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दोस्तों से ज्यादा फिजिक्स में खोया रहने वाला ओपेनहाइमर... जानें परमाणु बम के जनक का भगवत गीता कनेक्शन!

16 जुलाई 1945 को दुनिया के पहले परमाणु बम का परीक्षण किया गया था. इसका कोड नेम 'ट्रिनिटी' रखा गया था. इसकी कमान वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर के पास थी. आखिरी सेकंड तक ओपेनहाइमर बुरी तरह नर्वस थे. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- 'अब मैं काल बन गया हूं, दुनिया का विनाशक.'

रॉबर्ट जूलियस ओपेनहाइमर. (फाइल फोटो-Getty Images) रॉबर्ट जूलियस ओपेनहाइमर. (फाइल फोटो-Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

क्रिस्टोफर नोलन (Christopher Nolan) की फिल्म ओपेनहाइमर (Oppenheimer) चर्चा में बनी हुई है. ये फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में 22 जुलाई को रिलीज हो चुकी है. और ताबड़तोड़ कमाई कर रही है.

लगभग तीन घंटे की ये फिल्म दुनिया का पहला परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की कहानी पर आधारित है. फिल्म में ओपेनहाइमर का किरदार किलियन मर्फी (Cillian Murphy) ने निभाया है. 

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ओपेनहाइमर काफी रईस परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन उनका जीवन सादगी से भरा था. ओपेनहाइमर जिस समय अपना अकादमिक करियर मजबूत करने में लगे थे, तब उन्होंने भगवद्गीता पढ़ने की ठानी. इसके लिए उन्होंने बकायदा संस्कृत सीखी. असल में ओपेनहाइमर गीता के अनुवाद की बजाय उसके मूल स्वरूप को ही पढ़ना ही चाहते थे. 

ओपेनहाइमर ने गीता के श्लोक का ही जिक्र एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने कहा था, 'मैं अब काल हूं, जो लोकों का नाश करता हूं.'

जर्मनी से आकर अमेरिका में बसा परिवार

- रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्म 22 अप्रैल 1904 को न्यूयॉर्क में हुआ था. वो जर्मनी से आकर अमेरिका में बसे यहूदी अप्रवासी के बेटे थे. ओपनहाइमर परिवार का कपड़ों का कारोबार था, जिससे उन्होंने काफी दौलत-शौहरत कमाई.

- ओपेनहाइमर ने 1925 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल की. इसके बाद 1927 में जर्मनी की गोटिंगन यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में पीएचडी की. 

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- पढ़ाई पूरी होने के बाद ओपेनहाइमर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में बतौर रिसर्चर जुड़ गए. आगे चलकर 1936 में वो यहां के प्रोफेसर बन गए. 

ओपेनहाइमर के किरदार में किलियन मर्फी.

'दोस्तों से ज्यादा फिजिक्स की जरूरत'

- ओपेनहाइमर की कद-काठी दुबली-पतली थी. वो काफी शर्मिले थे. लेकिन उनका दिमाग बहुत तेज था. 

- उन्हें सिगरेट पीने की जबरदस्त लत थी. वो चेन स्मोकर थे. ऐसा कहा जाता है कि वो अक्सर डिप्रेशन में रहते थे. लेकिन वो काम में भी बहुत डूबे रहते थे. कई बार तो वो अपने काम में इस कदर डूब जाते थे कि खाना खाना तक भूल जाते थे. 

- एक किस्सा है. एक बार उनके एक दोस्त ने डिप्रेशन से उनका ध्यान भटकाने के लिए मजाक में कहा कि वो उनकी गर्लफ्रेंड से शादी करना चाहता है. इस पर ओपेनहाइमर इतना गुस्सा हुए कि उन्होंने उसका गला दबाने की कोशिश की. 

- ओपेनहाइमर जीवनभर डिप्रेशन में रहे. एक बार उन्होंने अपने भाई से कहा था, 'मुझे दोस्तों से ज्यादा फिजिक्स की जरूरत है.'

मैनहट्टन प्रोजेक्ट

- ये वो दौर था जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका था. अक्टूबर 1941 में अमेरिका के विश्व युद्ध में शामिल होने से दो महीने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट ने परमाणु बम बनाने के कार्यक्रम को मंजूरी दी.

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- मई 1942 में नेशनल डिफेंस रिसर्च कमेटी के चेयरमैन जेम्स बी. कोनेंट ने ओपेनहाइमर को फास्ट न्यूट्रॉन की कैलकुलेशन करने के लिए बुलाया. कोनेंट वही थे जो हार्वर्ड में ओपेनहाइमर के लेक्चरार रहे थे.

- जून 1942 में अमेरिकी सेना ने परमाणु बम प्रोजेक्ट के लिए मैनहट्टन इंजीनियर डिस्ट्रिक्ट बनाया. 

- सितंबर में जनरल लेस्ली ग्रोव्स को मैनहट्टन प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बनाया गया. उन्होंने सीक्रेट वेपन लैब संभालने की जिम्मेदारी ओपेनहाइमर को सौंपी. ग्रोव्स का ये फैसला हैरान करने वाला था. उसकी दो वजहें थीं. पहली ये कि ओपेनहाइमर वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे. और दूसरा कि उनके पास इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट को संभालने का कोई रिकॉर्ड नहीं था.

- लेकिन जनरल ग्रोव्स इस बात को भली-भांति जानते थे कि परमाणु बम बनाने के लिए ओपेनहाइमर जैसे वैज्ञानिक की ही जरूरत है. जनरल ग्रोव्स ने ओपेनहाइमर में ऐसा कुछ देखा था, जिसे बाकी लोग नहीं देख सके थे. 

- बाद में ओपेनहाइमर और जनरल ग्रोव्स ने फैसला लिया कि उन्हें एक सुदूर जगह पर रिसर्च लैब बनानी होगी. इसके लिए मेक्सिको के लॉस अलामोस को चुना गया. इस जगह तक पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि रास्ता बहुत ही खराब था. लेकिन परमाणु बम के परिक्षण के लिए जगह काफी सही थी.

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ओपेनहाइमर चेन स्मोकर थे. (फाइल फोटो-Getty Images)

फिर हुआ परमाणु परीक्षण

- ओपेनहाइमर और उनकी टीम कई साल तक परमाणु बम बनाने पर काम करती रही. परमाणु बम बन तो गया और अब इसका परीक्षण करना बाकी था. 

- परीक्षण के लिए 16 जुलाई 1945 का दिन चुना गया. ये परीक्षण न्यू मेक्सिको में अलामोगोर्डो के पास होना था. ओपेनहाइमर ने इस टेस्ट का कोड नेम 'ट्रिनिटी' दिया था.

- उस दिन ओपेनहाइमर बहुत नर्वस थे. तीन साल तक परमाणु बम पर काम करने के कारण उनका वजन घटकर 52 किलो रह गया था. 

- जैसे-जैसे धमाके का वक्त पास आ रहा था, वैसे-वैसे ओपेनहाइमर की शक्ल पर तनाव बढ़ता जा रहा था. आखिरकार जब धमाका हुआ तो सबकुछ धुंधला हो गया. 21 किलोटन टीएनटी की ताकत वाला विस्फोट हुआ. इसका झटका 160 किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया. 

- इस सफल परीक्षण के बाद ओपेनहाइमर ने बताया था कि ये विस्फोट इतना चमकदार था कि उसे देखकर उन्हें गीता का श्लोक याद आ गया. ये श्लोक था- 'अगर हजारों सूर्यों का प्रकाश एक साथ आकाश में फूट पड़े, तो वो शक्तिशाली के वैभव के समान होगा.'

'मैं काल बन गया हूं'

- सालों बाद एक इंटरव्यू में ओपेनहाइमर ने बताया कि धमाके के बाद उनके मन में गीता का एक श्लोक आया था. ये श्लोक था- 'मैं काल बन गया हूं, दुनिया का विनाशक.'

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- ओपेनहाइमर ने कहा, 'हम जानते थे कि दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी. कुछ लोग रोये, कुछ हंसे तो कुछ चुप रहे. मुझे उस समय गीता का श्लोक याद आया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण राजकुमार अर्जुन को समझा रहे थे कि उसे अपना कर्म करते रहना चाहिए. उन्हें प्रभावित करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपना दशावतार दिखाया और कहा, अब मैं दुनिया का विनाशक, काल बन गया हूं.'

- परमाणु परीक्षण वाले दिन ओपेनहाइमर के साथ उनके भाई फ्रैंक और ब्रिगेडियर जनरल थॉमस फैरेल भी शामिल थे. फैरेल ने उस दिन का जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था, 'ओपेनहाइमर पर बहुत दबाव था. आखिरी सेकंड नजदीक आने के साथ-साथ उनके चेहरे पर तनाव बढ़ता जा रहा था. वो मुश्किल से सांस ले पा रहे थे. आखिरी कुछ सेकंड तक वो सामने देखते रहे. जैसे ही विस्फोट हुआ, तब जाकर उनके चेहरे पर राहत दिखी.'

ओपेनहाइमर (फाइल फोटो-Getty Images)

फिर दुनिया ने देखी तबाही

- जुलाई 1945 में दुनिया के पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण हो गया. और अगले ही महीने अगस्त में दुनिया ने इसकी तबाही भी देख ली.

- दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब जापान घुटने टेकने को राजी नहीं हुआ तो अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला कर दिया.

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- अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और 9 अगस्त को नागासाकी पर बम गिरा दिया. इस हमले में लाखों लोग मारे गए थे. हजारों की चमड़ियां झुलस चुकी थीं. कइयों के शरीर से मांस के लोथड़े लटक रहे थे. जब बम गिरा तो जमीन की सतह का तापमान 4 हजार डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया.

'मेरे हाथ खून से रंगे हैं'

- सफल परमाणु परीक्षण के बाद ओपेनहाइमर खुश तो बहुत थे. बताते हैं कि उनमें अकड़ भी आ गई थी. लेकिन उनकी ये अकड़ महीनेभर में ही खत्म हो गई.

- जापान पर परमाणु हमले के कुछ दिन बाद 17 अगस्त को ओपेनहाइमर ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन से मुलाकात की. 

- इस मुलाकात के दौरान ओपेनहाइमर ने ट्रूमैन से कहा था, 'मेरे हाथों पर खून लगा है.' कहा जाता है कि इससे ट्रूमैन नाराज हो गए और ये बैठक यहीं खत्म हो गई.

- बताया जाता है कि परमाणु हमले के बाद ओपेनहाइमर आम लोगों से दूर रहने लगे. उन्होंने लोगों के बीच आना-जाना कम कर दिया था. 

- चेन स्मोकर होने की वजह से उन्हें गले का कैंसर हो गया था. 15 फरवरी 1967 को ओपेनहाइमर कोमा में चले गए. आखिरकार 18 फरवरी 1967 को 62 साल की उम्र में ओपेनहाइमर का निधन हो गया.

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