इस दौरान कितने केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है.

कुदरत की आड़ में होने लगेंगी लड़ाइयां!

माना जा रहा है कि कई देश मौसम को कंट्रोल करके दूसरे देश पर हमला करने लगेंगे. ये वेदर वॉरफेयर है, जो कुदरती लगेगा, लेकिन होगा असल जंग से भी भयानक. सिर्फ बारिश ही नहीं, सूखा, भूकंप और सुनामी भी इसकी मदद से लाई जा सकेगी. अमेरिका तो तुर्किए में आए भूकंप को लेकर भी आरोपों में घिरा था. यहां तक कि भारत में आई केदारनाथ आपदा को लेकर भी कंस्पिरेसी है कि वो कुदरती आपदा नहीं थी, बल्कि किसी देश की साजिश थी.

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