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पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए अनसेफ है पाकिस्तान! किसी की सरेआम हत्या हुई तो कोई फांसी पर लटका दिया गया

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गुरुवार को जानलेवा हमला हुआ. हमलावर ने उन्हें पैर में गोली मारी. गनीमत रही कि इसमें इमरान की जान बच गई. इमरान से पहले 15 साल पहले बेनजीर भुट्टो की भी इसी तरह के हमले में हत्या हो गई थी. वहीं, पहले पीएम लियाकत अली खान की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

बेेनजीर भुट्टो की हत्या हुई, इमरान पर गोली चली, जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी हुई. (फाइल फोटो) बेेनजीर भुट्टो की हत्या हुई, इमरान पर गोली चली, जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी हुई. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:22 PM IST

पाकिस्तान में एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला हुआ है. ये हमला इमरान खान पर गुरुवार को हुआ. हमलावर ने उनके पैर में गोली मारी. गनीमत रही कि इमरान की जान बच गई. 

इमरान पर ये हमला तब हुआ, जब वो वजीराबाद में रैली कर रहे थे. रैली में हमलावर आया और फायरिंग कर दी. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता फवाद चौधरी ने आरोप लगाया है कि ये हमला इमरान की हत्या करने के मकसद से किया गया था. 

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पीटीआई ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और मेजर जनरल फैसल नसीर पर हमला करने का आरोप लगाया है. 

बहरहाल, हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया है. उसने कबूल किया है कि वो इमरान खान को मारना चाहता था. 

पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए 'अनसेफ' है पाकिस्तान!

पाकिस्तान वैसे तो ज्यादातर लोगों के लिए अनसेफ है ही. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी हाल ही में पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश बताया था. लेकिन पाकिस्तान राजनेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए भी अनसेफ ही है.

पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की भी इसी तरह से गोली मारकर हत्या कर दी थी. लियाकत अली खान जब रावलपिंडी के कंपनी बाग में रैली कर रहे थे, तभी हमलावर ने उनके सीने में तीन गोलियों उतारकर हत्या कर दी थी. बाद में कंपनी बाग का नाम बदलकर लियाकत बाग रख दिया गया था.

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लियाकत अली खान की हत्या हो गई थी. (फाइल फोटो-Getty Images)

इसी लियाकत बाग से जब पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो रैली करके निकल रही थीं, तब उनकी हत्या हो गई थी. 27 दिसंबर 2007 को लियाकत बाग में बेनजीर भुट्टो की रैली थी. रैली के बाद उनका काफिला इस्लामाबाद के लिए रवाना हो रहा था. जैसे ही काफिला लियाकत बाग के गेट पर पहुंचे, उनके समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी. इन नारों का जवाब देने के लिए भुट्टो कार से बाहर निकलीं और उनकी हत्या हो गई.

भुट्टो जैसे ही कार से बाहर निकलीं, वैसे ही तीन गोलियां चलीं और फिर जोर का धमाका हुआ. जब धमाके का धुंआ छटा तो चारों ओर खून बिखरा हुआ था और लाशों के चिथड़े पड़े हुए थे. बेनजीर भुट्टो की मौत हो चुकी थी. उनके अलावा 25 और लोग मारे गए थे. ये हमला 15 साल के बिलाल ने किया था. भुट्टो को गोली मारने के बाद बिलाल ने खुद को बम से उड़ा लिया था.

बेनजीर भुट्टो की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. (फाइल फोटो-Reuters)

जब हत्या की सजा में पूर्व पीएम को हुई फांसी

10-11 नवंबर 1974 की आधी रात को लाहौर में एक कार पर हमलावरों ने तीन तरफ से गोलियां बरसानी शुरू कीं. इस कार को अहमद रजा कसूरी चला रहे थे. बगल वाली सीट पर उनके पिता मोहम्मद अहमद खान कसूरी बैठे थे. पिछली सीट पर अहमद खान कसूरी की पत्नी और साली बैठी थीं.

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इस हमले में मोहम्मद अहमद खान कसूरी की मौत हो गई. जबकि बाकी तीन घायल हो गए. अहमद रजा कसूरी ने अपनी पिता की हत्या के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ केस दर्ज करवाया. 

इस मामले की जांच चल ही रही थी कि सेना ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार का तख्तापलट कर दिया. उसी समय मार्शल लॉ लगा दिया गया. जनरल जिया उल-हक ने भुट्टो को जेल में डाल दिया. 18 मार्च 1978 को लाहौर हाईकोर्ट ने जुल्फिकार अली भुट्टो को अहमद खान कसूरी की हत्या का दोषी पाया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई.

जुल्फिकार अली भुट्टो. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. यहां 7 जजों की बेंच ने फरवरी 1979 में फैसला सुनाया. 7 में से 4 जजों ने लाहौर हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा, जबकि तीन ने भुट्टो को बरी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया.

बेनजीर भुट्टो, जुल्फिकार अली भुट्टो की ही बेटी थीं. बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री हैं. वो दो बार प्रधानमंत्री बनीं. पहली बार 2 दिसंबर 1988 से 6 अगस्त 1990 तक और दूसरी बार 19 अक्टूबर 1993 से 5 नवंबर 1996 तक. हालांकि, दोनों ही बार उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया.

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