
भारत में दोहरी नागरिकता नहीं है. इसके बदले सरकार ने प्रवासी भारतीयों के लिए दूसरी स्कीम निकाली. ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) के तहत विदेशों में बसे भारतीयों को कई तरह की छूट मिलती है. लेकिन पिछले कुछ समय से एक चर्चा थी कि प्रवासियों को सरकार अब विदेशी की श्रेणी में रखेगी. इसपर मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ने साफ कर दिया कि ओसीआई रूल्स में बदलाव की कोई बात नहीं हुई है.
जानें, क्या है ओसीआई कार्ड होल्डर, और ये डुअल सिटिजनशिप से कितना अलग है.
कॉन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि ओसीआई पर वही नियम लागू रहेगा, जो 2021 के गजेट नोटिफिकेशिन में आया था. ओसीआई दोहरी एक स्कीम है, जो भारतीय मूल के लोगों को 'देश के विदेशी नागरिक' के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने का मौका देती है.
ये उन सभी प्रवासियों के लिए है जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक थे, या उस समय भारतीय नागरिक होने के पैमाने पर खरे उतरते थे. पार्लियामेंट में साल 2005 में इस स्कीम को लाते हुए तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था कि इस विधेयक का मकसद प्रवासियों को डुअल सिटिजनशिप जैसी सुविधाएं देना है.
क्यों नहीं मिलती यहां दोहरी नागरिकता
ओसीआई कार्ड वैसे दोहरी नागरिकता नहीं है बल्कि ये प्रवासियों को भारत के साथ पक्के रिश्ते बनाए रखने के साथ केवल कुछ प्रिविलेज देती है. दोहरी नागरिकता वैसे तो कई देशों में है लेकिन भारत में नहीं. इसकी वजह ये है कि देश चाहता है कि उसके नागरिकों की निष्ठा और जिम्मेदारी एक देश के ही लिए हो. साथ ही डुअल सिटिजनशिप में कई बार कानूनों और नीतियों में टकराव की स्थिति भी बन आती है, इसे भी सरकार टालना चाहती है. कई देश भी अपने यहां दोहरी नागरिकता को खत्म कर रहे हैं.
क्या-क्या पाबंदियां
ये लोग इलेक्शन में न तो वोट दे सकते हैं, और न ही चुनाव में दावेदारी कर सकते हैं.
वे किसी संवैधानिक पद के लिए नहीं चुने जा सकते.
ओसीआई कार्ड धारक किसी सरकारी पद पर नहीं आ सकता.
खेती के लिए जमीन नहीं ले सकते, न ही संवेदनशील इलाकों में प्रॉपर्टी बना सकते हैं. लेकिन बाकी कामों के लिए अचल संपत्ति खरीद सकते हैं.
क्या है इस कार्ड के फायदे
- इन्हें भारत आने का वीजा मिलता है, जो हमेशा वैध रहता है. इससे वे बार-बार बिना बड़ी औपचारिकता के यहां आ सकते हैं.
- सरकार अगर इजाजत दे तो ओसीआई ले चुके लोग देश में रिसर्च या पत्रकारिता जैसे काम भी कर सकते हैं.
- ऐतिहासिक जगहों को घूमने के लिए विदेशी नागरिकों की एंट्री फीस ज्यादा होती है. लेकिन ओसीआई कार्डधारकों से कम चार्ज लिया जाता है.
किन्हें मिल सकता है कार्ड
इसके भी कई नियम हैं, जिनके पूरा होने पर ही किसी को छूट मिलती है. मसलन, कार्ड के लिए आवेदन करने वाले के पूर्वज साल 1950 में भारतीय नागरिक की योग्यता रखते हों. या फिर, जो संविधान लागू होने के वक्त, या उसके कुछ बाद भी भारतीय नागरिक रहा हो.
किन्हें नहीं मिल सकता
हर देश में रहने वाले भारतीय नागरिक इसकी पात्रता नहीं रखते हैं. जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका जैसे देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को OCI कार्ड की छूट नहीं मिलती. हालांकि उनके लिए दूसरी सुविधाएं हैं, जैसे अगर वे खुद को वहां परेशान महसूस करते हों तो विशेष परिस्थितियों में भारत आ सकते हैं.
ओसीआई कार्ड से पहले भी इससे मिलती-जुलती एक स्कीम आ चुकी है. साल 2003 में सरकार ने PIO कार्ड का एलान किया था, यानी पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन. जिनके पास भारतीय पासपोर्ट हो, और वो या उसके माता-पिता या दादा-दादी साल 1935 से पहले भारत के नागरिक रहे हों, विदेश में बसे ऐसे भारतीयों के लिए ये सुविधा है.
चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और श्रीलंका को छोड़कर बाकी सभी देशों के भारतीयों को PIO जारी किया जा सकता है. इसके होल्डर को भारत यात्रा के दौरान 180 दिनों की छूट मिलती है. ये वैधता कार्ड जारी होने से करीब 15 सालों तक रहती है. वैसे बता दें कि आगे चलकर ये स्कीम ओसीआई में बदल चुकी, यानी अब यही योजना है, जो दूसरे देश में रहते भारतीयों को देश की मिट्टी से जोड़े रखती है.
क्या फर्क है ओसीआई कार्ड धारक और एनआरआई में
एनआरआई भारत के वो नागरिक हैं, जो किसी दूसरे में रहते हैं, लेकिन नागरिकता जिनके पास भारतीय हो. वे वोट भी कर सकते हैं और खेती-बाड़ी के लिए जमीन भी खरीद सकते हैं. वहीं ओसीआई कार्ड होल्डर होते तो भारतीय मूल के हैं, लेकिन वे किसी और देश में स्थाई तौर पर बस चुके होते हैं. हालांकि भारत के साथ वे पुराना रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं.