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क्यों पाकिस्तान बना हुआ है लाखों शरणार्थियों की पसंद, कौन सी मजबूरी उन्हें कंगाल देश तक ला रही है?

अपने यहां बढ़ती आतंकी घटनाओं के लिए पाकिस्तान शरणार्थियों को दोषी मान रहा है. अफगानियों समेत सभी अवैध शरणार्थियों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम तक जारी हो चुका. इस महीने के आखिर तक उन्हें पाकिस्तान से जाना होगा. लेकिन यहां कई सवाल उठते हैं. पाकिस्तान, जो खुद गरीबी से जूझ रहा है, क्यों किसी भी देश के लोग वहां शरण लेते हैं? और क्या सुलूक होता है वहां उनके साथ?

पाकिस्तान में अफगानी शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) पाकिस्तान में अफगानी शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

अमीर देशों में तो शरणार्थी आते ही हैं, लेकिन पाकिस्तान जैसे आर्थिक तौर पर बदहाल देश भी रिफ्यूजियों के लिए हॉटस्पॉट बना हुआ है. वहां लगातार वैध और अवैध दोनों ही तरीकों से लोग आ रहे हैं. इसमें सबसे पहला जिक्र अफगानिस्तान का आएगा. लाखों अफगानी लोग सत्तर के दशक के आखिर से पाकिस्तान में डेरा डाले हुए हैं.

क्यों पहुंचे अफगानिस्तान से लोग पाकिस्तान?

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इसकी शुरुआत अफगानिस्तान पर सोवियत संघ से हमले से हुई. साल 1979 में उसने अफगानिस्तान पर हमला किया ताकि तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार को बचा सके. हालांकि उसका शासन ज्यादा नहीं टिका. कई मुजाहिदीन गुट उसके खिलाफ इकट्ठा हो गए. चारों तरफ आतंक का माहौल था. सोवियत हर अफगानी पर शक करता, यही हाल मुजाहिदीनों का था. इसी दौर में करीब 50 लाख अफगानियों ने अपना देश छोड़ दिया. इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान गए, जबकि कुछ प्रतिशत पश्चिमी देशों की तरफ निकल गया. 

दो साल पहले दूसरी खेप आई

शरणार्थियों की दूसरी बड़ी खेप साल 2021 में पाकिस्तान पहुंची, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. ये कोविड का भी समय था, जिसमें देश पूरी तरह से तबाह हो गया. यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस के मुताबिक फिलहाल 80 लाख से ज्यादा अफगानी देश छोड़ चुके हैं, जबकि लगभग साढ़े 3 लाख लोग अपने ही देश में विस्थापितों की तरह जी रहे हैं. 

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पाकिस्तान में कितने अफगानी शरणार्थी?

यूनाइटेड नेशन्स के डेटा को देखें तो पाकिस्तान में 1.3 मिलियन अफगानियों ने खुद को रजिस्टर करवा रखा है. ये वैध शरणार्थी हैं, जबकि अवैध रिफ्यूजियों की संख्या इससे कुछ ही कम है. बल्कि वहां के होम मिनिस्टर सरफराज बुगती का दावा है कि अवैध रूप से रह रहे शरणार्थियों की आबादी 17 लाख के लगभग है. 

कैसे पहुंचते हैं वहां?

दोनों देश ढाई हजार किलोमीटर की सीमा शेयर करते हैं. इसे डुरंड रेखा या वखान कॉरिडोर भी कहते हैं. वैसे तो ये बॉर्डर सुरक्षा बलों से घिरा हुआ है, लेकिन तब भी कहीं न कहीं चूक हो ही जाती है. इसके अलावा ब्लैक मार्केट में फर्जी कागजात बनवाकर भी बहुत से लोग एंट्री पा रहे हैं. 

कहां रह रहे हैं?

ज्यादातर लोग सीमा पार करने के बाद नजदीकी इलाकों में बस जाते हैं, जैसे खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांत में. ये इलाके डुरंड रेखा के करीब हैं. आर्थिक तौर पर मजबूत अफगानी पाकिस्तान के मुख्य शहरों जैसे इस्लामाबाद और कराची तक भी जाते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या कम है क्योंकि पुलिस की नजर में आने का डर रहता है. 

पाकिस्तान में रिफ्यूजी किस हाल में?

ये देश खुद ही आर्थिक और राजनैतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है. ऐसे में जाहिर है कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए उनके पास खास पॉलिसी नहीं. अवैध शरणार्थियों के पास लीगल स्टेटस न होने की वजह से दोहरी मार पड़ी हुई है. उनके पास न तो छत है, न ही राशन या सेहत को लेकर सरकारी सुविधाएं. अफगानी महिलाएं और बच्चों के हालात सबसे खराब हैं. कई बार वहां से मानव तस्करी की खबरें आती हैं. 

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अफगानियों के अलावा भी इस देश में कई मुल्कों के शरणार्थी बसे हुए हैं. ईरान से लगातार मची अस्थिरता के चलते वहां के काफी सारे लोग कराची और क्वेटा जैसे शहरों में आ गए. इनमें से ज्यादातर वैध रिफ्यूजी हैं. 

UNHCR के मुताबिक, ये देश हैं सबसे बड़े मेजबान

- तुर्की शरणार्थियों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी होस्ट कंट्री बन चुका है. यहां सीरिया से ज्यादा लोग आ बसे हैं. 
- कोलंबिया में इंटरनली डिसप्लेस्ड पर्सन्स यानी ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है, जो अपने ही घर से विस्थापित हैं. 
- इसके बाद पाकिस्तान का नंबर आता है, जहां सबसे ज्यादा अफगानी रिफ्यूजी रह रहे हैं. ये वैध और अवैध दोनों तरह के हैं. 
- बांग्लादेश में म्यांमार से भागे हुए रोहिंग्या आ बसे. इसके बाद लेबनान का नंबर है, जहां सीरिया और फिलीस्तीन के रिफ्यूजी रहते हैं. 

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